बिलासपुर—हिन्दी की एक कहावत चाहे अनचाहे…लोगों से सुनने को मिल ही जाती है। कहावत कुछ इस तरह से है…होनहार वीरवान के होत चीकने पात…। यह कहावत सिमरन पर सटीक बैठती है। भारत माता स्कूल की छात्रा होनहार सिमरन ने ऐसा प्रोजेक्ट बनाया कि दिल्ली से आए अतिथि को भी कहना पडा कि वाह क्या बात है। योग्यता को बहुत दिनों तक छिपाकर नहीं रखा जा सकता। क्योंकि सिमरन ने जिस मौलिक प्रोजेक्ट को पेश किया…यदि उस पर काम किया जाए तो समाज से प्लास्टिक के शैतान को भागना ही पड़ेगा। सरकार की स्वच्छता अभियान को सौ प्रतिशत सफलता मिलेगी। प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगे या नहीं लगे..लेकिन आसानी से रिसाइकिल कर निकलनी वाली बिजली से घर भी रोशन हो जाएगा।
एक दिन पहले की ही बात है कि प्रदेश में भारत सरकार से मान्यता प्राप्त अटल टिकरिंग लैब का उद्घाटन करने यूएनडीपी सदस्य प्रभजोत सोढ़ी भारत माता आंग्ल भाषा स्कूल पहुंचे। उन्होेने छात्राओं के प्रोजेक्ट को देखने और पऱखने के बाद जमकर तारीफ की। सोढ़ी ने कहा कि युवा वैज्ञानिक और पर्यावरण शुभचिन्तक प्लास्टिक रिसाइलिंग पर जमकर काम कर रहे हैं। जल्द ही प्लास्टिक के शैतान पर सफलता मिलेगी। भारत माता के बच्चों का प्लास्टिक रिसाइलिंग पर पेश मॉडल से प्रभावित हुआ हूं। बच्चों ने ऐसा मौलिक मा़डल बनाया कि यदि इस पर काम किया गया तो देश की सूरत बदल जाएगी। भविष्य में इस प्रकार के मॉडल से प्लास्टिक से होने वाले पर्वावरण अंसुतलन को दूर किया जाकेगा।
अटल इनोवेशन अभियान और सफलता
भारत सरकार ने प्रदेश के चयनित विद्यालयों में भारत माता आंग्ल माध्यमिक शाखा में भी अटल टिकरिंग लैब की मान्यता दी है। नीति आयोग ने अटल इनोवेशन अभियान के तहत स्कूली बच्चों में वैज्ञानिक सोच को विकसित करने का प्रयास किया है। भारत माता स्कूल में सरकार का प्रयास सफल होते दिखाई देने लगा है। लैब में स्कूली बच्च रोबोटिक्स,इलेक्ट्रानिक विषय पर शोध कर रहे हैं। इसके अलावा समाजजनित परेशानियों को दूर करने के उपाय भी ढूंठ रहे हैं।
सोढ़ी ने ई टिकरिंग लैब शुभारम्भ के बाद बच्चों के बीच प्लास्टिक समस्या को लेकर तैयार मॉडल की जमकर तारीफ की। सोढ़ी ने बताया कि बच्चों ने अटल टिकरिंग लैब में वर्तमान की सबसे बड़ी समस्या प्लास्टिक पर काम किया है। निश्चित रूप से आंख खोलने वाला और सराहनीय प्रयास है। यदि तैयार मॉडल पर काम किया गया तो समाज की सबसे बड़ी समस्या प्लास्टिक से निजात तो मिलेगी ही…रोजगार के दरवाजे खुलेंगे। स्वच्छता अभियान को भी पंख लग जाएगा। प्रभजोत सोढ़ी ने सिमरन समेत सभी बच्चों को शुभकामनाएं दी।
सिमरन का प्रयास और प्रोजेक्ट
होनहार सिमरन ने बताया कि देश प्लास्टिकजनित पर्यावरण असंतुलन से परेशान है। चूंकि प्लास्टिक समाज का अभिन्न हिस्सा हो चुका है। इसलिए निजात पाना मुश्किल है। यदि शर्तों के साथ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया जाए भी जाए तो समस्या नयी पैदा होने वाली है। यह जाहिर भी हो चुका है। इन परेशानोयों से निजात पाने में हमारा प्रोजेक्ट काफी सहायक साबित होगा। प्लास्टिक के नष्टीकरण से बिजली का भी उत्पादन होगा। जाहिर सी बात है कि कई घर रोशन होंगे।
सिमरन ने बताया कि प्लास्टिक का खतरा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। इससे निपटने के लिए एक छोटा सा प्रयास किया है। नीति आयोग और यूनएनडीपी सदस्य प्रभजोत सोढ़ी को मॉडल पसंद आया है। मॉडल के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया कि प्लाज्मा गैसीफिकेसन से प्लास्टिक को छोटे छोटे टूकड़ों में बांटा जाता है। टुकड़ों को विभिन्न चरणों से गैसीफायर तक पहुंचता है। यहां पर प्लाजमा गैसीफिकेशन होता है। प्लास्टिक को ट्रांसफार्मर के माध्यम से सही तापमान दिया जाता है । उत्पन्न गैस वाटर स्कबर में जाता है। यहां पानी की बौछार किया जाता है। अनवांटेड गैस नीचे चला जाता है। जिसे सिंथेटिक गैस साइक्लोन चैंबर में भेजा जाता है। फिर बूस्टर के माध्यम से जनरेटर में प्रवेश कराया जाता है। इससे बिजली का उत्पादन होता है। यहां पहुंचने तक प्लास्टिक का नाम और निशान मिट चुका होता है। प्रयोग को प्लाजमा परोलेसिस कहते है।
सिमरन ने बढ़ाया मान
सिमरन पाठक के पिता बेटी की उपलब्धियों को लेकर गदगद हैं। उन्होने कहा कि यदि प्रयोग को सहयोग मिला तो निश्चित रूप से कई समस्याएं खत्म होंगी। इसमें प्लास्टिक कचरे से लोगों को निजात मिलेगी। बिजली की भी समस्या हल होगी। मुझे अपनी बेटी के प्रयोग समाज के प्रति चिंतन पर नाज है।