हाईकोर्ट जस्टिस को हटाने की मांग…अधिवक्ता संघ ने लिखा पीएम को पत्र…कहा रखेंगे न्यायलयीन कार्य से दूर

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ ने न्यायामूर्ति शरद कुमार गुप्ता के खिलाफ प्रधानमंत्री,सुप्रीम कोर्ट के मुख्यन्यायाधीश,हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश के साथ भारत सरकार विधि विधायी मंत्र को पत्र लिखा है। पत्र में बताया गया है कि जस्टिस शरद कुमार गुप्ता बैंच कोटे से हाईकोर्ट में अस्थायी जस्टिस बनाया गया है। उनकी कार्यपद्धति विधि के अनुरूप नहीं है। इसलिए उन्हे ना केवल स्थायी होने से रोका जाए बल्कि पद से तत्काल हटाया जाए।

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                           छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ ने हाईकोर्ट जस्टिस शरद कुमार कुमार गुप्ता को हटाने की मांग की है। बैंच ने सुप्रीम कोर्ट,हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के अलावा, प्रधानमंत्री और भारत सरकार के विधि विधायी को भी पत्र लिखा है।

               पत्र में अधिवक्ता संघ ने बताया कि शरद कुमार गुप्ता को बैंच कोटे से अस्थायी रूप से उच्च न्यायाल में नियुक्त किया गया है। जबकि वे जिम्मेदारी से न्यायालयीन कार्य नहीं करते हैं। समान प्रकृति और तथ्यों के प्रकरणों में उनके आदेशो में असमानता होती है। न्यायालयीन कार्रवाई भी मनमाने तरीके से करते हैं। संबधित अधिवक्ताओं को दूर बैठाकर आदेश पारित करते हैं। पूछे जाने पर कहते हैं कि आदेश बाद में मिल जाएगा।

                      अधिवक्ताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि आदेशों में भारी त्रुटियां की जाती है। इतना ही नहीं स्वीकृत आदेशों में भी अंतिम में अस्वीकृत लिख दिया जाता है। न्यायमूर्ति का वकीलों के प्रति व्यवहार भी ठीक नहीं है। उनकी कार्यपद्धति और व्यवहार न्यायदान में उचित नहीं है। जिससे प्रक्रिया में अव्यवस्था और विलंब स्थिति बनाती है। प्रकरणों में भेदभाव और असमानता सामान्य बात है।

                 वकीलों ने मांग करते हुए कहा कि न्यायामूर्ति शरद कुमार गुप्ता को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाए। अथवा दूसरे राज्य की सेवा में भेज दिया जाए। बेहतर होगा कि उन्हें हाईकोर्ट में स्थायी जज की नियुक्ति नहीं दी जाए।

                 अधिवक्ता संघ ने बैंच को नोटिस कर कहा है कि जब तक मांग पूरी नहीं होती है। तब तक सभी अधिवक्ता न्यायालयीन कार्य से दूरी बनाकर रखेंगे।

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