बिलासपुर— नगपुरा मोंगरा बाई ने आरोप लगाया है कि बिल्हा के अधिकारियों ने चालिस हजार रूपए नहीं देने पर उसकी बेटी की जगह दुसरी महिला को आंगनबाड़ी सहायिका बना दिया। मोगंरा बाई ने बताया कि नगपुरा आंगनबाड़ी सहायिका पद पर उसकी बेटी का चयन हुआ था। अधिकारियों ने वेरिफिकेशन के बाद चालिस हजार रूपए की मांग की। रूपए नहीं दिये जाने पर दूसरी महिला को आंगनबाड़ी सहायिका बना दिया। महिला ने सिटी मजिस्ट्रेट को बताया कि बिल्हा एसडीएम ने अभी तक उसके आवेदन का जवाब नही दिया है।
कलेक्टर जनदर्शन में पहुंची बिल्हा विकासखंड की नगपुरा निवासी मोंगरा बाई ने बताया कि यदि चालिस हजार रूपए दे देती तो उसकी बेटी आज नगपुरा आंगनबाड़ी केन्द्र में सहायिका होती। महिला ने एसडीएम वैद्य पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले आठ महीने से मामले की जानकारी मांग रही है। लेकिन एसडीएम ने देने से इंकार कर दिया है।
नगपुरा निवासी मोगरा बाई सूर्यवंशी ने सिटी मजिस्ट्रेट को जनदर्शन मे बताया कि गांव में आंगनबाड़ी सहायिका के पद के लिए पिचले साल विज्ञापन निकला था। सहायिका पद के लिए उसकी बेटी चित्रलेखा सूर्यवंशी का चयन किया गया। चयन सूची में नाम आने के बाद अधिकारियों ने चित्रलेखा के प्रमाण पत्रों और दस्तावेजों का वेरिफिकेशन किया था। लेकिन आदेश पत्र किसी दूसरी लड़की को थमा दिया। मामले की शिकायत जुलाई 2016 में कलेक्टर से जनदर्शन में की…लेकिन आज तक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई।
मोंगरा बाई ने बताया कि मामले में बिल्हा एसडीएम कार्यालय में चयनसूची की जानकारी मांगी। लेकिन अधिकारियों ने जानकारी देने से इंकार कर दिया। आवेदन में नवनियुक्त सहायिका के दस्तावेज दिखाने को कहा था। लेकिन आज तक जानकारी नहीं दी गयी है।
महिला ने बताया कि वेरिफिकेश के बाद उसकी बेटी का चयन किन कारणों से नहीं हुआ। एसडीएम ने मामले में कुछ भी बताने से इंकार कर दिया है। महिला ने सिटी मजिस्ट्रेट से बताया कि जब तक उसके आवेदन को मार्क नहीं किया जाता है वह जनदर्शन से नहीं जाएगी।
आखिर में मोंगरा बाई की जिद के सामने झुकते हुए विरेन्द्र लकड़ा ने बिल्हा एसडीएम से बातचीत के बाद महिला के आवेदन को मार्क कर एसडीएम वैद्य के सामने पेश करने को कहा।
महिला ने पत्रकारों को बताया कि वह बहुत गरीब है। अधिकारियों ने वेरिफिकेशन के समय 40 हजार रूपए मांगे थे। कहीं से कर्ज लेकर रूपए दे दिए होते तो बेटी आज आंगनबाड़ी सहायिका होती । मोंगरा बाई के अनुसार दूसरी युवती ने आंगनबाड़ी सहायिका बनने के लिए अधिकारियों को चालिस हजार रूपए दिए हैं। महिला ने बताया कि मामले की शिकायत जुलाई 2016 में जनदर्शन कार्यक्रम में कलेक्टर से की थी।