कौन बनेगा मेयरः दौड़ में कई नाम.. सभी का अपना अपना दावा..बता रहे विशेषता

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— चुनाव खत्म हो चुका है..परिणाम भी आ चुके हैं….परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आ चुका है। कांग्रेस को कुल 35 सीट हासिल हुआ है। भाजपा के 30 पार्षद जीतकर आए हैं। निर्दलियों की कुल संख्या 5 है। परिणाम से यह स्पष्ट है कि भाजपा का मेयर नहीं बनेगा। निर्दलियों में तीन कांग्रेस के बागी पार्षद है। जाहिर सी बात है कि उनका समर्थन कांग्रेस को ही होगा। बहुमत के लिए कांग्रेस को एक पार्षद की जरूरत है। जाहिर सी बात है कि मेयर कांग्रेस का ही होगा। सवाल उठना लाजिम होगा कि आखिर बिलासपुर नगर निमग का मेयर का चेहरा कौन होगा। पद को लिए अभी धीरे ही सही लेकिन दावेदारों की संख्या अधिक नहीं तो कम भी नहीं है। यह अलग बात है कि सभी  दावेदार आला कमान के इशारे की बात कह रहे हैं। सीजीवालडॉटकॉम न्यूज़ के व्हाट्सएप् से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

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               चुनाव परिणाम के बाद स्प्ष्ट हो गया है कि बहुमत कांग्रेस के पास है। नए नियम के अनुसार मेयर का चुनाव पार्षद दल की बैठक में किया जाएगा। लेकिन मेयर कौन होगा..सभी लोग अपना अपना दावा दबी जुबान में करने लगे हैं। कह कुछ नहीं रहे हैं लेकिन अपनी उपयोगिता मतलब पार्टी को दिए गए योगदान को बताने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। लेकिन इस बात को दुहराने से नहीं भूलते हैं कि शीर्ष नेतृत्व जो भी फैसला लेगा..वही मान्य होगा।

                     बहरहाल अपने स्तर पर अनुभवी और पहली बार चुनकर आए पार्षदों का मेयर के लिए प्रयास शुरू हो गया है। शेख गफ्फार के निधन के बाद मेयर का चुनाव निश्चित रूप से पेचीदा साबित होने वाला है। जानकारी मिल रही है कि चुने गए सभी पार्षदों की संगठन पदाधिकारियों के साथ एक बार औपचारिक बैठक हुई है। लोगों ने एक दूसरे को बधाई देते हुए मेयर चुनाव की बात भी पेश किया है।  इधर जनता में भी मेयर के चेहरे को लेकर खासी बेताबी है। कयास का दौर शुरू हो गया है।

                 जानकारी के अनुसार रामशरण का नाम भी मेयर की दौड़ में शामिल है। रामशरण यादव कई बार पार्षद रह चुके हैं। संगठन में अच्छा दखल है। स्थानीय नेतृत्व की भी पसंद है। पिछले निकाय चुनाव में मेयर का चुनाव भी लड़ चुके हैं। उन्हें कांग्रेस की रीति नीति की अच्छी जानकारी भी है। इस बार उन्होने चुनाव जीतकर पिछली पार्षद चुनाव में मिली हार का बदला भी लिया है। शेख गफ्फार की गैरमोजूदगी में उन्हें फिलहाल मेयर का सबसे बड़ा दावेदार भी माना जा रहा है। इसके अलावा विष्णु यादव की भी दावेदारी भी काफी मजबूत मानी जा रही है।  पिछली बार जब मेयर का टिकट नहीं मिला तो उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया था। बाद में वोटिंग के कुछ दिनों पहले ही पीसीसी महामंत्री अटल श्रीवास्तव के प्रयास और तात्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल  के निर्देश पर दुबारा पार्टी में लाया गया। जाहिर सी बात है कि इस बार भी इस टकराव को इंकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में मेयर की दावेदारी में विष्णु यादव भी एक बड़ा नाम है। हमेशा लो प्रोफाइल में नजर आने वाले विष्णु यादव डॉ.चन्दन यादव की पसंद के साथ ही राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी हैं। 

