1947 में अग्रेंजों से लड़े…1975 में अपनों ने किया अत्याचार..उपासने ने कहा.26 जून को मनाएंगे संकल्प दिवस

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— लोकतंत्र स्वतंत्रता सेनानी संघ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने ने कहा कि प्रदेश सरकार मीसाबंदियों को लोकतंत्र सेनानी का दर्जा दे। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तरह मीसाबंदियों को भी सुविधाएं प्रदान करे। रायपुर में 26 जून को संकल्प दिवस पर मीसाबंदी और लोकतंत्र के लिए भूमिगत आंदोलन करने वालों के परिवार को सम्मानित किया जाएगा। इस दौरान नक्सली घटनाओं में शहीद हुए परिवार के सदस्यों को भी मान सम्मान दिया जाएगा।

             
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                                  लोकतंत्र स्वतंत्रता सेनानी संगठन के उपाध्यक्ष राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने ने कहा कि 26 जून को रायपुर में मीसाबन्दी के दौरान पीड़ित परिवार और आपातकाल का विरोध करने वालों को सम्मानित किया जाएगा। नक्सली घटनाओं में शहीद हुए परिवार के सदस्यों को भी मंच से मान सम्मान दिया जाएगा। पत्रकारों को उपासने ने बताया कि यद्यपि मीसाबन्दियों को प्रदेश में सम्मान निधि दी जा रही है। निश्चित रूप से यह बहुत कम है। जबकि मध्यप्रदेश में मीसबंदियों को सम्मान निधि सम्मानित तरीके से किया जा रहा है। उपासने ने बताया कि केन्द्र और राज्य में भाजपा सरकार है। हमारी मांग है कि आपातकाल को पाठ के रूप में इतिहास में शामिल किया जाए।

                    सवाल का जवाब देते हुए उपासने ने कहा कि 25 जून 1975 में आपातकात लगाया गया। आपातकाल के करीब 19 महीने बाद चुनाव में कांग्रेस की हार हुई। 21 मार्च 1975 को फिर से लोकतंत्र को पटरी पर लाया गया। आपातकाल में आम जनता को भारी परेशानियों से गुजरना पड़ा। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आदेश पर पत्र पत्रिकाओं का प्रकाशन बंद हो गया। विपक्षी नेताओं को 21 महीनों तक जेल में रहना पड़ा। लोग सरकार की तानाशाही से परेशान हो गए। 1947 के बाद जनता ने एक जुटता से कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा।

                                   कांग्रेस ने 1947 के आंदोलन को हथिया लिया। क्या 1975 मीसाबन्दी को 1947 के पैरलल खड़ा किया जा रहा है। सवाल का जवाब देते हुए सच्चिदानन्द ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है। 1947 में अंग्रेजों के खिलाफ देश ने जंग किया। लेकिन 1975 में अपनों ने ही अपनों पर जुल्म किया। इस दौरान कांग्रेस सरकार ने जनता परजमकर अत्याचार की। कई परिवार के मुखिया को जेल दिया गया। कई लोग पुलिस बर्बरता के शिकार हुए । कई लोगों की जेल में तो कई लोगों को जेल से बाहर प्रताड़ना से मौत हो गयी। 1975 को हथिया नहीं जा रहा है। बल्कि मीसाबन्दी जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो इस लिए 25 जून को विशेष रूप से याद किया जाना जरूरी है।

                           एक अन्य सवाल में  सच्चिदानंद ने बताया कि देश में आतंवाद और नक्सल घटनाओं पर रोक के लिए एक देश एक इलेक्शन की जरूरत है। यदि विधानसभा और लोकसभा का चुनाव एक साथ होता है तो देश में नक्सलवाद और आतंकवाद की घटनाओं में कमी आएगी। इन दावों में कितनी सच्चाई है कि वन कन्ट्री,वन इलेक्शन से आतंकी और नक्सली गतिविधियों में कमी आएगी। जबकि ऐसा ही कुछ नोटबंदी के समय बोला गया था। सवाल के जवाब में उपासने ने कहा व्यर्थ व्यय,सुरक्षा व्वस्था में असुरक्षा की भावना से छुटकारा मिलेगा। जाहिर सी बात है कि आतंकी नक्सली गतिविधियों पर अंकुश लगेगा। चुनाव भी शांति पूर्ण होगा।

             उपासने ने कहा कि रायपुर में 26 जून को संकल्प दिवस मनाया जाएगा। सभी मीसाबंदी पीड़ित परिवार और नक्सल समस्या से परेशान परिवारों को सम्मानित किया जाएगा। कार्यक्रम में प्रदेश के मुखिया डॉ.रमन सिंह,विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल समेत वरिष्ठ नेताओं के अलावा गणमान्य लोग शामिल होंगे। आपातकाल की घटनाओं और संस्मरण स्मारिका नव स्वातंत्र्य का विमोचन किया जाएगा। उपासने बताया कि हम जल्द ही केन्द्र सरकार से राष्ट्रीय स्तर पर सेनानियों को सूचीबद्ध कर प्रमाण पत्र दिए जानेी की मांग करेंगे।

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