बिलासपुर— प्रदेश समेत बिलासपुर जिले में भी 21 दिसम्बर को शांतिपूर्ण मतदान कार्य पूरा हुआ। चुनावी पंडित अब मिल बैठकर आंकड़ों का गणित खेलना शुरू कर दिया है। कही भाजपा की तो कहीं कांग्रेस की सरकार बनने की चर्चा चल रही है। इस बीच निर्दलियों को लेकर भी गंभीर विचार विमर्श किया जा रहा है। लेकिन कुछ महत्वपूर्ण वार्डों को लेकर कुछ ज्यादा ही चर्चा हो रही है। इस तमाम बातों के बीच जनता में चर्चा गर्म है कि दोनों दलों में मेयर का चेहरा कौन कौन हो सकता है।
21 दिसम्बर को चुनाव शांति के साथ सम्पन्न हुआ। मतदाताओं ने अपना काम कर दिया। मतदाताओं ने मतदान के बाद प्रत्याशियों और राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों के सामने सोचने समझने और बाल की खाल निकालने तमाम सवाल भी छोड़े दिए। बहरहाल इस समय प्रत्याशियों की धड़कने बढ़ गयी है। वहीं चुनावी पंडितों का काम बढ़ गया है।
चुनावी पंडितों की माने तो इस बार रूझान बताना कुछ ज्यादा ही मुश्किल भरा काम है। इस बार दोनों दलों का बागियों ने गणित बिगाड़ दिया है। कहीं भाजपा के बागी प्रत्याशी अधिकृत प्रत्याशियों की जीत को चुराते नजर आ रहे है। तो कहीं कांग्रेस के प्रत्याशियों की जीत को बागी कांग्रेसी हार में बदलते दिखाई दे रहे हैं। चुनावी पंडितों का अनुमान है कि निगम सरकार का फैसला इस बार निर्दलीय प्रत्याशी ही निश्चित करेंगे। यद्यपि प्रत्याशी जीते या हारें लेकिन दोनो दलों के लिए वोट कटवा जरूर साबित होंगे। फिर भी ऐसा अनुमान लगा रहे हैं कि यदि चार पांच की संख्या में निर्दलीय जीतकर आते हैं तो इसका फायदा कांग्रेस को जरूर मिलेगा।
कुछ वार्डों में रही सबकी नजर
निगम चुनाव के दौरान चुनावी पंडितो ने कुछ वार्डों की वोटिंग को लेकर कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी दिखाया है। यह वह वार्ड है जहां या तो बड़े चेहरे लड़ रहे है। या फिर मेयर के संभावित प्रत्याशी को देख रहे हैं। वार्ड क्रमांक 24,26.27,29,30,31,33,34,40,44,52,57,60, समेत कई ऐसे वार्ड है जहां बड़े नेताओं की नाम दांव पर है। इन वार्डों में कुछ ऐसे चेहरे भी हैं यदि जीतकर आते हैं तो दोनों दलों में मेयर के प्रत्याशी हो सकते हैं।
इसके अलावा कई ऐसे भी वार्ड हैं जहां टिकट वितरण के समय काफी विवाद देखने को मिला था। ऐसे वार्डों पर चुनावी पंडितो ने नजर बनाकर रखा है। बहरहाल सबकी किसम्त इस समय बैलेट बाक्स में बन्द है। 24 को फैसला सामने होगा। इस बीच फिलहाल दोनों दलों के प्रत्याशियों ने मेयर के लिए गुन्ताड़ा करना शुरू कर दिया है। चाहे परिणाम चाहे कुछ भी हो। इसकी चिन्ता उन्हें नहीं है कि जनता कभी कभी कहती कुछ और है और करती कुछ और……।