बिलासपुर– विभागीय पदोन्नति कमेटी डीपीसी में पदोन्नति की अनुशंसा के बाद और प्रमोशन मिलने के पहले निलंबन कार्यवाही के चलते पदोन्नति नहीं दिये जाने को हाईकोर्ट ने गलत ठहराया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पदोन्नति का लाभ दिये जाने का आदेश दिया है। दरअसल वर्तमान में जांजगीर जिले के सक्ति उपजेल में पदस्थ जेलर शिवेन्द्र राम ठाकुर को जेलर पद पर पदोन्नति दिये जाने के लिये 2007 में डीपीसी हुई थी। करीब छह माह बाद किसी मामले में उनको निलंबित कर दिया गया।
शिवेन्द्र को निलंबन कार्यवाही के चलते जेल अधीक्षक पद नहीं दिया गया। शिवेन्द्र ने हाईकोर्ट बिलासपुर में सरकार के फैसले के खिलाफ अधिवक्ता मतीन सिददीकी के जरिये याचिका लगायी। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुये कहा कि चूंकि डीपीसी के वक्त उनको पदोन्नति के लिये योग्य माना गया था।
निलंबन की कार्यवाही डीपीसी के बाद हुई। इसलिए दोन्नति पर इस कार्यवाही का कोई फर्क नहीं होना चाहिये। हाईकोर्ट ने जेलर शिवेन्द्र ठाकुर को 2007 से ही पदोन्नति और वेतनवृद्धि का लाभ दिये जाने का राज्य सरकार को आदेश दिया है।