सीजीवालडॉटकॉम के फेसबुक पेज से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये रांची. झारखंड आंदोलन के अगुवा शिबू सोरेन के बेटे और राजनीतिक वारिस हेमंत सोरेन के एक बार फिर झारखंड के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता लगभग साफ हो गया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन को बहुमत के लिए जरूरी 41 सीटें मिलती नजर आ रही हैं. वहीं बीजेपी का अभियान 30 सीटों पर सिमटता नजर आ रहा है. झारखंड के नये नवेले मुख्यमंत्री बनने जा रहे हेमंत सोरेन के बारे में कुछ दिलचस्प जानकारियां हम आपसे साझा कर रहे हैं. सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये
हेमंत सोरेन का जन्म 10 अगस्त 1975 को शिबू सोरेन और रूपी सोरेन के घर हुआ. हेमंत के परिवार में मां-बाप के अलावा दो भाई एक बहन भी हैं. हेमिंत ने पटना हाई स्कूल से 12वीं की पढ़ाई की. इसके बाद इंजीनियरिंग करने के लिए उन्होंने बीआईटी मेसरा में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन भी लिया लेकिन पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए. हेमंत सोरेन की शादी कल्पना से हुई थी. दोनोें के दो बच्चे हैं. हेमंत जब 25 साल के थे तब झारखंड, बिहार से अलग होकर नया राज्य बना. उनके पिता शिबू सोरेन की झारखंड राज्य आंदोलन में प्रमुख भूमिका थी.
राजनीतिक करियर
हेमंत के पिता शिबू सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हैं. एक बार तो जेल में बंद शिबू सोरेन जेल से छूटने के बाद सीधा मुख्यमंत्री ही बने. हालांकि हत्या के एक मामले में फंसने के बाद उनका राजनीतिक करियर ढलान पर चला गया. इसी बीच हेमंत सोरेन राजनीति में अवतरित होते हैं. 24 जून 2009 से 4 जनवरी 2010 तक हेमंत सोरेन राज्यसभा के सदस्य रहे.
राष्ट्रपति शासन हटने के बाद कांग्रेस और राजद के समर्थन से 15 जुलाई 2013 को हेमंत सोरेन ने झारखंड के पांचवे मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. 28 दिसंबर 2014 तक ही हालांकि वो मुख्यमंत्री पद पर बने रह पाए. इसके बाद झारखंड में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी-आजसू गठबंधन को बहुमत मिला और हेमंत सोरेन नेता विपक्ष की भूमिका में आ गए.
हेमंत सोरेन ने खुद को झारखंड की राजनीति में प्रासंगिक बनाए रखा. मोदी लहर पर सवार बीजेपी की झारखंड में सरकार तो बन गई लेकिन रघुवर दास जनता की नब्ज पकड़ने में विफल रहे. उनका जनता से सीधा जुड़ाव नहीं हो सका. वहीं हेमंत सोरेन लगातार विपक्ष के नेता के नाते सरकार पर हमलावर रहे. झारखंड में भूख से हुई संतोषी नाम की बच्ची की मौत के मामले पर उन्होंने सरकार की जमकर आलोचना की और सीबीआई जांच की मांग की. बीजेपी सरकार ने छोटा नागपुर टेनेंसी एक्ट और संथाल परगना टेनेंसी एक्ट लागू करने की कोशिश की लेकिन हेमंत सोरेन ने मूलनिवासी का सवाल इतनी जोर-शोर से उठाया की बीजेपी को अपनी योजना टालनी पड़ी.