रायपुर । प्रदेश कांग्रेस का कहना है कि छत्तीसगढ़ राज्य में सरकार की लापरवाही, प्रशासन की उदासीनता और प्राईवेट स्कूलों को मिल रहे सरकारी प्रोत्साहन से शासकीय स्कूलो के समक्ष अस्तित्व का खतरा उत्पन्न हो गया है। शासकीय स्कूलों से अभिभावकों एवं बच्चों का विश्वास उठता जा रहा है। यही कारण है कि साल दर साल शासकीय स्कूलों में बच्चों की दर संख्या में निरंतर गिरावट आ रही है और यह आंकड़ा समूचे प्रदेश में 3 वर्षो में 4 लाख तक घट गया है। जिसके लिये सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार है। सरकार गुणवत्ता में सुधार लाने, शिक्षकों की कमी की पूर्ति करने, व्यवस्था में सुधार लाने एवं पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराने में पूरी तरह से नाकाम है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता मो. असलम ने कहा है कि क्या वजह है कि प्रतिवर्ष बजट में बढ़ोत्तरी की जाती है पर दर्ज संख्या घट रही है ? क्या 11 हजार 998 करोड़ का बजट प्रावधान छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य में स्कूली शिक्षा के गुणवत्ता में सुधार लाने और अन्य व्यवस्था की पूर्ति करने के लिये कम है ? क्या कारण है कि प्रशिक्षित एवं योग्य शिक्षक होने के उपरांत अभिभावक सरकारी स्कूलों से अपने बच्चों को निकालकर निजी शालाओं में भर्ती करा रहे है ? 569 करोड़ मध्यान्ह भोजन, 1500 करोड़ सर्वशिक्षा अभियान, 722 करोड़ राष्ट्रीय शिक्षा मिशन, 1000 करोड़ पाठ्य पुस्तकों के वितरण करने के बजट प्रावधान के बाद भी पूरी व्यवस्था क्यों चरमा गई है ? क्या यह सरकार के साथ -साथ अफसरों की विफलता एवं प्रशासनिक उदासीनता नहीं है ?
कांग्रेस ने कहा है कि सरकार की नीति, रवैये और निजी स्कूलों को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति से शासकीय स्कूलों की व्यवस्था अनियंत्रित हो गयी है जिससे शिक्षको का अध्यापन से मोह भंग हो गया है, नतीजतन अभिभावको ने प्राईवेट स्कूलो का रूख कर लिया है। शिक्षकों में न शिक्षण के प्रति रूचि है और ना ही पालकों का सरकारी स्कूलों के प्रति रूझान रह गया है।
स्कूल शिक्षा विभाग का हर साल बढ़ रहा बजट, घट रही दर्ज संख्या – कांग्रेस
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