स्कूल में शासकीय राशि की मनमाने ढंग से खर्च, प्राचार्य और कोषाध्यक्ष की भूमिका पर उठ रहे सवाल

Shri Mi
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पखांजुर।शासकीय राशि का मनमाने ढंग से आहरण प्राचार्य द्वारा करने का मामला सामने आया है।ज्ञात हो कि खर्च के लिए हाई स्कूल में राशि आवंटित की जाती है। जिसे हाई स्कूल के प्रिंसिपल और शिक्षक कोषाध्यक्ष के द्वारा आहरण कर स्कूल हित में खर्च करते हैं। इस राशि को जिले से संयुक्त खाते में डाला जाता है। ताकि खर्च किए गए राशि में पारदर्शिता बनी रहे।मगर कोयलीबेड़ा विकासखंड के बारदा स्कूल के तत्कालीन प्राचार्य आशुतोष मजूमदार ने शासन के नियमों को ठेंगा दिखाते हुए लगातार 8 सालों से अन्य ब्लॉक दुर्गुकोंदल में कोषाध्यक्ष की पोस्टिंग होने के बावजूद राशि का आहरण किया एवं उल्टा सीधा बिल बनाकर खर्च किए गए रुपयों का बिल रोकड़ पुस्तिका में लगाते रहा। सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे

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आखिर तत्कालीन शिक्षक ने इन 8 सालों से संयुक्त खाते को अलग करना उचित नहीं समझा और लगातार राशि का आहरण किया।ऐसे में शिक्षा विभाग पर कई सारे सवाल खड़े हो रहे हैं कि इतने सालों में किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी। ऐसे में पारदर्शिता का प्रश्न ही नहीं है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस विषय में जब शिवलाल कोमरे तत्कालीन कोषाध्यक्ष (बारदा) से पूछा गया तो उन्होंने कहा मैंने कई बार प्राचार्य को मना किया। मैं किसी भी चेक में हस्ताक्षर नहीं करूंगा।मगर उन्होंने मुझे बताया बहुत पुराना पैसा है.आप उसी में हस्ताक्षर कर दो। मैंने कहा मैं बाल स्कूल में नहीं हूं मेरी पोस्टिंग दुर्गुकोंदल में हो चुकी है। मैं चेक में हस्ताक्षर नहीं कर सकता मगर जब भी प्राचार्य को जाना होता था। मेरे घर पर आकर मुझसे जबरदस्ती हस्ताक्षर करवाते थे।

इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि मामला गंभीर है।प्राचार्य को ऐसा नहीं करना चाहिए था।नियम विरुद्ध काम किया गया है। जिसकी जांच की जाएगी तत्कालीन प्राचार्य ने कहा कि जिला शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर सभी चेक काटा गया था। उनके अनुसार सामान भेजा जाता था जिसके बाद भुगतान चेक द्वारा किया जाता था। बता दें कि बारदा के शासकीय हाई स्कूल का प्राचार्य दूसरे स्कूल में पदस्थ होने के बाद भी आरएमएसए की राशि का आहरण मनमाने ढंग से खर्च करता रहा।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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