बिलासपुर । कोविड – 19 के बढ़ते संक्रमण के चलते ऑनलाइन आयोजनों का चलन बढ़ गया है। लोग हर प्रकार के कार्यक्रमों को ऑनलाइन माध्यम से घर बैठे सम्पन्न कर रहे हैं । जिससे कोविड- 19 के नियमों का अनुपालन भी हो रहा है और लोग आसानी से कार्यक्रमों में शिरकत भी कर पा रहे हैं। इसी तारतम्य में आज डॉ अमिता की किताब “जन आंदोलन: कल और आज” का विमोचन रविवार को ऑनलाइन माध्यम से किया गया।
किताब की लेखिका डॉ अमिता, गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर में पत्रकारिता विभाग में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। डॉ अमिता अपने लेखों के माध्यम से वर्तमान परिदृश्य को प्रभावपूर्ण तरीके से उजागर करने के लिए जानी जाती हैं। डॉ अमिता नियमित रूप से स्तंभ, लेख आदि के माध्यम से अनेक पटल पर सक्रिय रहती हैं और अनेक युवाओं और पत्रकारों की प्रेरणास्रोत हैं। लेखिका ने इस किताब के माध्यम से समय – समय पर हुए जन आंदोलन और उनकी प्रासंगिकता के साथ साथ उनकी आवश्यकता को भी बखूबी बताया है । ष किताब में आपको 1857 से लेकर अब तक के प्रमुख जन आंदोलनों और आज जन आंदोलन की आवश्यकता क्या और क्यों है इसका उत्तर बखूबी मिलेगी, यह किताब not null के वेबसाइट पर ऑनलाइन उपलब्ध हो गयी है । जिसे आप बहुत ही कम कीमत पर खरीद सकते हैं,। जन आंदोलन के बारे में अच्छे से जानने और समझने के लिए उत्तम किताब है।
रविवार के पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में पुस्तक विमोचन के साथ साथ जन आंदोलन पर परिचर्चा का आयोजन भी हुआ जिसके मुख्य वक्ता श्री अरुण कुमार त्रिपाठी और डॉ कृपाशंकर चौबे रहे, कार्यक्रम का संचालन पुस्तक के प्रकाशक नीलाभ श्रीवास्तव ने किया।अरुण कुमार त्रिपाठी जी वरिष्ठ पत्रकार हैं और जन आंदोलन से निकले हुए व्यक्ति हैं साथ ही अपने लेखन से निरंतर समाज के तमाम पक्षों को उजागर कर रहे हैं । एक अच्छे शिक्षक के रूप में ख्याति लब्ध है साथ ही इनकी कई सारी किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। प्रोफेसर डॉ कृपाशंकर चौबे वर्तमान में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत है । इसके अलावा साहित्यकार पत्रकार के तौर पर भी प्रसिद्ध है और सरल व्यक्तित्व के धनी हैं प्रोफेसर कृपाशंकर चौबे की भी कई किताबें प्रकाशित हो चुकी है और वह देश के जाने-माने हस्तियों में शुमार हैं । नीलाभ श्रीवास्तव not null बुक के प्रकाशक और संस्थापक हैं तथा उन्होंने एक ऐसा मंच लेखकों के लिए तैयार किया है, जो वैश्विक परिदृश्य के लिए सरल सहज और आसान है । इन्होंने किताबों को डिजिटल मंच प्रदान किया जिसे लगभग 17 देशों में पढ़ा जाता है। देश तथा विदेश के महत्वपूर्ण पत्रकार साहित्यकार लेखकों की किताबें not nal पर उपलब्ध हैं जहां से आप इस किताब की ईबुक ले सकते हैं।