बिलासपुर—- छत्तीसगढ़ ठेकेदार संघ पांच प्रमुख बिन्दुओं को लेकर आज नेहरू चौक में धरना प्रदर्शन किया। इस ठेकेदारों ने ठेकेदारों को लेकर शासन प्रशासन के नजरिए के खिलाफ जमकर बोला । ठेकेदारों ने कहा अव्यवहारिक नियमों के चलते कामकाज करना मुश्किल हो गया। शाशन प्रशासन को शर्त थोपने से पहले व्यवहारिक पक्षों की तरफ ध्यान देना होगा।
छत्तीसगढ़ ठेकेदार संघ पांच बिन्दुओं को लेकर आज नेहरू चौक में धरना प्रदर्शन किया। ठेकेदार संघ के पदाधिकारी संजीव तिवारी, राजा सिंह, सौरभ मिश्रा, आलोक सिंह ने इस दौरान ठेकेदारों पर थोपे गए अव्यवहारिक शर्तों की जमकर विरोध किया। इसके बाद सभी ठेकेदार सामुहिक रूप से कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। मुख्यमंत्री के नाम पांच सूत्रीय मांग दिया।
ठेकेदारों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि बाजार दर पर गौण खनिज रायल्टी की कटौती मंजूर नहीं है। यदि राजपत्र में प्रकाशित शर्तों और बाजार दर पर रायल्टी की कटौती होगी तो ठेकेदारो का काम करना मुश्किल हो जाएगा। ठेकेदारों ने बताया कि ठेकेदारों को जीएसटी समेत अन्य करों का भी भुगतान करना होता है। इसके अलावा पांच से दस साल तक निर्माण कार्यों का रखरखाव भी करना पड़ता है। ऐसी परिस्थिति में काम करना मुश्किल है।
ठेकेदारों ने बताया कि जलसंसाधन विभाग में निर्माण कार्यों का दस साल तक रखरखाव करना पड़ता है। जबकि लोक निर्माण विभाग में पांच साल तक रखरखाव की शर्त है। ऐसे शर्तों का संशोधन किया जाना बहुत जरूरी है। ठेकेदारों ने कहा कि लोकनिर्माण विभाग में निर्माण कार्यों का चेकिंग का प्रावधान है। लेकिन देखने में आया है कि निर्माण कार्य के बाद टेस्टिंग प्रक्रिया में बहुत देरी होती है। इसके लिए समय सीमा का निर्धारण किया जाना जरूरी है। जिसके चलते ठेकेदारों को सुरक्षा राशि के भुगतान में अनावश्यक देरी होती है।
ठेकेदारों ने बताया कि शासन ने बेरोजगार नवयुवकों को आनलाइन पंजीयन के माध्यम साल में पचास लाख रूपए का काम दिए जाने का निर्देश दिया है। सरकार की पहल का हम स्वागत करते हैं। लेकिन बेहतर होता कि बस्तर की ही तरह बिलासपुर में भी पचास लाख का निर्माण कार्य आनलाइन की वजाय आफ लाइन के जरिए दिया जाए।
नाराज ठेकेदारों ने मुख्यमंत्री के नाम प्रशासन को दिए मांग पत्र के माध्यम से बताया कि पीडब्लूडी में काम पूरा होने के बाद भी भुगतान में अनावश्यक विलंब किया जाता है। शासन से हमारी मांग है कि समस्या से जल्द से जल्द छुटकारा दिलाया जाए। अन्यथा संगठन को सड़क पर उतरने को मजबूर होना पड़ेगा।