बिलासपुर—ज़िला कांग्रेस कमेटी ने कांग्रेस भवन में क्रांति दिवस मनाया। 1857 स्वतंत्रता आंदोलन में शहीद सैनिकों को अश्रुपूरित श्रध्दांजलि दी। इस मौके पर उपस्थिति नेताओं ने बारी बारी से 1857 के प्रथम स्वतंंत्रता आंदोलन पर अपने विचार रखे।
शहर अध्यक्ष नरेंद्र बोलर ने कहा कि अंग्रेजो के अत्याचार, बर्बरता, शोषण और तात्कालिक परिस्थितियो का परिणाम 1857 में पहला आंदोलन हुआ । इस आंदोलन ने ही 1947 की नींव डाली। 90 साल बाद देश आजाद हुआ। कार्यक्रम संयोजक सैय्यद ज़फ़र अली ने कहा कि मंगल पांडेय की फांसी ने सैनिकों के मन में अंग्रेजों के खिलाफ आक्रोश था । मेरठ छावनी के सूबेदार धन सिंह गुर्जर ने विद्रोह का नेतृत्व किया।
हरीश तिवारी ने कहा कि सैनिको के बीच इस बात को लेकर चर्चा थी क़ि हिन्दू सैनिको को गाय की चर्बी और मुसलमान सैनिको को सुअर की चर्बी वाले कारतूस प्रयोग के लिए दिया जा रहे हैं। साथ ही डलहौजी के हड़प नीति से शासक वर्ग असन्तुष्ट थे..सत्ता जाने का भय था । मुग़ल शासक बहादुर शाह जफर को लाल किला से बेदखल कर दिया गया था । संग्राम का नेतृत्व बहादुर शाह जफर ने किया। लेकिन समय से पहले आंदोलन होने से भारतीयों को असफलता हाथ लगी।
हरीश तिवारी ने बताया कि आंदोलन 2 वर्ष तक चला। उत्तर भारत में इसे सफलता भी मिली लेकिन दक्षिण भारत में स्थानीय शासको का सहयोग नहीं मिला।
पूर्व विधायक चन्द्र प्रकाश बाजपेयी ने कहा कि 1857 के आंदोलन से छत्तीसगढ़ भी अछूता नही रहा है । सोना खान के जमीदार वीर नारायण सिंह के नेतृत्व में शोषण करने वालों के खिलाफ युद्द लड़ा गया। शहीद वीर नारायण को जय स्तम्भ चौक रायपुर में फांसी दी गयी। ऐसे महान सपूत को नमन करता हूं। शिवा मिश्रा, शैलेंद्र जायसवाल, ऋषि पांडेय ने भी 1857 के आंदोलन और वीर शहीदों के जीवन पर प्रकाश डाला।