नईदिल्ली।1984 सिख दंगा के दौरान दिल्ली कैंट इलाके में 5 सिखों की हत्या मामले में सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने सज्जन कुमार को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि वो 31 दिसम्बर 2018 तक पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दें. इसके साथ ही कोर्ट ने अन्य दो आरोपियों की सज़ा तीन साल से बढ़ाकर दस साल कर दी है. कोर्ट ने आदेश पढ़ते हुए कहा, ‘1947 की गर्मियों मे विभाजन के दौरान भयंकर नरसंहार हुआ था जिसमें बहुत सारे लोग मारे गए. उस घटना के ठीक 37 साल बाद दिल्ली एक बार फिर से ऐसे ही नरसंहार का गवाह बना. आरोपी ने इस मामले में राजनीतिक संरक्षण का फ़ायदा उठाया और जांच से बच गए.’
बता दें कि इससे पहले निचली अदालत ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी कर दिया था जबकि अन्य पांच आरोपियों को दोषी करार दिया था. जिसके बाद CBI (केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो) ने निचली अदलात के फ़ैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
बता दें कि यह मामला 1 नवंबर 1984 को दिल्ली कैंट इलाके के राजनगर इलाके में हुई पांच सिखों की हत्या से जुड़ा है. सीबीआई की दलील है कि ‘सज्जन कुमार को बरी किये जाने का निचली अदालत का फैसला ग़लत है क्योकि सज्जन कुमार ने दंगो के दौरान भीड़ को सिखों के क़त्लेआम के लिए उकसाया था. सीबीआई के मुताबिक ये सभी दोषी ‘सुनियोजित सम्प्रदायिक दंगे’ और ‘धर्म विशेष के खात्मे’ की साजिश में शामिल थे.
हाई कोर्ट का यह फैसला 1 नवंबर 1984 को राजनगर इलाके में रहने वाले एक ही परिवार के पांच सदस्यों केहर सिंह, गुरुप्रीत सिंह, रघुवेन्द्र सिंह, नरेंद्रपाल सिंह, कुलदीप सिंह की हत्या के मामले में आना है. इस ममाले में नानावती कमीशन की सिफारिश के आधार पर साल 2005 में सज्जन कुमार और बाकी के खिलाफ केस दर्ज किया गया था.