हवाई सेवा आंदोलनः जनसंघर्ष की ताकत से मिले 27 करोड़…बयानबाजी तक सीमित हुए नेता..बढ़ रहा आक्रोश

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—हवाई सेवा आन्दोलन को लेकर पिछले 75 दिनों से शहर की जनता सड़क पर है। इस दौरान राज्य और केन्द्र सरकार का ध्यान खींचने रैली और जुलूस के बहाने कई प्रयास किए जा चुके हैं। लेकिन अभी तक मांग पूरी होते नहीं दिखाई दे रही है। यद्यपि राज्य शासन ने चकरभाठा एअरपोर्ट उन्नयन के लिए 27 करोड़ रूपए जारी कर दिया है। बावजूद इसके मांग पूरी नहीं होने की सूरत पर शहर की जनता ने आज भी सड़क पर बैठकर अखण्ड धरना की अलख को जगाकर रखा है। इसके साथ ही जनता में आक्रोश भी नजर आने लगी है कि सांसद और शहर विधायक की धरना आन्दोलन से दूरी…क्षेत्र के विकास के लिए हितकर नहीं है। जनता ने तो कहना भी शुरू कर दिया है कि समय उग्र आंदोलन का आ चुका है। जनप्रतिनिधियों से रेल आन्दोलन की तरह जबरदस्ती इस्तीफा लिखवाया जाए। साथ ही इन्हें आंदोलन से दूर भी रखा जाए। 

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                           पिछले ढाई महीने से चकरभाठा हवाई सेवा शुरू करने को लेकर शहर की जनता सड़क पर है। आन्दोलन की रिपोर्ट बिलासपुर जनता समेत रायपुर और दिल्ली तक लगातार पहुंच रही है। मांग पूरी नहीं होते देख धरना में बैठे लोगों और खासकर बिलासपुर की जनता में आक्रोश धीरे धीरे परवान चढ़ता नजर आ रहा है। इस बात को लेकर नाराजगी साफ झलकने लगी है कि श्रेय लेने के लिए बयान जारी करने वाले नेताओं की धरना आन्दोलन से दूरी ठीक नहीं है। चाहे वह सांसद हो या शहर विधायक। अभी तक दोनों नेताओं का समर्थन ठीक से नहीं मिला है। आंदोलन पर बैठे लोगों ने बताया कि सदन में चिल्लाना ठीक है। यदि सांसद और विधायक लगातार धरना में बैठ जाए तो आंदोलन को सफल होने से कोई रोक नहीं सकता है। लेकिन एक को दिल्ली से तो दूसरे को बयान से फुरसत नहीं है। दुख की बात है कि एक बार धरना में शामिल होने के बाद शहर विधायक का आंदोलन से दूरी बनाकर रखना समझ से परे है। शहर की जागरूक जनता ने बताया कि यदि सांसद और विधायक ने धरना से इसी तरह दूरी बनाकर रखा तो अब रेल आन्दोलन की तर्ज पर शहर की जनता वही करेगी..जैसा आज से 25 साल पहले तात्कालीन जनप्रतिनिधियों के साथ किया गया था।

                        धरना आंदोलन के 75 वें दिन शहर की जनता ने हमेशा की तरह हवाई सेवा सुविधा की मांग का समर्थन किया। तारेन्द्र बतरा और नीरज सोनी ने बताया कि धरमजीत के अशासकीय संकल्प के बाद मुख्यमंत्री ने चकरभाठा एअर पोर्ट उन्नयन के लिए 27 करोड़ राशि देने का एलान किया। स्थानीय विधायक ने समर्थन किया। लेकिन 27 करोड़ बिलासपुर लाने में समिति के सदस्यों ने दिन रात पसीना बहाया।अब राशि को लेकर राजनीति शुरू हो गयी है। तारेन्द्र और नीरज ने बताया कि सांसद अरूण साव ने कहा था कि राज्य शासन पांच करोड़ रूपए देने की घोषणा करे तो हवाई सेवा सुविधा को लेकर केन्द्र सरकार अपना काम करेगी। समिति के प्रयास से अब 27 करोड़ रूपए मिल गए है। लेकिन सांसद ने अब तक मुंह नहीं खोला है। दूसरी तरफ स्थानीय विधायक ने धरना आन्दोलन से दूरी बनाकर रखते हुए 27 करोड़ रूपए को लेकर बयान देना शुरू कर दिया है।  बेहतर होता कि सांसद और विधायक लगातार धरना पर बैठें..फिर देखते है कि चकरभाठा एअरपोर्ट को 4 सी कैटेगरी होने से कौन रोकता है।

            समिति के सदस्य बतरा और सोनी के अनुसार 27 करोड़ रूपए के लिए समिति को  बहुत पापड़ बेलने पड़े है। मुख्यमंत्री ने तो स्प्ष्ट कर दिया था कि 27 करोड़ आने वाले बजट सत्र में दिया जाएगा। लेकिन मुख्य सचिव आरपी.मण्डल,अमिताभ जैन, गौरव द्विवेदी. टामन सोनवानी, समेत मंत्रालय में बैठे जिम्मेदारी अधिकारियों से लगातार सम्पर्क कर 27 करोड़ राशि को इसी सत्र में जारी करवाया गया। यहां तक कि राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा से भी सहयोग लिया गया। दुख इस बात है कि कुछ लोग हाथ आटा लगातार भण्डारी बनने का प्रयास करना शुरू कर दिया है। 27 करोड़ को लेकर लगातार बयान जारी कर रहे हैं। राशि आवंटन को लेकर निजी श्रेय लिया जा रहा है। यह जानते हुए भी कि लड़ाई लम्बी है। बावजूद इसके स्थानीय जनप्रतिनिधियों से धरना आंदोलन को सहयोग नहीं मिल रहा है। यदि बिलासपुर जिले के सभी विधायक और सांसद एक साथ मिलकर कुछ दिनों के लिए धरना पर बैठ जाएं तो चकरभाठा एयरपोर्ट को 4 सी कैटगरी मिलने से कोई रोक नहीं सकता है।  इस बात को जनता अच्छी तरह से समझ रही है। लेकिन जनप्रतिनिधि इस बात को कब समझते हैं सबको इंतजार है। यह जानते हुए कि जनता धीरे धीरे धैर्य खोते नजर आ रही है।

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