अमर अग्रवाल का ब्लॉग:लिखा कैसे बचेगी आरपा नदी,पौधरोपण और चेकडेम बनाने सहित सुझाए ये उपाय

Shri Mi
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बिलासपुर-प्रदेश के पूर्व मंत्री और बिलासपुर से चार बार विधायक रहे अमर अग्रवाल ने ब्लाग लिखना भी शुरू कर दिया है। ब्लाॅग के ज़रिए अमरअग्रवाल विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर अपनी बात रख रहें हैं. अपने दूसरे ब्लाॅग पोस्ट में अमर अग्रवाल ने नदी- झरनों और विशेष रूप से मृतप्राय हो चुकें अरपा नदी के बारे में विस्तार से लिखा हैं। इससे पहले अपने पहले पोस्ट में उन्होंने वेस्ट मैनेजमेंट पर अपनी बात रखी थी। अपने ब्लाग में पूर्व मंत्री ने लिखा कि , अरपा बिलासपुर जैसे शहर के ईकोसिस्टम में जीवन का प्रमुख स्रोत है, वो जीवन जो नदी के किनारों पर पनपता है। आगे उन्होंने लिखा कि अरपा नदी पर 10 से ज़्यादा बाँध(खोंडरी, बेलगहना, लछनपुर, रपता, तोरवा, दर्रीघट, शेरवानी, कनेरी, मंगला आदि) बनाएं गये हैं। सिंचाई की समस्या के निदान व मानव-कल्याण के लिये तब इन बाँधों की बहुत ज़रूरत थी। लेकिन पिछले पाँच वर्षों से लगातार जलस्तर में कमी के कारण नदी में संचित पानी भी दिन ब दिन घटता जा रहा है। इस वजह से यह चेक डेम इस क्षेत्र में आजीविका के लिये खतरा बन गए हैं। वर्षाजल का अधिकांश भाग चेक डेम में संचित होता है, जो लोगों द्वारा इस्तेमाल कर लिया जाता है। इसके अतिरिक्त अरपा नदी की घाटी के चारों तरफ बिलासपुर के पास जंगलों की कटाई से प्रदूषण में वृद्धि हुई है। इसका सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ कि पर्यावरण अस्थिर हो गया है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे

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दूसरे, शहर का सारा कचरा ज्यों का त्यों बिना वेस्ट मैनेजमेंट के बहकर नदी में जमा हो रहा है, इससे साफ पानी प्रदूषित होने लगा है। नदियाँ सिर्फ सिंचाई और यंत्रीकरण का स्रोत नहीं है। बल्कि नदी के किनारे व घाटियों में बसी मानव सभ्यता के लिये पीने के साफ पानी का प्रमुख स्रोत भी है। लेकिन यह डर बना हुआ कि निरंतर कचरों के बहकर नदी में जमा होने से प्रदूषण बढ़ता रहेगा। और एक समय ऐसा आएगा कि प्रदूषण के कारण नदी का पानी हमेशा के लिये अनुपयोगी हो जाएगा।

अरपा को बचाने और संवारने के उपाय बताते हुए पूर्व मंत्री श्री अग्रवाल ने अपने ब्लाॅग में आगे लिखा है कि,  नदी को बचाने के दो उपाय हैं – एक पेड़ लगाना दूसरा चेकडेम बनवाना ताकि बरसात के पानी को रोका जा सकें ।ऐसा ही एक प्रयोग बिलासपुर अरपा नदी में भी किया गया है। नदी में कुछ चेकडैम बने, जिससे आगे की ज़मीन सूख गई, अब ज़रूरत है एनीकट बनाने और नदी के दोनों किनारों पर पेड़ लगाने की।

आमतौर पर जो शहरी नदियाँ हैं उसमें फैक्टरी का कचरा, निगम के नाले का पानी जाता है। यदि अरपा के जल का शुद्धिकरण नहीं किया गया और पानी नहीं रोका गया तो जलस्तर नीचे जाएगा। उसके लिये अरपा का प्राधिकरण बनाया गया। जिसका उद्देश्य है कि अरपा के पानी को शुद्ध करना, जलस्तर मेन्टेन करते हुए बारहों महीने पानी रखना और भूगर्भीय जल को बचाना।अरपा नदी, घाटियों के प्रभावी तरीके से विकास हेतु पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर एक स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (साडा) का गठन किया गया है।

इन क्षेत्रों में व्यावसायिक, रिहायशी, मनोरंजन और अन्य सांस्थानिक सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा। नदी के दोनों तरफ- पुल, सड़कों और फुटपाथों के अलावा 13.4 किमी लम्बी दीवार, घर और व्यावसायिक परिसरों का निर्माण किया जाएगा। इन क्षेत्रों में जल आपूर्ति, सीवरेज, ड्रेनेज, विद्युत आपूर्ति की समुचित व्यवस्था की जाएगी।इन सबके अलावा आज की ज़रूरत के अनुसार मौजूदा सीवरेज परिवहन प्रणाली को अपग्रेड किया गया है। क्योंकि कचरा एनटीपीसी के वाटर-ट्रीटमेंट के बाद की प्रक्रिया में शहर के नालों से प्रवाहित होकर अरपा नदी में समाहित हो जाता है।

आखिर में अमर अग्रवाल ने अरपा को बचाने सभी लोगों के एक साथ मिलकर प्रयास करने की बात कही है और हाल ही में अलग-अलग समूहों द्वारा अरपा के संवर्धन के लिए किए गए प्रयासों को उन्होंने महान पहल निरूपित किया है,साथ ही राज्य शासन से को सुझाव देते हुए उन्होंने लिखा है कि इस सामूहिक पहल का नेतृत्व राज्य सरकार करें,उससे अरपा का संवर्धन बहुत तेजी से होगा।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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