बिलासपुर।आये थे हरि-भजन को, ओटन लगे कपास यह लोकोक्ति स्कूल शिक्षा विभाग पर फिट बैठती है।सत्र के शुरुवात में शैक्षिक गुणवत्ता के नाम पर तरह तरह के प्रयोग किए गए समर क्लास लगाए गए लेकिन जैसे जैसे सत्र आगे बढ़ता जा रहा है विभाग शैक्षिक गुणवत्ता को भूलकर ट्रांसफर पोस्टिंग में व्यस्त हो गया है।आलम यह है कि सत्र के मध्यभाग नवंबर के दूसरे हफ्ते में विभाग से जीव विज्ञान, गणित, भौतिक जैसे महत्वपूर्ण विषयों के व्याख्याताओं के स्थानांतरण पोस्टिंग के आदेश जारी होने से स्कूल शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है।….शिक्षा विभाग के लिए क्या मौजूदा वक्त में सबसे महत्वपूर्ण कार्य ट्रांसफर पोस्टिंग ह.सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्स्स्एप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए
सरकारी स्कूल के शिक्षकों के अनुसार पढ़ाई की दृष्टि से नवंबर से दिसंबर का यह समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। शिक्षक और छात्र के बीच अच्छा खासा सामंजस्य बन जाता है। शिक्षक विशेषकर नवमी और ग्यारहवीं के कमजोर छात्रों पर विशेष ध्यान देते है। स्कूलो के सिलेबस के टाइम टेबल हिसाब से प्रदेश के सरकारी स्कुलो में कोर्स की पढ़ाई आधी हो चुकी है।
वही हाई स्कूल औऱ हायर सेकंडरी के कई स्कूलो के कोर्स शैक्षणिक कैलेंडर से आगे बढ़ चुके हैं। उनकी फरवरी से रिवीजन की तैयारी शुरू हो जायेगी।
नवंबर के पहले हफ्ते में ही छुट्टियों के बाद फिर से स्कूलो में पढ़ाई में गंभीरता आई है। आगामी तीन महीने बाद बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो जाएगी। शिक्षा विभाग राज्य स्तर पर अर्ध वार्षिक परीक्षा की तैयारी में जुटा है । जनवरी में नवमी से बारहवीं तक की प्रायोगिक परीक्षाएं होनी है दूसरी ओर इस वर्ष निकाय और पंचायत चुनाव भी होने है उससे भी पढ़ाई भी प्रभावित होगी,ऐसे में इस समय तक ट्रांसफर पोस्टिंग क्या बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं है?
शिक्षको से चर्चा में यह बात सामने आई कि शिक्षकों का स्थानांतरण एक गंभीर मुद्दा है।पर उतना ही गंभीर विषय छात्रों की पढ़ाई भी है। शिक्षा विभाग के पास ट्रांसफर पोस्टिंग करने का पर्याप्त वक़्त था। आधी अधूरी तैयारी के साथ ट्रांसफ़र के सागर में उत्तरे शिक्षा विभाग ने ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर खूब गड़बड़ झाले किये है।
प्रभावशाली और नगद नारायण ढिलने वाले का मनचाहा ट्रांसफर हुआ, बाकि जिन्हें अपने घरों के नज़दीक जाना था। जिन्हें ट्रांसफ़र की बेहद जरूरत थी, उनका कुछ नहीं हुआ। प्रशासनिक स्थानांतरण के नाम पर शिक्षा विभाग शिक्षकों को प्रताड़ित कर चुका है लेकिन 11 नवंबर को जारी हुए राज्य स्तरीय शिक्षको के प्रशासनिक स्थानांतरण के मायने क्या है….? यह समझ से परे है। आलम यह है कि आज भी लोग पढ़ाई की काम ट्रांसफर पोस्टिंग की बात ज्यादा करते हैं आज भी लोगों को इंतजार रहता है कि और कोई ट्रांसफर लिस्ट आने वाला है वह आज आएगा क्या…?
खबरे छन कर रही है कि शिक्षा विभाग सैकड़ो छात्रो के भविष्य से खेलवाड़ करने की तैयारी कर चुका है।जल्द ही थोक में शिक्षको के स्थानांतरण होने है। ऐसे में परीक्षा परिणाम प्रभावित हो सकते है। अधूरे सत्र में ट्रांसफर से शिक्षको का भला होना सम्भव नही है। शिक्षको का परिवार भी विभाग की तुगलग शाही नीति की वजह से प्रभावित होगा।
शिक्षक बताते है कि वैसे भी शिक्षा व्यवस्थाओं पर अगर कोई प्रयोग विफल हुआ तो ठीकरा विभाग अपने बजाय कर्मचारियों पर ही फोड़ता है। जैसे पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों का राज्य स्तरीय मूल्यांकन प्रणाली से परीक्षाएं हो रही है। प्रयोग शुरुवाती दौर में है। यह असफल रहा तो दोषी शिक्षक ही होंगे।
पिछले कुछ सालों के रिकार्ड देखा जाए तो व्यवस्था से जुड़े अधिकारियों को शिक्षकों की गर्मी की छुट्टियां चुभती है। गर्मियों की छुट्टियों में समर क्लास और अतिरिक्त कक्षाएं के नाम पर शिक्षको को बेवजह परेशान अलग किया जाता रहा है। ऐसे प्रयोगों से हासिल क्या हुआ चर्चा का विषय है । शिक्षक अधिकारियों की जोर जबरदस्ती से शिक्षक स्कूल जा सकते है ….पर दिल लगा के पढ़ा नही सकते है।