मेरी नज़र में...

21 फरवरी तृतीय पुण्यतिथि: प्रयोगधर्मी रंगकर्मी थे दादा मनीष–केशव शुक्ला

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

प्रयोगधर्मी रंगकर्मी थे काव्यभारती के दादा मनीष दत्त।उन्होंने गीत-संगीत- नृत्य नाटिका का सृजन किया।मनीष दत्त जी के कृतित्व और व्यक्तित्व का फलक विस्तृत है।उनके द्वारा कम्पोज की गई गीत-संगीत-नृत्य नाटिका आज कला जगत की अनमोल धरोहर है।
मैं लेखन एवं पत्रकारिता की दुनिया में सन् 1970 से ही आ गया था।साहित्य और कला में रुचि होने के कारण साहित्यकारों एवं रंगकर्मियों के करीब भी आया।
हमारे शहर के तब नामी रंगकर्मियों में नाट्य चक्र के सुनील मुखर्जी,काव्यभारती के मनीष दत्त,जवाहर बघेल, मधुकर वाशिंग,देवेंद्र दलेला आदि थे जिनके द्वारा कार्यशाला लगाई जाती थी, नाटकों का मंचन किया जाता था।उस समय साहित्य और कला की दृष्टि से शहर परिपूर्ण था।दादा मनीष दत्त के आयोजन एकदम अलग हटके होते थे।मुझे उनकी नृत्य नाटिकाएं बेहद आकर्षित किया करती थीं।मैं उनसे बातचीत करना चाहता था पर तब मैं किसी अख़बार को ज्वाइन नहीं किया था।
मैंने सन् 1984/85 में श्रमजीवी पत्रकारिता आरंभ की। एक दिन संपादक जी ने कहा- आपको मनीष दत्त जी का इंटरव्यू लेना है।मुझे तो मन मांगी मुराद मिल गई।
मैं दादा मनीष दत्त जी के निवास पर पहुंचा।तब वे बृहस्पति बाजार के समीप मेन रोड से छत्तीसगढ़ स्कूल की ओर जाने वाली सड़क पर एक पुराने से मकान में निवास करते थे।मैंने देखा कि घर सन्नाटे में डूबा हुआ था।प्रशिक्षार्थी तो क्या वहां एक पंछी तक नहीं दिखाई दिया।मैंने दरवाजे से आवाज़ लगाई तो एक दुबले पतले लंबे से शख़्स दिखाई दिए।बड़े उदास से,मुरझाए हुए ,वे मुझसे पूछे -कैसे आये हैं?मैंने जब इंटरव्यू लेने की बात की तो वे बोले क्या बताऊं आपको?आप भी कुछ उल्टी-सुलटी बात पूछ लीजिए।उस समय वे अवसाद में डूबे से लगे।
मैं उनके प्रदर्शनों की बात पूछने लगा तब धीरे-धीरे उनके चेहरे की रंगत लौटने लगी।सन् 1952 से उनका रंगकर्म शुरू हुआ।उन्होंने हिंदी साहित्य जगत के महान रचनाकारों की कृतियों को नृत्य नाटिका के रूप में मंचस्थ किया।उनमें महादेवी वर्मा,वीरेंद्र मिश्र, अज्ञेय, निराला,नीरज,नवीन, विद्यापति,भवानी प्रसाद मिश्र, मुकुटधर पांडेय,बिहारी,तुलसी सूरदास आदि की रचनाओं को संगीतबध्द,नृत्यबध्द और रूपक बद्ध किया।
उल्लेखनीय है कि दादा मनीष दत्त इलाहाबाद जाकर महादेवी वर्मा जी के निवास पर जब अपनी संगीत रचनाओं को सुनाया तो उन्हें सुनकर महादेवी वर्मा जी अभिभूत हो गईं और भावुक स्वरों में कहा-” हिंदी के गीतात्मक रचनाओं को रूपक में बांधकर आप सर्वथा नई विधा का सृजन कर रहे हैं।”
कनुप्रिया (धर्मवीर भारती)तुम मुझमें प्रिय(महादेवी वर्मा)भटका मेघ(श्रीकांत वर्मा)मधुशाला(हरिवंश राय बच्चन)वैदेही (रामचरित मानस आधारित)रामी चंडीदास,अभिज्ञान शाकुंतलम्,जूही की कली,झांसी की रानी आदि की मंचीय शैली निर्मित कर एक अभिनव प्रयोग प्रस्तुत किया जिसे कला जगत में बेहद सराहना मिली।
दादा मनीष दत्त बेहद सरल, ईमानदार व्यक्ति रहे हैं।कला के प्रति उनका समर्पण प्रगाढ़ था।उनकी सरलता का फायदा उठाकर कतिपय लोगों ने उन्हें बदनाम किया।इससे वे बुरी तरह टूट गए थे जिस समय मैं उनसे साक्षात्कार लेने पहुंचा था।
मेरा वह इंटरव्यू छह कालम में बाई लाइन छपा जिसका शीर्षक था-” किसी को हो न सका, उसके कद का गुमां/वो आसमान है फिर भी सर झुकाए बैठा है ।”इस इंटरव्यू की साहित्य एवं कला जगत में भारी चर्चा हुई।
इस इंटरव्यू के बाद दादा मनीष दत्त ने अपनी खोई हुई ऊर्जा पुनः समेटी और दूसरी ज़बरदस्त पाली शुरू कर दी।उन्हें रेंट कंट्रोल का आवास भी मुंगेली नाका के पास मिला।प्रस्तुतियों पर अनेक पुरुस्कार भी उन्हें प्राप्त हुए।उनके कंपोज किये कुछ ग्रामोफोन के रिकार्ड भी रहे हैं।वे सँभवतः अभी भी सुरक्षित होंगे।
“दादा मनीष दत्त” जी की तृतीय पुण्य तिथि 21 फरवरी 2023 को मनाई जाएगी। श्रद्धासुमन अर्पित करने एवं उनकी कला एवं संगीत साधना के अमूल्य योगदान पर बनी डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म के प्रदर्शन,मनीष दत्त सम्मान, परिचर्चा, स्मरण श्रद्धांजलि एवं पुष्पांजलि समारोह का आयोजन किया जा रहा है ।यह आयोजन लखीराम अग्रवाल स्मृति , सभागार,बिलासपुर में शाम 6 बजे से आरंभ होगा।यह जानकारी आयोजक पूर्व विधायक चंद्रप्रकाश बाजपेयी जी ने दी है।
उन्होंने यह भी बताया है कि पद्मश्री अनूप जलोटा जी को मनीष दत्त सम्मान 2023 से और असित चटर्जी तथा अनिल दुबे को काव्य भारती सम्मान से नवाजा जाएगा।

केशव शुक्ला
पत्रकार कॉलोनी
रिंग रोड क्रमांक-2
गौरव पथ
बिलासपुर
छत्तीसगढ़


Back to top button
close

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker