बिलासपुरः देश के अन्य राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ में अब सरकारी अधिवक्ताओं को सेलरी की जगह मानदेय दिया जाएगा। अभी तक केवल मध्यप्रदेश,हरियाणा और छत्तीसगढ़ के ही सरकारी अधिवक्ताओं को वेतन दिया जाता है। एक जनवरी 2016 से् छत्तीसगढ़ के अधिवक्ताओं को सेलरी के स्थान पर मानदेय दिया जाएगा। यह बातें छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के महाधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा ने पत्रवार्ता में दी। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में भी जल्द ही इस प्रक्रिया अपनाएगा। हरियाणा में यह प्रक्रिया लागू हो सकती है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट शासकीय अधिवक्ताओं को अब वेतन की जगह मानदेय दिया जाएगा। सरकार ने सरकारी अधिवक्ताओं के निवेदन को मानते हुए मानदेय देने का निर्णय लिया है। मानदेय और अन्य भत्ताओं को मिलाने के बाद सरकार ने अधिकतम राशि भी कर दी है। कोई भी अधिवक्ता सीलिंग से अधिक वेतन हासिल नहीं कर सकता है।
सरकारी की सीलिंग पैटर्न से अधिवक्ताओं की अब बल्ले-बल्ले हो गए हैं। नये नियम के तहत अब महाधिवक्ता समेत तमाम शासकीय अधिवक्ताओं के मानदेय में 7 से 8 गुना की वृद्धि हुई है। आज छत्तीसगढ़ भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए महाधिवक्ता जे.के गिल्डा ने बताया कि मानदेय वृद्धि को लेकर तकरीबन 7 महीने पहले जो राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा गया था ।
सरकार ने उस पर मुहर लगा दी है। नया मानदेय साल के पहले महीने से ही लागू हो चुका है। महाधिवक्ता ने बताया कि नये सैलरी स्ट्रक्चर से एक तरफ जहां अधिक मानदेय का लाभ मिलेगा तो वहीं काम में कसावट भी आएगी। नये स्ट्रक्चर से शासन को साढे तीन करोड़ अतिरिक्त सालाना वित्तीय बोझ बढ़ जाऐगा।