जब तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का मिला बागी को समर्थन…निर्दलीय होकर डॉ.बद्री ने कांग्रेस प्रत्याशी को हराया…बनाया अशोक राव को मेयर

BHASKAR MISHRA
5 Min Read
बिलासपुर— पढ़कर ताज्जुब होगा कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने घोषित पार्टी पार्षद प्रत्याशी के खिलाफ निर्दलीय को जिताने का आदेश दिया था। इसके बाद बिलासपुर जिला इकाई संगठन ने ना केवल निर्दलीय पार्षद का समर्थन किया। गांधीनगर वार्ड का निर्दलीय प्रत्याशी ना केवल जीत हासिल किया। बल्कि बिलासपुर प्रथम मेयर बनाने में अहम् भूमिका का निर्वहन भी किया। यह शख्स कोई और नहीं बल्कि डॉ.बद्री जायसवाल है। आजकल गांधीनगर वार्ड से उनके सबसे छोटे भाई शैलेन्द्र जायसवाल पार्षद हैं। वर्तमान में इस वार्ड से जिला कांग्रेस शहर अध्यक्ष नरेन्द्र बोलर अपनी किस्मत आजमा रहे हैंं। 
 
                    अजीब जरूर लगेगा कि देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी बिलासपुर में निगम चुनाव में अपने अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी को जीतना के लिए कहा था। इतना ही नहीं उन्होने त्तात्कालीन गांधीनगर वार्ड प्रत्याशी बद्री जायसवाल को आश्वासन भी दिया कि उनकी ना केवल जीत होगी। बल्कि संगठन को भी अहसास होगा कि इस प्रकार की गड़बड़ी अब दुबारा ना हो। 
  
               बात 1983 बिलासपुर प्रथम नगर निगम चुनाव की हैं।  बिलासपुर को पहली बार निगम का दर्जा मिला था। चुनाव ने गांधीनगर वार्ड को उस समय सुर्खियों में ला दिया। जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ कार्यकर्ताओं को निर्दलीय प्रत्याशी को जीताने के लिए कहा। 
 
                  वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. बद्री जायसवाल ने बताया कि पहले के चुनावों में उम्मीदवार का चेयरा मायने रखता था। दल का स्थान दूसरे स्तर पर होता था। बद्री जायसवाल ने बताया कि नगर निगम बनने के बाद गांधीनगर वार्ड से पहला पार्षद बनने का सौभाग्य मिला। 
 
           बद्री जायसवाल ने बताया कि 1983 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पार्षद बना। यही वह चुनाव था जब तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें कांग्रेस से टिकट का ऑफर दिया था। लेकिन तकनीकी दिक्कतों के कारण निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा।
 
              डॉ.बद्री जायसवाल ने बताया कि इस चुनाव में कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। बद्री जायसवाल ने जानकारी दी कि इंदिरा गांधी ने मेरे नाम की पेशकश की थी। चुनाव में बिलासपुर का पहला मेयर कांग्रेस के अशोक राव बने थे।
 
                वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने बताया कि अंदरखाने से इस बात की पुष्टि हो गई थी उन्हें टिकट मिलना निश्चित है। इसके बाद उन्होने वार्ड में घूमकर चुनाव प्रचार करना शुरू कर दिया। ऐन वक्त पर तात्कालीन मंत्री बीआर यादव ने तात्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को अपने पाले में लेकर गांधीनगर वार्ड से कांग्रेस पार्टी से अब्दुल मजीद का नाम फाइनल कर दिया। इस बात की जानकारी उन्हें भी मिली। अपनी पीड़ा को तात्कालीन पीसीसी प्रमुख रामगोपाल तिवारी के सामने रखा। उन्होने आश्वासन दिया कि चिंता की कोई बात नही है बात को इंदिरा गांधी के सामने रखूंगा।
 
              तात्कालीन पीसीसी अध्यक्ष रामगोपाल तिवारी ने सारी बातों को तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सामने रखा। पूर्व प्रधानमंत्री ने तत्काल डॉ. बद्री जायसवाल को पार्षद टिकट देने का ऐलान किया। लेकिन देरी की वजह से बी फार्म.अब्दुल मजीद को मिल चुका था। तकनिकी आधार पर मजीद को पंजा छाप चुनाव चिन्ह मिल चुका था। ऐसे में असमंजस की स्थिति बन गयी कि कांग्रेस का अधिकृत प्रत्याशी है कौन। जबकि अब्दुल मजीद अपने चुनाव प्रचार के दौरान कहते रहे कि वह ही कांग्रेस के असली प्रत्याशी हैं। लेकिन जनता ने निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. बद्री जायसवाल की हुई। डॉ. जायसवाल ने 150 से अधिक मतों से जीत हासिल की।
 
 बिलासपुर के पहले मेयर बने अशोक राव
 
              मामले में गांधीनगर वार्ड के पहले पार्षद और राष्ट्रीय हीरो बन चुके बद्री जायसवाल ने बताया कि बिलासपुर का पहला मेयर अप्रत्यक्ष रूप से चुना गया। निगम में उस समय कुल 42 पार्षद हुआ करते थे। चुनाव के बाद कांग्रेस और भाजपा पार्षदों की संख्या 17-17 यानि बराबर थी। आठ पार्षद निर्दलीय थे। कमोबेश सभी निर्दलीय पार्षद उनके दोस्त थे। जब उनकी टिकट कटी तो दोस्तों ने कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ ना केवल चुनाव लड़ा बल्कि जीतकर निगम भी पहुंचे। हम सभी निर्दलियों ने मिलकर अशोक राव का समर्थन किया। और निगम के पहले मेयर बने। 

Join Our WhatsApp Group Join Now
Share This Article
close