प्रधानमंत्री दिखाएं सर्टिफिकेट…फिर मांगे प्रमाण…चौबे ने NRC को कहा काला कानून..बताया..निकाय चुनाव में हुई जीत…4 को होगा मेयर का फैसला

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—छत्तीसगढ़ सरकार का पिछला एक साल का कार्यकाल बहुत अच्छा रहा। जनता की कमोबेश सभी उम्मीदों को पूरा किया गया। हमने प्राथमिकता के आधार पर आधारभूत संरचना का विकास,नौजवानों को रोजगार, किसानों को  स्वावलम्बी बनाने की कोशिश , कुपोषणों से जंग, जमीन अधिग्रहण संशोधन,तेंदूपत्ता की कीमत निर्धारण की दिशा काम किया है। किसानों को समर्थन मूल्य देकर रिकार्ड बनाया है। यह बातें कांग्रेस सरकार के कैबिनेट मंत्री रविन्द्र चौबे ने बिलासपुर अल्प प्रवास के दौरान कही। 

             
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                   बिलासपुर प्रवास के दौरान रविन्द्र चौबे ने पत्रकारों को बताया कि हमारी सरकार ने जमीन अधिग्रहण संशोधन में जरूरी सुधार कर आदिवासियों की जमीन को वापस किया। बस्तर सरगुजा के विकास को ध्यान में रखते हुए कनिष्ठ चयन बोर्ड का गठन किया। तेंदूपत्ता की कीमत को बढ़ाकर 6 हजार किया। चौबे ने बताया कि पिछले एक साल में हमने उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया। जो पिछले पन्द्रह साल से अछूते थे। चौबे ने कहा कि एक लाख करोड़ के बजट में बीस हजार करोड़ की धान खरीदी 12 हजार करोड़ का कर्जा माफ किया। साढ़े चार हजार करोड़ रूपए गरीबों के के मिलने वाले 35 किलों चावल पर खर्च किया गया है। देश में ऐसा केवल भूपेश बघेल ही कर सकते हैं। इस दौरान रविन्द्र चौबे ने जानकारी दी कि छत्तीसगढ़ में दो फसल लेने के लिए सरकार सिंचाई परियोजनाओं पर विशेष ध्यान दे रही है। 

            चौबे ने बताया कि एक साल का परिणाम सबके सामने है। नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को भारी सफलता मिली है। जनता ने विश्वास जाहिर किया है। ऐसा पहली बार हुआ है कि प्रदेश के कमोबेश सभी नगर निगम में महापौर बनाने जा रहे हैं। जब हम सरकार में नहीं थे..उस समय प्रदेश के 62 प्रतिशत नगर पालिका और नगर पंचायत में सफलता मिली थी। इस बार सफलता का प्रतिशत 73 प्रतिशत है। कहने का मतलब यह है कि पिछले एक साळ में भूपेश बघेल की अगुवाई में सरकार ने जनहितैषी काम किए हैं। जिसकी सफलता अब सभी के सामने हैं। जनता ने निकाय चुनाव में कांग्रेस के प्रति आस्था जाहिर की है। 

                       चार जनवरी को निगम की पहली बैठक है। लेकिन अभी तक मेयर के नाम का एलान नहीं किया गया है। क्या कोई विवाद की स्थिति है। सवाल के जवाब में रविन्द्र चौबे ने बताया कि कही और जगहों पर हो सकती है लेकिन बिलासपुर में मेयर चुनाव को लेकर विवाद की स्थित है ही नहीं। चार जनवरी को निगम की पहली बैठक है। उसी दिन पता चल जाएगा कि मेयर कौन बनेगा। रायशुमारी का अर्थ बैठक ही नहीं होता है। लेकिन प्रत्याशियों और नेताओं से लगातार बातचीत जारी है।

              पार्टी ने क्या मेयर के लिए कोई मापदण्ड तय किया है के सवाल पर रविन्द्र चौबे ने कहा कि  सारे प्रत्याशियों के नाम सामने है। रही बात मापदण्ड की तो मेयर के लिए पहली शर्त वह निष्ठावान कांग्रेसी हो। उसमें शहर के विकास को लेकर विजन होना जरूरी है। चौबे ने यह भी मेयर की दौड़ की संख्या को जाहिर नहीं करते हुए कहा कि हर निर्वाचित पार्षद मेयर बनने के योग्य है। 

                               एनआरसी के विरोध के सवाल पर रविन्द्र चौबे ने कहा कि जब देश के प्रधानमंत्री के पास शिक्षा का सर्टिफिकेट नहीं है। जब देश का प्रधानमंत्री अपने सर्टिफिकेट को सुरक्षित नहीं रख सकता है तो भला सोचने वाली बात है कि प्रदेश की 32 प्रतिशत आदिवासी आबादी अपने आप को कैसे सिद्ध करेगी कि वह यहां का स्थानीय निवासी है। यह जानते हुए भी कि यह शिक्षा स्तर बिलकुल शून्य है। वह कैसे बताएगा कि उसके माता पिता पहले कहां थे..वह यहां तक  कैसे आए। चौबे ने बताया कि छत्तीसगढ़ का 43 प्रतिशत क्षेत्र पर जंगल है। यहां की आधी आबादी गरीब है। अनुसूचित जाति की आबादी 13 है। भला यह अपने दादा परदादा का सर्टिफिकेट कहां से लाएंगे। यह किसी भी सूरत में संभव नहीं है। यदि यह संभव भी हो गया तो इसकी क्या गारंटी की कोई क्लर्किकल त्रुटि ना हो। गलती होगी…ऐसी सूरत में क्या किसी व्यक्ति को डिटेंशन कैम्प में रखा जाएगा। ऐसा करना यहां के निवासियों के साथ अन्याय होगा। इस अन्याय को किसी भी सूरत में नहीं होने देंगे। जाहिर सी बात है कि प्रदेश में एनआरसी को लागू नहीं होने दिया जाएगा। क्योंकि यह काला कानून है। प्रधानमंत्री को इसे वापस लेना ही होगा। 

             आरोप है कि कांग्रेस नेता एनआरसी के खिलाफ जनता को भड़का रहे हैं। चौबे ने बताया कि यह उनका विवेक है कि वह विरोध को भड़ताने का नाम दे रहे है। लेकिन सच्चाई यह है कि यह काला कानून है। सच्चाई तो यह भी है कि प्रधानमंत्री अपने सर्टिफिकेट के बारे में कुछ नहीं बोलते हैं। फिर देश की जनता से सर्टिफिकेट क्यों मांगा जा रहा है। हम हिन्दुस्तान में पैदा हुए हैं। हम हिन्दुस्तान के नागरिक है। नागरिकता साबित करने के लिए सर्टिफिकेट देना पड़े यह देश का दुर्भाग्य है।              

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