प्रभारी मंत्री करेंगे जिला स्तर पर तबादले

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Press varta photo 30-6-15ccरायपुर।  केबिनेट की बैठक में मंगलवार को  वर्ष 2015-16 की स्थानांतरण नीति का अनुमोदन कर दिया गया । जिसके मुताबिक   एक जुलाई से 20 जुलाई  तक जिला स्तर पर तृतीय श्रेणी (गैर-कार्यपालिक) तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के स्थानांतरण जिले के  प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से कलेक्टर द्वारा किए जा सकेंगे। संबंधित विभाग के जिला कार्यालय प्रमुख द्वारा स्थानांतरण प्रस्ताव तैयार कर जिला कलेक्टर को प्रस्तुत किया जाएगा। कलेक्टर द्वारा इस प्रस्ताव का परीक्षण कर उस पर जिले के प्रभारी मंत्री से अनुमोदन प्राप्त कर आदेश जारी किए जाएंगे। तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के मामलों में उनके विभागीय संवर्ग में जिले में कार्यरत कर्मचारियों की कुल संख्या के अधिकतम 10 प्रतिशत और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के मामले में अधिकतम पांच प्रतिशत तक स्थानांतरण किए जा सकेंगे। परस्पर सहमति से स्वयं के व्यय पर किए गए स्थानांतरणों की गणना इस सीमा हेतु नहीं की जाएगी।

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इसमें इस बात को भी शामिल किया गया है कि परस्पर सहमति से स्थानांतरण हेतु दोनों आवेदकों द्वारा आवेदन पत्र पर संयुक्त रूप से हस्ताक्षर आवश्यक होगा। स्वयं के व्यय पर स्थानांतरण हेतु व्यक्तिगत रूप से किए गए आवेदन पर किया गया कोई भी स्थानांतरण, परस्पर सहमति से किए गए स्थानांतरण की श्रेणी में नहीं आएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा अनुसूचित क्षेत्रों में पदस्थापना के संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र दिनांक 3 जून 2015 में शामिल नीति निर्देशों का उल्लंघन नहीं हो। स्थानांतरण से व्यथित शासकीय सेवक स्थानांतरण नीति के उल्लंघन पर स्पष्ट आधारों के साथ अपना अभ्यावेदन स्थानांतरण आदेश जारी होने के 15 दिन के भीतर संभागीय कमिश्नर के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। स्थानांतरणों के विरूद्ध अभ्यावेदन पर विचार के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने पहली बार संभागीय कमिश्नरों को अधिकृत किया है।  कमिश्नर द्वारा अभ्यावेदन का परीक्षण कर अंतिम निराकरण किया जाएगा और उनका निर्णय अंतिम होगा। संभागीय कमिश्नर के निर्णय के क्रियान्वयन का दायित्व संबंधित जिला कलेक्टर का होगा।

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां मंत्रालय में आयोजित केबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। नक्सल हिंसा और आतंक की गंभीर चुनौती से जूझ रहे राज्य के बस्तर राजस्व संभाग के सभी सात जिलों में कार्यरत पुलिस बल के जवानों, सहायक आरक्षकों (पूर्व नाम एस.पी.ओ.) और गोपनीय सैनिकों के लिए एक मुश्त आकर्षक पैकेज के साथ कई सुविधाओं को बढ़ाने का फैसला आज की बैठक में किया गया। इस फैसले से उन्हें वर्तमान में दी जा रही सुविधाओं में भारी वृद्धि होगी।  डॉ. सिंह ने बैठक के बाद स्थानीय मीडिया प्रतिनिधियों को बताया कि लगभग 22 हजार पुलिस जवानों को इन फैसलों का लाभ मिलेगा। इनमें लगभग 11 हजार नियमित आरक्षक शामिल हैं। उनके लिए सुविधाओं में वृद्धि पर राज्य सरकार पर 121 करोड़ रूपए का सालाना व्यय आएगा।

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