                         मेयर पद के स्वभाविक प्रत्याशियों में वर्तमान निमग नेता प्रतिपक्ष शेख नजरूद्दीन का भी नाम शुमार है। पिछले पांच साल में शेख नजरूद्दीन ने निगम की बैठकों में कुशल नेतृत्व किया है। जब तब सत्ता पक्ष को घेरते हुए जनहित के मुद्दों को गंभीरता के साथ उठाया है। सदन के अन्दर पार्षदों के बीच सामन्जस्य बनाने में कोई कमी नहीं की है। उनका दावा भी है कि बिलासपुर की तासीर को अच्छी तरह समझते हैं। पिछले तीस साल से निगम की राजनीति कर रहे हैं। यदि संगठन ने विश्वास किया तो जिम्मेदारी संभालने से पीछे नहीं हटेंगे।

                         राजेश शुक्ला पांच बार के पार्षद हैं। हमेंशा जीतकर आए हैं। सरकंडा पार उनकी अच्छी पकड़ और पार्टी में धीर गंभीर नेता की पहचान रखते हैं। राजेश शुक्ला को भी लो प्रोपाइल में रहने की आदत है। यदि मेयर चुनाव में विवाद की स्थिति बनती है तो मेयर राजेश शुक्ला होंगे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। राजेश शुक्ला की पहचान अच्छे कार्यकर्ता के रूप में रही है। उन्हें अपने काम से काम और जनता के बीच रहने की आदत है। यद्यपि राजेश शुक्ला मेयर की दावेदारी को लेकर कहते तो कभी नहीं सुना गया। लेकिन विवाद की स्थिति बनने और अनुभवों को देखते हुए यदि मेयर पद के लिए सबसे आगे नाम चले तो आश्चर्य नहीं होगा। 

                रविन्द्र सिंह भी कहीं ना कहीं मेयर पद के दावेदार हैं। उनके पास निगम प्रशासन का अनुभव है। पार्षद रह चुके हैं। इस दौरान निगम नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। पिछले कुछ चुनाव से किंग मेकर की भूमिका में रहकर प्रत्याशी को जीताने वाले नेता रहे हैं। इस बार जब सरकार ने फैसला किया कि मेयर का चुनाव पार्षद दल करेगा। उन्होने किंग मेकर की भूमिका को छोड़कर ना केवल चुनाव लड़ना मुनासिब समझा । बल्कि अच्छे अंतर से जीता भी। जाहिर सी बात है कि मेयर पद के दावेदारों में  रविन्द्र सिंह का भी चेहरा शुमार है। बताना जरूरी है कि रविन्द्र सिंह कांग्रेस के शहर अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 

                         इस बार सबसे बड़ी जीत हासिल करने वाले विजय केशरवानी भी पार्षद का चुनाव मेयर बनने लिए ही लड़ा है। विजय केशरवानी ने जिला कांग्रेस ग्रामीण शहर अध्यक्ष पद को छोड़कर वार्ड क्रमांक 52 से चुनाव लड़ा है। यद्यपि वह प्रत्यक्ष रूप से अब तक मेयर पद के दावेदारी को लेकर कुछ नहीं कहा है लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से कई बार अपनी इच्छा को पद के लिए जाहिर किया है। सबसे बड़ी बात कि उन्होने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ा है। 

            बताते चलें कि चुने गए सदस्यों में एक कामन बात सामने आ रही है कि मेयर कौन का फैसला शीर्ष नेतृत्व पर छोड़ा जा रहा है। लेकिन यह बात भी सामने आ रही है कि बिलासपुर नगर निगम सामान्य सीट है। ऐसे में यहां से मेयर का चेहरा सामान्य वर्ग के बीच से ही होना चाहिए।                  

                   

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