बिलासपुर— शुक्रवार दोपहर को जिला शिक्षा अधिकारी ने कलेक्टर के निर्देश के बाद सालों साल से अंगद की पांव की तरह जमे बाबूओं का टेबल बदल दिया है। लम्बे अर्से शायद पहली बार विभाग की अराजकता को रोकने प्रशासन ने शिक्षा विभाग के बाबुओं की मनमानी रोकने सख्त कदम उठाया है। बताते चलें कि गुरूवार को कलेक्टर डॉ.संजय अलंग ने लगातार मिल रही शिकायतों के बाद डीईओ को सभी बाबुओं का 24 घंटे के अन्दर कार्यभार बदलने को कहा था। साथ ही अवगत कराने का निर्देश भी दिया था।
कलेक्टर के सख्त निर्देश के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने सालों से एक ही टेबल पर जमें बाबुओं के कार्यभार में परिवर्तन कर दिया है। कार्रवाई को लेकर विभाग में दिनभर जमकर चर्चा रही । कार्रवाई के बाद शुक्रवार को बदले माहौल में विभाग का नजारा काफी दहशत में नजर आया। बताते चलें कि विभाग के कई बाबू करीब 19 साल से एक ही टेबल पर जमे हुए थे। जो शासन के लिए काफी चुनौती साबित होते जा रहे थे।
24 घंटे बाद कार्यालय पहुंचे शिक्षकों को कुछ समझ नहीं आया कि आखिर विभाग का माहौल काफी शांतिपूर्ण क्यों है। बहुत देर तक शिक्षकों को यह भी समझ नहीं आया कि आखिर विभाग का नजारा बदला बदला सा क्यों है। बाद में जानकारी मिली कि कलेक्टर के फटकार और सख्त निर्देश के बाद डीईओ को मजबूर होकर लोगों के कार्यभार में परिवर्तन करना पड़ा है।
बताते चलें कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में कुछ बाबू लंबे समय से अंगद की पांव की तरह जमें हैं। अपने प्रभाव के बल पर एक ही प्रभार को लम्बे समय से संभाल रहे हैं। इसके चलते बाबू इतने प्रभाव शाली हो चले थे कि अपने आधिकारो का गलत फायदा उठाने से गुरेज नहीं कर रहे थे। इतना ही नहीं अधिकारियों के आदेश को भी अनसुनी करने से बाज नहीं आते थे।
बताते चलें कि फेरबदल से सबसे ज्यादा आहत कार्यलय के सबसे प्रभावशाली बाबू का हुआ है। जिसके चलते ही कलेक्टर को सख्त निर्देश देना पड़ा है। जिसके कारण विभाग की बदनामी भी हो रही थी।
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में हुए फेरबदल के बाद ऐसे लोगों में दहशत फैल गयी है कि जो लम्बे समय से संलग्नीकरण का फायदा उठा रहे हैं। संलग्नीकरण के मौखिक आदेश के दम पर जिला कार्यालय आज तक अधिकारियों को उंगली पर घुमा रहे हैं। ऐसे कुछ शिक्षको को फेरबदल की कार्रवाई से फिलहाल दूर रखा गया है। लेकिन चर्चा है कि उन पर कभी भी एक्शन लिया जा सकता है। यह जानते हुए भी ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति पठन पाठन के लिए हुई है। लेकिन लंबे समय से पढ़ाने लिखाने के कार्य को दरकिनार रख कार्यलय में अफ़सरशाही का सुख भोग रहे हैं।