हिरणों का होगा नस्ल सुधार

BHASKAR MISHRA
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IMG-20150705-WA0001 बिलासपुर— रायपुर के नंदन वन में हिरण की मौत हर्पिस इन्सेफेलाइटिस,प्रैग्नैन्सी टाक्सिमिया के अलावा अफलाटाक्सिन से हुई है। बरेली में आईवीआरआई की रिपोर्ट में ऐसी संभावना जताई जा रही है। जानकारी के अनुसार यह रोग लगातार एक ही वंश के बीच प्रजनन होने के कारण होता है। कानन पेन्डारी प्रशासन ने भी एतिहात के तौर पर केन्द्रीय चिड़ियाघर नई दिल्ली के आदेश के बाद नर और मादा हिरणों अब अलग रखने का इंतजाम करना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि कुछ रोगी हिरणों का बन्यकरण भी किया जा सकता है। साथ ही हिरणों के नस्ल सुधार के लिए जूनागढ़ से सफेद और काला चिंगारा कानन पेण्डारी में लाया जाएगा।

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               आईव्हीआरआई रिपोर्ट के अनुसार नंदन वन में हिरणों की मौत एक ही वंश में प्रजनन के कारण हुआ है। एक ही वंश में लगातार प्रजनन से हिरणों में इन्सेफेलाइटिस, प्रैग्नेन्सी टाक्सिमिया के अलावा अफलाटाक्सिन जैसा विकार पैदा हो जाता है। जिसके चलते शावकों में रोगी प्रतिरोधी क्षमता कम या खत्म हो जाती है। कमजोर होने के कारण हिरण प्रकृति के साथ तारतम्य नहीं बैठा पाते। समय से पहले उनकी मौत हो जाती है।

             केन्द्रीय चिड़ियाघर नई दिल्ली के आदेश पर अब कानन में हिरणों की अनियमित वंश वृद्धि रोकने के लिए नाइट शेल्टर और एनीमल सेग्रीगेशन का निर्माण किया जा रहा है। इस विधि से नर और मादा काले हिरणों को अलग-अलग रखा जाएगा। इससे अनियमित वंश वृद्धि पर लगाम लगेगा। कानन प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार कमजोर और अपरिपक्व हिरण शावकों को मादा के साथ रखा जाएगा। इस दौरान उनकी विशेष रूप से देख रेख किया जाएगा।

       कानन पेन्डारी में इस समय 24 हिरण हैं। जिसमें 13 नर और 11 मादा हिरण शामिल हैं। इन्हें अलग अलग रखने के लिए दिल्ली चिड़ियाघर प्राधीकरण के निर्देश पर नाइट शेल्टर और एनीमल सेग्रीगेशन का निर्माण किया जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार कानन में रहने वाले हिरणों के नस्ल सुधार के लिए जुनागढ़ जू सकरभाध गुजरात से सफेद हिरण और चिंकारा का एक जोड़ा लाया जाएगा। इसके लिए आवश्यक तैयारी भी कर ली गयी है। जूनागढ़ और दिल्ली चिड़ियाघर प्राधिकरण ने अनुमति भी दे दिया है।

           कानन प्रबंधन ने बताया कि यहां के हिरण स्वास्थ्य एवं निरोगी हैं। एतिहात के तौर पर इस प्रकार का कदम उठाया जा रहा है। देश के अन्य चिड़ियाघरों में कानन पेण्डारी के हिरणों की बहुत मांग है। यहां के हिरणों को पैराकटिया के अलावा जैविक खाद से उत्पन्न चारा दिया जाता है। जिसे कानन पेन्डारी में ही तैयार किया जाता है। इसके अलावा पोषक चीतल आहार भी दिया जाता है।IMG-20150705-WA0002

जरूरत पड़ने पर होगा वंधियाकरण

जरूरत पड़ने पर बंधियाकरण भी किया जा सकता है। फिलहाल प्राधिकरण के निर्देश पर नाइट शेल्टर और सेग्रीगेशन की व्यवस्था की जा रही है। कमजोर हिरणों को मादा हिरणों के साथ ही रखा जाएगा। काले हिरणों को अलग रहने की व्यवस्था होगी। नजदीकी ना हो इसके लिए समुचित प्रबंध किया जाएगा। जैसा की रिपोर्ट में बताया गया है कि एक ही वंश में प्रजनन से कमजोर शावक पैदा होते हैं। इसे ध्यान में रखकर आवश्यक कदम उठाया जाएगा।

                                                                         टी.आर.जायसवाल…रेंजर…कानन पेन्डारी..बिलासपुर

जूनागढ़ से लाएंगे हिरण जोड़ा

         आईव्हीआरआई रिपोर्ट के बाद हम सतर्क हैं। कानन में हिरणों के नस्ल सुधार के लिए जूनागढ़ से सफेद और काला हिरण का जोड़ा लाएंगे। जाहिर सी बात है इससे नस्ल सुधरेगा। नंदन वन की पुनरावृत्ति की संभावना भी कम हो जाएगी। सेग्रीगेशन से अनियमित वंश वृद्धि पर भी लगाम लगेगा।

                                                                  सत्य प्रकाश मसीह..मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर

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