हवाई सेवा और शहर का मौन जुलूसः कहीं बड़े आंदोलन की तैयारी तो नहीं..? क्योंकि आज भी याद है जोन आंदोलन

BHASKAR MISHRA

बिलासपुर— आज शाम ठीक पांच बजे…शहर का बहुत बड़ा वर्ग जिसे हम कह सकते हैं..विशुद्ध बिलासपुरिया..एक होकर गांधी चौक से नेहरू चौक तक मौन जुलुस निकाला। इस दौरान किसी ने किसी से कोई बातचीत नहीं की। ना जिन्दाबाद के नारे लगाए… ना ही मुर्दावाद की आवाज उठी…।  सभी लोग हाथ में बैनर पोस्टर और तख्ती लेकर शांति से पदयात्रा करते हुए बताया। हमें यानि बिलासपुर को हवाई सेवा चाहिए। मौन जुलूस की चाल भी ऐसी… संकेत देते हो कि तूफान के पहले की शांति कुछ ऐसी ही होती है।..जो समझ जाए तो ठीक…ना समझे तो ठीक..क्योंकि बिलासपुर के लिए जोन का आंदोलन भी कुछ इसी तरह शुरू हुआ था।

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                                      जोन आंदोलन के बहुत दिनो बाद एक बार फिर बिलासपुर ने करवट लिया है। मतलब जनता नींद से जागी है। मात्र कुछ जागरूक लोगों के प्रयास से एक बार फिर बिलासपुर की जनता ने महसूस किया है कि हवाई सेवा के नहीं होने से विकास के दौड़ में बहुत पीछे छूट गए हैं। सच भी है…जनता ने महसूस किया कि जब किस्मत में बिना संघर्ष कुछ हासिल करना नहीं लिखा है तो फिर क्यों न जाति पांति धर्म भाषा और दलगत भावना से उठकर हवाई सेवा के लिए संघर्ष का शंखनाद करें। 26 अक्टूबर 2019 से शुरू हुआ हवाई सेवा संघर्ष समिति का संघर्ष पूरे एक महीने तक चला। ठीक 32 वें दिन बिलासपुर की जनता ने कुछ ऐसा कर दिखाया…जिसकी कल्पना तो पहले से ही थी।   

                 मंगलवार को हाथ में तख्ती, पोस्टर,बैनर लेकर बिलासपुर की जनता गांधी चौक में उमड़ी। सबने बड़े ही शांति भाव से जिम्मेदार लोगों से हवाई सेवा की मांग की। इस दौरान जनता में ना आक्रोश दिखाई दिया..और ना ही उन्माद के लक्षण ही नजर आए। हां गांधी चौक मेें एकत्रित लोगों की संख्या पहले तो कम नजर आयी। लेकिन देखते ही देखते भीड़ इतनी बढ़ गयी…कि खुद हवाई सेवा संघर्ष समिति के लोगों ने यातायात व्यवस्था को बहाल किया। साथ ही साथियों से गुजारिश करते हुए कहा कि मौन जुलुस के दौरान किसी को किसी प्रकार की परेशानी का सामना नही करना पड़े।

                   इसके बाद मौन जुलुस बिना की औपचारिकता..मतलब जिन्दाबाद..मुर्दाबाद के नारे के साथ शुरू हुआ। मजेदार बात यह कि इस दौरान भाजपा,कांग्रेस,जोगी कांग्रेस,आम आदमी पार्टी और जुलुस में शामिल शहर के उच्च और निम्न वर्ग के अधिकारी आपस में गले मिलकर एक दूसरे को बधाई दी। इस दौरान सभी में जमकर उत्साह देखने को मिला। किसी ने यह जाहिर तक नहीं होने दिया कि आंदोलन की आने वाले समय में कोई रणनीति नहीं होगी। मजेदार बात है कि मौन जूलूस में कोई अगुवा नहीं नजर आया…क्योंकि यह बिलासपुर की जनता खुद अगुवा थी।

                 मौन जुलूस का कांरवां हटरी चौक पहुंचने तक विशाल स्वरूप ले लिया। कारवां आगे बढता गया..और कोई दुकान से निकलकर तो कोई बगल में मोटर सायकल खड़ी कर जुलूस में शामिल हो गए। कई लोग तो जगह जगह जुलूस का इंतजार करते नजर आए। और जैसे रैली मौके पर पहुंची …लोग शामिल हो गए। जैसे छोटी छोटी नदियां मिलकर बड़ी नदी का रूप देती हैं। ऐसा ही आज गांधी चौक से नेहरू चौक तक निकली रैली में देखने को मिल गया।  देखते ही देखते रैली का आकार विशाल हो गया। रैली जब कोतवाली चौक.गोलबाजार और सदरबाजार के बीच से निकली तो लोगों की संख्या भी बहुत अधिक हो गयी।

                   रैली में डाक्टर,इंजीनियर,नेता और आम जनता को देख व्यापारी भी रैली में कूद पड़े। सभी ने रैली का उत्साह के साथ समर्थन किया।  ताज्जुब की बात है कि इस दौरान पुलिस की उपस्थिति जरूर रही..लेकिन व्यवस्था में उनकी कही भी जरूरत नहीं पड़ी। रैली में शामिल सभी लोग सड़क के किनारे कतारबद्ध होकर चलते दिखाई दिए। प्रताप चौक समेत शहर के सभी स्थान गुजरते हुए रैली में शामिल बिलासपुर की जनता विक्ट्री साइन देकर विश्वास जताया कि हमें हवाई सेवा देने से कोई रोक नहीं सकता है। 

                   इस दौरान कई लोगों ने यह भी बताया कि बहुत दिनों बाद बिलासपुर अपने अधिकार के लिए जागा है। बहुत पहले ऐसा मंजर रेल जोन आंदोलन के पहले देखने को मिलता है। उम्मीद है कि सरकार में बैठे लोग अभी उस आंदोलन को नहीं .भूले होंगे। क्योंकि बिलासपुर की जनता की तासीर ही कुछ ऐसी है कि तूफान से आने के पहले का संकेत कुछ इस तरह की देती है। बेहतर होगा कि इस संकेत को जिम्मेदार लोग समझें…क्योंकि जिन्होने रेल जोन आंदोलन को करीब देखा है। उन्हें जरूर याद होगा कि उस समय भी बड़े आंदोलन के पहले ऐसा ही कुछ हुआ था।

                  नेहरू  चौक पहुंचने के बाद जुलूस में शामिल हजारों की संख्या में पहुंचे लोग एकत्रित हुए। सिटी मजिस्ट्रेट अवधराम टंडन को लिखित में ज्ञापन दिया। इसके बाद संवाद किया। संवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने संक्षिप्त उद्बबोधन दिया। अपने संक्षिप्त भाषण में सुदीप श्रीवास्तव ने कहा कि अभी हम थके नहीं है। क्योंकि यह अभी शुरूआत है। भाषण का अर्थ समझने वालों ने यह भी समझा कि हवाई सेवा और शहर का मौन जुलूसः कहीं बड़े आंदोलन की तैयारी तो नहीं..? क्योंकि उन्हें आज भी याद है जोन का आंदोलन।

                   

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