रायपुर।संविलियन के बाद एरियर्स को लेकर अब शिक्षक संगठन लामबंद होने लगे है। बचे हुए सभी शिक्षाकर्मीयो के संविलियन की मांग के साथ सरकार के पास करोड़ो रूपये की शिक्षको की देनदारी बड़ा मुद्दा बन गई है । एरियर्स पर पंचायत विभाग के आदेशो का झुनझुना शिक्षक संघों जोड़ने का काम कर रहा है । शिक्षा कर्मियों के लिए क्रमोन्नति कानून अधिकार है… ऐसे विचार अब शिक्षको के बीच चर्चा का विषय बने हुए है। क्रमोन्नति व पदोन्नति के आधार पर वेतनमान औऱ संविलियन हुए और संविलियन से वंचित शिक्षको के लंबित महंगाई भत्ते , लंबित मेडिकल बिल , पुनरीक्षित वेतनमान, समयमान वेतनमान की अंतर राशी जो सालो से लटके हुए है। उसके एरियर्स पर शासन का टालमटोल रवैया शिक्षक नेताओ को रास नही आ रहा है। इन सब विषयो को लेकर जल्द ही कुछ शिक्षक संघ न्यायालय की शरण लेने वाले है।सीजीवालडॉटकॉम न्यूज़ के व्हाट्सएप् से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये
वरिष्ठ शिक्षा कर्मी संघ छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष अजय उपाध्याय ने सीजीवाल को चर्चा में बताया कि शिक्षा कर्मियों के संविलयन के लिए वर्ष बंधन के शर्त पर आदेश जारी हुआ है… न कि वरिष्ठतानुसार संविलयन के लिए वर्ष 1984 के शिक्षक भर्ती अधिनियम में भी दो वर्ष की वर्ष बंधन के आधार पर विभाग मे सफलता पूर्वक परिवीक्षा पूरा होने के बाद ही अन्य मांगें पूरी हो सकती थी।इस आधार पर शासन प्रशासन को ठोस कार्रवाई करते हुए वित्त विभाग से सहमति व तत्काल प्रभाव से लाभ होने वाला समय सीमा के भीतर लागू हो….ऐसा एक ठोस आदेश जारी करने करने की जरूरत है।
अजय उपाध्याय ने चर्चा में बताया कि सभी के संविलयन की कार्यवाही के समय मैने संविलयन के लिए पुख्ता दस्तावेजों को कमेटी के सामने जोरदार तरीके से रखा जिसमे भी 1963 के जनपदकालीन शिक्षकों का 1961अधिनियम का हवाला देकर संविलयन के लिए शासन को सहमत करवाने के लिए अपना पक्ष रखा था। उस दौरान वेतन विसंगति पर भी चर्चा हुई थी।
अजय ने बताया कि तत्कालीन शिक्षकों को क्रमोन्नति व पदोन्नति आज तक मिल रहा है तो फिर हमे क्यों नहीं मिल सकता है ..? अजय की मांग है कि संविलयन दो साल पहले हुआ है। पर कई शिक्षको की सेवा दस बीस सालो से अधिक की हो गई है। इस आधार पर क्रमोन्नति उनका जन्म सिद्ध अधिकार है ।सरकार इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए यह विधि सम्मत अधिकार है। जिसके लिए शिक्षक संघों के पास भी पुख्ता सबूत है। और इसी के आधार पर वेतनमान निर्धारित कर क्रमोन्नति का लाभ का आदेश जारी किया जाना चाहिए।
अजय उपाध्याय ने बताया कि संविलियन से वंचित शिक्षको के लंबित महंगाई भत्ते , पुनरीक्षित वेतनमान, समयमान वेतनमान की अंतर राशी ,मेडिकल बिल आदि जो धन लाभ के मामले लंबित है। उसके आकड़ो सरकार पर ने ध्यान देना चाहिए। सिर्फ यही राशि करोड़ में सरकार के सरकारी खजाने में जमा है। यह शिक्षको के वेतन भत्तों से की गई कटौतियां है। जिसे पंचायत विभाग ने काट दिया है, या दिया ही नही है। इस पर राज्य सरकार को तुरंत ध्यान देने की मांग करते है।
वरिष्ठ शिक्षा कर्मी संघ छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष अजय उपाध्याय ने बताया कि हम एकता मंच छग व व्याख्याता शिक्षा कर्मी संघ छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष कमलेश्वर सिंह राजपूत की शिक्षक(एल बी) पंचायत एवं नगरीय निकाय में कार्यरत रहते हुए जिन शिक्षको ने एक ही पद में 10 वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली है उनका 10 वर्ष की पूर्ण तिथि से प्रथम समयमान /क्रमोन्नत वेतन मान के आधार पर पुनरीक्षित वेतनमान का वेतन बैंड एवं ग्रेड पे में वेतन निर्धारण कर रिवाइज्ड एल पी सी वर्तमान वेतन आहरण संवितरण अधिकारी को जारी करने की मांग का समर्थन करते है।