48 हजार शिक्षाकर्मी बदहाली का जीवन जीने को मजबूर क्यों..?प्रदीप पांडे ने कहा-कब तक वर्ष बंधन झेलेंगे शिक्षाकर्मी…?

Shri Mi
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बिलासपुर।
शनिवार को छत्तीसगढ़ पंचायत नगरीय निकाय शिक्षक संघ जिला इकाई बिलासपुर के जिला मीडिया प्रभारी प्रदीप पाण्डेय ने बताया कि आखिर क्यों हैं 48000 शिक्षाकर्मी(शिक्षक पंचायत संवर्ग) बदहाली में जीवन गुजारने को मजबुर।वर्ष बंधन का दंश आखिर कब तक झेलेंगे हमारे साथी।प्रदीप पाण्डेय का यह मैसेज सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है।जिसे हम यहाँ जस का तस प्रकाशित कर रहे है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करे

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अपनी पोस्ट में प्रदीप ने कहा कि छत्तीसगढ़ में शिक्षाकर्मियों के संविलियन को मध्यप्रदेश से प्रेरित बताया जाता है लेकिन दोनों राज्यों के संविलियन मॉडल को देखा जाए तो जमीन आसमान का अंतर है।जहां मध्यप्रदेश में परिवीक्षा अवधि पूर्ण कर चुके समस्त अध्यापक संवर्ग का संविलियन किया गया है।वहीं छत्तीसगढ़ में 8 वर्ष का बंधन रख दिया गया है।

वेतनमान में भी दोनों राज्यों में काफी अंतर है आखिर ऐसा क्यों है..?हमारे 48 हजार साथी आज बदहाली की जिंदगी जीने को मजबुर हैं उन्हें ना तो समय पर वेतन मिल पा रहा है और ना ही अन्य सुविधाएं।

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भगवान ना करे यदि हमारे इन साथियों के साथ कोई दुर्घटना हो जाती है तो वे सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली अन्य सुविधाओं से वंचित हो जाएंगे।आखिर इनका गुनाह क्या है..?क्या देर से नौकरी पाकर इन्होंने कोई अपराध कर दिया है जिसकी सजा इन्हे मिल रही है।

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे संविलियन में इन साथियों का भी बड़ा योगदान है। परिवीक्षा अवधि वाले साथियों को भी हम यह कह कर आंदोलन में लाया करते थे कि हम सब एक हैं,आप चिंता ना करें हम आपके साथ हैं,तो आज भी हमें यह कहना होगा हम सब एक है आप चिंता ना करें हम आपके साथ हैं।

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अंत मे प्रदीप ने लिखा कि इस पोस्ट के माध्यम से मैं संविलियन प्राप्त कर चुके समस्त साथियों से अपील करता हूं कि इस जुलाई में होने वाले संविलियन में हम सब हमारे इन साथियों के साथ खड़े हो जाएं और संविलियन से वंचित 48 हजार साथियों का एक साथ संविलियन करवाएं और उनसे नज़रे चुराकर इंतजार करने का आश्वासन ना देते हुए नज़रें मिलाकर कहें -हम सब एक हैं।

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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