82 के बनवारी 28 साल बनकर चढ़ेंगे अपर बर्थ पर..क्योंकि अमिताभ ने भी कहा है…सच्चाई किताबों का फलसफा

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर– त्रिशूल फिल्म अमिताभ की कामयाब फिल्मों से एक है। इसके गाने तो आज भी लोगों की जुबान पर है। एक गाना रेलवे प्रशासन पर पूरी तरह से फिट बैठता है। गाना के बीच में एक लाइन कुछ तरह है…जब अमिताभ गुनगुनाते हैं कि…किताबों में छपते हैं  चाहत के किस्से…हकीकत की दुनिया में कुछ भी नहीं है…बेकार,बेकाम की चीज है। गाना सुनते ही लोग कुछ लोग गमगीन तो कुछ लोग सोचने को मजबूर हो जाते हैं। बहरहाल इसकी बानगी कहीं देखने को मिले या ना मिले..रेलवे में जरूर मिल जाता है।

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                           रेलवे प्रशासन ने लिखित में माना है..बताया है…कहा भी है..कि सीनियर सिटीजन को यात्रा में अपर बर्थ कभी नहीं दिया जाएगा। मांग पर उन्हें लोअर बर्थ ही दिया जाएगा। लेकिन शहर से गहरा ताल्लुकात रखने वाले एक सम्मानित व्यक्ति को बिलासपुर से हवाड़ा और हावड़ा से बिलासपुर लौटने की दोनो ही टिकट अपर बर्थ का दिया गया है। सीनियर सिटीजन ने बताया कि उन्होने लोअर बर्थ की मांग की थी। लेकिन उनका सुनने वाला कौन है।

             82 साल के बनवारी लाल अग्रवाल लोरमी के रहने वाले हैं। उन्होने ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस से 11 जुलाई को हावड़ा के लिए एसी के तीन टिकट कटवाए। इनमें से तीनों यात्रियों को अलग अलग बर्थ रेल प्रशासन ने अलाट किया। टिकट में स्पष्ट है कि बनवारी लाल अग्रवाल की उम्र 82 साल है। बावजूद इसके उन्हें और उनके साथी यात्रियों को अपर बर्थ अलाट किया गया। मजेदार बात है कि बनवारी लाल अग्रवाल के अलावा अन्य यात्रियों की उम्र 50 साल के ऊपर है।

                            मजेदार बात है कि 13 जुलाई को हावड़ा मुंबई मेल की रिटर्न टिकट में बनवारी लाल को अपर बर्थ ही दिया गया है। यहां भी रेल प्रशासन ने होश हवास के साथ बनवारी की उम्र तो सही लिखा है। लेकिन बर्थ लोअर की अपर अलाट किया है। अग्रवाल की मानें तो उन्होने टिकट काउंटर पर उम्र का जिक्र किया। लेकिन किसी ने एक नहीं सुनी।

                         बनवारी लाल के साथ यात्रा करने वाले परिजनों ने बताया कि नियम तो बहुत हैं। लेकिन कोई अमल करने को तैयार नहीं है। बात रखने पर अपमानित होना पड़ता है। अब रेलवे अधिकारियों को कौन समझाएं कि 82 साल की उम्र में अपर बर्थ पर चढ़ना कितना मुश्किल होता है। हो सकता है उन्हें नियम कायदे की जानकारी ना हो..लेकिन घर में कोई बुजुर्ग तो जरूर होगा। यदि नहीं है तो नियम खत्म करो..। क्योंकि बहुत पीड़ा होती है।

             मतलब साफ है कि त्रिशूल फिल्म में अमिताभ बच्चन सही गुनगुना रहे थे..कि किताबों में छपे नियम कायदे कानून और किस्से धरातल से कोसों दूर है। सच्चाई केवल इतना ही है कि 82 साल के बनवारी लाल को 28 साल के लड़़कों की तरह फूर्ती के साथ अपर बर्थ पर चढ़ना ही होगा। अंजाम चाहे जो कुछ भी हो।

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