हाईकोर्ट प्रैक्टिसिंग बार एसोसिएन अध्यक्ष संदीप ने कहा..रेणु जोगी पूर्वाग्रह से ग्रसित..लाश पर बनेगा खण्डपीठ..राजनीति कर रहा जोगी परिवार

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— उच्च न्यायालय प्रैक्टिसिंग बार एसोसिएशन ने रेणु जोगी पर स्वार्थ की राजनीति करने का आरोप लगाया है। प्रैक्टिसिंग बार एसोसिएशन अध्यक्ष संदीप दुबे ने कहा कि जोगी परिवार हाईकोर्ट को लेकर पूर्वाग्रह से ग्रसित है। यह जानते हुए भी कि छोटे से  राज्य में तीन क्या एक खण्डपीठ भी उचित नहीं है। बिलासपुर की होने के बाद भी इस प्रकार की मांग और अशासकीय संकल्प लाने का एलान से जाहिर होता है कि मामला मरवाही विधानसभा उपचुनाव से जुड़ा है।

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                    रेणु जोगी के विधानसभा में उच्च न्यायालय को लेकर रायपुर,सरगुजा और बस्तर में अशासकीय संकल्प लाने के एलान पर उच्च न्यायालय प्रैक्टिसिंग बार एसोसिएशन ने गहरी नाराजगी जाहिर किया है। उच्च न्यायालय प्रैक्टिसिंग बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप दुबे ने बताया कि खण्डपीठ और रेणु जोगी की मांग…उनके लाश पर चलकर ही पूरी होगी। नाराज संदीप दुबे ने कटाक्ष करते हुए कहा कि भारत बहुत बड़ा देश है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट का एक खण्ड पीठ रायपुर में होना चाहिए। क्या रेणु जोगी को यह बात समझ में नहीं आ रही है।

                  संदीप दुबे ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य छोटा है। यहां रायपुर, सरगुजा और बस्तर में खण्डपीठ की व्यवस्था किसी भी सूरत में उचित नहीं है। यह जानते हुए भी कि सरगुजा और रायपुर की दूरी बिलासपुर से कुछ घंटे की है। 

              एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि मैडम जोगी की याददास्त कुछ कमजोर भी है। उन्हें पता होना चाहिए कि पूर्व में भी बस्तर में खण्डपीठ को लेकर मांग की गयी थी। तात्कालीन मुख्य न्यायाधीश यतीन्द्र सिंह की अध्यक्षता में फुल बैंच की बैठक के दौरान मांग को अमान्य कर दिया गया था।  अध्यक्ष ने कहा की छत्तीसगढ में पर्याप्त न्यायधीशों की व्यवस्था है। यद्यपि न्यायधीशों के पद अभी भी खाली है। बावजूद इसके सारा काम काज बेहतर तरीके से हो रहा है। बेहतर होता कि मैडम जोगी कहती किं यहां न्यायधीशों के सभी पद जल्द से जल्द भरे जाए। लेकिन उन्होने ऐसा नहीं कर हाईकोर्ट के प्रति जोगी परिवार के पूर्वाग्रह विचारों को जाहिर किया है।

             संदीप दुबे ने बताया कि रेणु जोगी का अशासकीय प्रस्ताव लाकर बस्तर, रायपुर और सरगुजा में खण्डपीठ की मांग का एलान केवल और केवल राजनीतिक है। लेकिन उनकी यह मंशा उनकी लाश पर होकर ही पूरी होगी। उन्होने दुहराया कि रेणु जोगी का इस प्रकार प्रस्ताव लाने का साफ अर्थ है कि वह बिलासपुर के प्रति उनके मन में भारी नफरत है। जबकि उनके पति ने ही बिलासपुर में हाईकोर्ट को लाने का भरसक प्रयास किया। यदि चाहते तो देश को बिलासपुर का नाम न्यायधानी की वजाय राजधानी के रूप में लिया जाता। 

                  वहीं उच्च न्यायालय प्रैक्टिसिंग बार एसोसिएशन के सदस्य राजेश कुमार केशरवानी, गुरूदेव शरण, सलीम काजी, अवध त्रिपाठी, उत्तम पाण्डेय, बीपी राव, और अन्य अधिवक्ताओं ने भी रेणु जोगी की अशासकीय प्रस्ताव का पुरजोर विरोध किया है।

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