बिलासपुर—- सीपत उपतहसील के ग्राम कारिछापर के ट्रस्ट पर जमीन चोरो ने कब्जा कर लिया है। नींद से जागा निगम प्रशासन ने शिकायत के बाद टीम तैयार सीमांकन का आदेश दिया है। मौके पर पहुंचकर आरआई पटवारियों ने सीमांकन की प्रक्रिया भी शुरू कर दिया है। लेकिन चर्चा का विषय जरूर है कि बिना अधिकारियों के सहयोग से देवकीनंदन ट्रस्ट कमेटी की जमीन पर कब्जा संभव नहीं है। बहरहाल निगम प्रशासन ने ट्रस्ट की जमीन पर गैरवाजिब लोगों को हटाने का मन फिलहाल बना लिया है।
सीपत उप तहसील के ग्राम कारिछापर स्थित देवकीनन्दन ट्रस्ट कमेटी नगर निगम बिलासपुर के 77 एकड़ जमीन पर सीमांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जमीन के ज्यादातर हिस्सो पर ग्रामीणों ने अवैध कब्जा कर लिया है। भूमि सीमांकन के लिए अतिरिक्त तहसीलदार सीपत ने सात सदस्यी टीम का गठन किया है। टीम में 5 पटवारी और 2 आरआई को शामिल किया गया है। टीम नगर निगम के साथ मिलकर सीमांकन की प्रक्रिया को अंजाम देगी।
जानकारी देते चलें कि दानवीर पंडित देवकीनंदन दीक्षित ने ग्राम पंचायत जुहली के आश्रित ग्राम कारिछापर स्थित निजी स्वामित्व की 76 एकड़ 87 डिसमिल जमीन थी। पंडित दीक्षित आजादी के पहले साल 1943 में करीब 77 एकड़ जमीन को जनहित में तत्कालीन नगर पालिक निगम परिषद वर्तमान में नगर निगम बिलासपुर को दान में दिया।
दान दी गयी जमीन का उपयोग निगम प्रशासन हर तीन वर्ष में धान की खेती के लिए इस्तहार प्रकाशित करता है। इच्छुक किसान गांव में ही अमानत राशि जमा कराकर आम नीलामी में शिरकत करता है। जमीन पर तीन साल तक खेती करता है। पैदावार का फायदा निगम प्रशासन के साथ किसान को भी मिलता है।
लेकिन धीरे-धीरे नगर निगम के अधिकारियों ने जमीन का देखरेख करना छोड़ दिया। मौके का फायदा उठाकर करीब 77 एकड़ जमीन पर जमीन चोरों ने प्रायोजित तरीके से जमीन की चोरी करना शुरू कर दिया। मतलब जमीन पर अतिक्रमण शुरू हो गया।
वर्तमान स्थिति में दान की अधिकांश जमीन पर ग्रामीणों के बहाने जमीन चोरों ने कब्जा कर लिया है। कुछ लोगो ने तो भारी भरकम राशि खर्च कर मकान भी बना लिया है। इतना ही नहीं निगम के नाक के नीचे जमीन का बहुत बड़ा हिस्सा जमीन चोरों ने बेंच भी दिया है। खबर के बाद सीपत तहसीलदार ने सीमांकन का आदेश दिया है। टीम का भी गठन किया है। सीमांकन का काम शुरू भी हो गया है।
78 साल बाद जागा निगम अमला
पंडित देवकीनंदन दीक्षित ने जनहित में आजादी के पहले साल 1943 में 77 एकड़ जमीन को तात्कालीन नगर पालिक परिषद को दान में दिया था। आज भी राजस्व रिकार्ड में 77 एकड़ जमीन का मालिक नगर पालिक निगम बिलासपुर है। बेशकीमती जमीन से निगम को हर वर्ष धान के फसल के माध्यम से लाखों रुपये का राजस्व प्राप्त हो सकता है। लेकिन निगम के अधिकारीयो ने कभी भी इस तरफ ध्यान नहीं दिया। जाहिर सी बात है कि इसका फायदा जमीन चोरों ने उठाया। जिसके कारण देखते ही देखते 77 एकड़ जमीन गायब हो गयी।
कमिश्नर ने की सीमांकन की मांग
सीपत अतिरिक्त तहसीलदार तुलसी राठौर ने बताया की जमीन सीमांकन करने के लिए बिलासपुर नगर पालिक निगम आयुक्त का पत्र मिला है। राजस्व प्रशासन ने भी सीमांकन का आदेश दिया है। आदेश पर अमल करते हुए सीमांकन के लिए सात सदस्यीय टीम का गठन कर मौके पर भेजा गया है। टीम में 5 पटवारी और दो राजस्व निरीक्षकों को रखा गया है। सीमांकन प्रक्रिया में राजस्व के साथ नगर निगम की टीम भी शामिल है। कारिछापर स्थित देवकीनन्दन ट्रस्ट की जमीन का सीमांकन के बाद रिपोर्ट पेश किया जाएगा। इसके बाद उचित कार्रवाई भी होगी। फिलहाल ट्रस्ट की ज्यादातर जमीन पर कब्जा लोगों ने कब्जा कर लिया है।
जमीन ग्रामीणों के कब्जे में लेकिन खाली
सीपत अतिरिक्त तहसीलदार तुलसी राठौर,नायब तहसीलदार नीलिमा अग्रवाल की अगुवाई में सीपत आरआई प्रदीप शुक्ला,अब्दुल कादिर खान और नगर निगम इंजीनियर जुगल किशोर के साथ पटवारियों ने कारिछापर पहुँचकर जमीन का निरीक्षण किया। ग्रामीणों की उपस्थिति में पहले ही दिन दो एकड़ भूमि का सीमांकन किया गया। बताते चलें कि दान की 77 एकड़ जमीन गांव के अलग अलग स्थानों पर है। लगभग 150 के आसपास खसरा नम्बर है। बारिश के दिनों में सीमांकन करना चुनौती पूर्ण काम होता है।