25 गाय की मौत…सिस्टम से आए अलग अलग जवाब…आखिर कौन सही-कौन गलत…यानी लीपा पोती का खेल शुरू

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— सिस्टम यानि तंत्र एक…सवाल भी एक..लेकिन जवाब जुदा जुदा….। पिछले 24 घंटों के दौरान गौठान में 25 गाय की मौत के बाद घटना पर एक सवाल के अलग अलग जवाब मिले हैं। पूरे घटनाक्रम में गायों की मौत की जिम्मेदारी तय नहीं हो पायी है। कलेक्टर से लेकर सचिव तक सभी पूरा सिस्टम गायों की मौत को लेकर अलग अलग जानकारी दे रहे हैं। अब तो सवाल यह भी उठने लगे हैं कि जिस जगह गायों की मौत हुई है वहां गौठान है भी या नहीं। बहरहाल पूरे घटनाक्रम मे संकेत इस बात के जरूर मिल रहे हैं कि मामले में लीपा पोती जरूर शुरू हो गयी है।

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                       सोन लोहर्सी मेंं 25 गायों की मौत के बाद प्रशासन की तरफ से अलग अलग बयान आ रहे हैं। मजेदार बात है कि सभी जवाब एक दूसरे को झूठा साबित कर रहे हैं। घटना के बाद कलेक्टर ने तो साफ इंकार कर दिया कि जिस स्थान पर गायों की मौत हुई है…ऐसे स्थान को गौठान कहा नहीं जा सकता है। क्योंकि जबरदस्ती गायों को ताले के अन्दर रखा नहीं जा सकता है। मौके पर आवारा पशुओ को रखा गया है। उन्हीं की मौत हुई है। चूंकि गौठान में रात को पशु रखना मना है ऐसी सूरत में जिस स्थान पर गायों की मौत की बात हो रही है वह स्थान गौठान की परिभाषा में है ही नहीं। लेकिन कलेक्टर ने यह नहीं बताया कि गौठान का निर्माण प्रशासन की निगरानी में हुआ है। ऐसे में उस स्थान को गौठान क्यों नहीं कहा जा सकता है। सवाल यह भी है कि यदि गौठान में पशुओं को ताले के अन्दर रखा गया तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है। कुल मिलाकर कलेक्टर ने घटना स्थल को गौठान होने से ना केवल इंंकार किया बल्कि यह भी बताया कि गायों की मौत के लिए प्रशासन जिम्मेदार नहीं है। ल

                 वहीं मामले में एसडीएम मस्तूरी मोनिका मिश्रा ने बताया कि गायों की मौत की संख्या को कुछ ज्यादा ही बताया जा रहा है। उन्होने कहा कि मरने वाली गायों की कुल संख्या आठ है। लेकिन गायों की मौत गौठान से बाहर हुई है। मोनिका ने कहा कि किसी भी गाय की मौत गौठान के अन्दर नहीं हुई है। मौत के लिए भी हम जिम्मेदार नहीं है। लेकिन जिम्मेदार लोगों का पता लगाएंगे। उन्होने यह भी कहा कि यदि गौठान में गायों की मरने की पुख्ता सबूत हो तो हमें दें। उन्हें जब बताया गया कि हमारे पास ना केवल सबूत है। बल्कि इस बात के भी प्रमाण है कि मरने वाली गायों की संख्या 25 हैं और उन्हें गौठान से निकालकर बाहर इधर उधर फेंका गया। बावजूद इसके उन्होने नहीं माना कि गायों की मौत गौठान में हुई है। लेकिन उन्होने इस बात को जरूर स्वीकार किया कि लोहर्सी में गौठान हैं।

                                      इसके विपरीत जनपद सीईओ जोगी ने बताया कि गायों की मौत गौठान में ही हुई है। लेकिन मौत के कारणों की जानकारी अभी तक हासिल नहीं है। जोगी ने यह भी बताया कि मरने वाली गायों की संख्या 15 से अधिक है। कुछ मृत गाय गौठान के अन्दर तो कुछ बाहर पाए गए हैं। जाहिर सी बात है कि इन्हें मारा गया है। गौठान में सभी प्रकार की व्यवस्था है। अज्ञात आरोपी गायों की मौत के लिए जिम्मेदार है। पचपेढ़ी थाना में एफआईआर दर्ज किया गया है।

               जोंधरा और लोहर्सी के सचिव धनीराम कुर्रे ने जानकारी दी कि मरने वाली सभी गाय गौठान की है। ट्रैक्टर से सभी गायों को बाहर निकाला गया है। प्रशासन को इस बात से अवगत भी कराया गया था। प्रशासन के ही आदेश पर मृत गायों को ट्रैक्टर से बाहर निकाला गया। बाद भी सभी को जमीन में दफनाया गया। धनीराम की माने तो गायों के लिए गौठान में खाने की व्यवस्था नहीं थी। शायद इसलिए ही उनकी मौत हुई है। गौठान देखरेख की जिम्मेदारी सरपंच हो। मृत गायों को पुलिस की उपस्थिति में गौठान से हटाया गया है।

                                                  कुल मिलाकर गाय की मौत को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है। कलेक्टर कहते हैं कि जहां गायों को ताले के अन्दर रखा जाए वह गौठान नहीं हो सकता है। मरने वाली सभी गाय आवारा हैं। गौठान से उनका कुछ लेना देना नहीं है। मोनिका मिश्रा ने जरूर माना कि गौठान में गायों की मौत हुई है लेकिन संख्या अधिक बताई जा रही है। सीईओ ने स्वीकार किया कि मरने वाली गाएं गौठान से हैं। सचिव ने कबूल किया कि गायों को गौठान से पुलिस की निगरानी में ट्रैक्टर से हटाया गया है।

                          कुल मिलाकर एक सवाल के अनेक जवाब मिल रहे हैं। सभी जवाब एक दूसरे को झूठा बता रहे हैं। जाहिर सी बात है कि गायों की मौत को दबाया जा रहा है। प्रशासन मानने को तैयार नहीं है कि गौठान में तैनात कर्मचारी और सिस्टम  के अधिकारी ही गायों की मौत के लिए जिम्मेदार हैं।

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