हाईकोर्ट की फटकार..बताएं कब कब हुई जांच..न्यायमित्र ने कहा..निर्देश को गंभीरता से नहीं ले रही सरकार

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—- हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश पीआर रामचंद्र मेमन और जस्टिस पीपी साहू की डीबी ने कोल आधारित पावर प्लांट में कार्यरत कर्मचारियो को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नही कराये जाने को लेकर पेश जनहित याचिका में सुनवाई की। कोर्ट ने सरकार को दो सप्ताह के अंदर कर्मचारियो के स्वास्थ की कब कब जांच कराई गई ? शपथ पत्र के साथ रिपोर्ट पेश करने को कहा है। 
 
           कोरबा, जांजगीर चांपा और रायगढ़ समेत अन्य जिलों में कोयला आधारित पावर प्लांट चल रहे हैं। कोयला डस्ट और चिमनी से निकलने वाले प्रदूषण से काम करने वाले कर्मचारी बीमार हो रहे हैं। कम्पनी में उपचार की कोई व्यवस्था नही है। नियम के अनुसार सभी पावर प्लांट में अस्पताल की व्यवस्था होनी चाहिये। विशेषज्ञ चिकित्सक से समय समय पर काम करने वालों की स्वास्थ्य जांच होनी चाहिये।
 
            हाईकोर्ट ने औधोगिक प्रदूषण को लेकर पेश सभी याचिकाओ को क्लब करते हुए सुनवाई प्रारंभ की है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने स्वास्थ्य जांच के सम्बन्ध में निर्देश जारी कर सरकार को रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया गया था। मंगलवार को सुनवाई के दौरान शासन की ओर से रिपोर्ट पेश करने एक दिन का समय मांगा गया । इस पर न्यायमित्र प्रतीक शर्मा ने कहा कि सरकार कोर्ट के निर्देश का सही तरीके से पालन नही कर रही।
 
                 एमबीबीएस डॉक्टर से जांच कराकर रिपोर्ट दे रही है। किडनी, लिवर, हार्ट की जांच के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर होना चाहिये। 12 वर्ष में एक बार ही जांच की गई है। इस पर कोर्ट ने कर्मचारियो की सही स्थिति और इनकी कब कब जांच कराई गई है ? इस संबंध में शपथ पत्र के साथ दो सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
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