पुलिस को बनना पड़ा कुरियर बाय..फिर हुई अन्तर्राज्यीय अकाउन्ट हैकरों की गिरफ्तारी..पुलिस कप्तान ने बताया.. साफ्टवेयर इंजीनियर निकला मुख्य सरगना

BHASKAR MISHRA
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दुर्ग—- दुर्ग पुलिस प्रदेश में बैंक खाता हैकर्सगिरोह का भांडा फोड़ने में बड़ी सफलता मिली है। सायबर अपराध को अंजाम देने वाले अन्तर्राज्यीय बैंक अकाउन्ट हैकर्स  गिरोह का पर्दाफाश किया है। दुर्ग पुलिस कप्तान अजय यादव ने बताया कि गैंग के लोग नौकरी लगाने के नाम पर बेरोजगारों को निशाना बनाते थे। आरोपी फिसिंग के जरिए बैंक अकाउन्ट हैक करते थे। साइबर क्षेत्र के जानकार सभी आरोपी बैंक रिजस्टर्ड मोबाइल पर आने वाले एसएमएस और ओटीपी को हैक कर मंसूबों को अंजाम दिया करते थे। अब तक आरोपियों ने हजारों लोगों को निशाना बनाया हैं। पुलिस ने आरोपियों के पास से बेरोजगारों के डाटा को जब्त किया गया है। पुलिस ने मुख्य सरगना को  नोयडा स्थित घर से कुरियर बाय बनकर गिरफ्तार किया है।

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पहली बार हैकर्स गिरोह का हुआ पर्दाफाश

                         प्रदेश पुलिस ने पहली बार बैंक अकाउन्ट हैकर्स गिरोह का भांडाफोड़ा है। चार आरोपियों को नोयडा से गिरफ्तार किया है। जबकि पांचवे आरोपी की अभी भी तलाश जारी है। मामले का खुलासा करते हुए दुर्ग के वरिष्ठ पुलिस कप्तान अजय यादव ने बताया कि मुख्य सरगना को पकड़ने के लिए पुलिस को कुरियर बाय बनना पड़ा। मुख्य सरगना पवन श्रीवास्तव साफ्टवेयर इंजीनियर है। जबकि एक अन्य आरोपी तानसेन संगीत महाविद्यालय का कर्मचारी है। 

            वरिष्ठ पुलिस कप्तान ने बताया कि जामुल पुलिस स्टेशन पहुंचकर प्रार्थी लवकुश राम पिता राम नारायण ने बताया कि किसी ने उसके बैंक खाते से पांच लाख 16 हजार का एफडी समेत 86 हजार रूपए पार कर दिया है। पुलिस ने शिकायत के बाद अज्ञात आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 ,66 डी आईटी एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया गया।

                   पुलिस कप्तान अजय ने बताया कि मामले की छानबीन के लिए पुलिस की विशेष टीम का गठन किया गया। छानबीन के दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि प्रार्थी को 3 मई 2019 को एक आया था। रोजगार के लिए साइन इंडिया डॉट काम में रजिस्ट्रेशन कराया। इसमें प्रार्थी ने अपनी प्रोफाइल को भी डाला था। आवेदन भरने के बाद 50 रूपए का आन लाइन शुल्क जमा किया। इसके बाद पुलिस टीम ने काल और ट्रांजेक्शन का विश्लेषण शुरू करना शुरू किया। बैंक खातों का डाटा भी खंगाला गया। पुलिस टीम ने 20 से अधिक पेटीएम की जानकारी ली। जांच पड़ताल के दौरान पाया गया कि प्रार्थी के खाते को हैक कर रूपए निकाला गया है। हैकर्स की स्थिति का भी पता लगाया गया।

        अजय य़ादव ने बताया कि इसके बाद आरोपियों की पतासाजी और गिरफ्तारी के लिए दो टीम का गठन किया। दोनों टीम को नोयडा भेजा गया। जबकि तीसरी टीम लगातार साइबर पर व्यस्त रही।  दोनों टीम ने नोयडा पहुंचकर संदेहियों को तलाशने लगी। इसी दौरान पुलिस टीम को एक संदेही की जानकारी मिली। संदेही  संदीप राय तानसेन संगीत महाविद्यालय का कर्मचारी निकला। पकड़कर उससे पूछताछ की गयी। उसने ना केवल अपराध करना कबूल किया। बल्कि सह आरोपी  पवन श्रीवास्तव, विजेन्द्र शर्मा और नवीन शर्मा का नाम भी बताया।

पुलिस को बनना पड़ा कुरियर बाय

          संदीप राय से पता साजी के बाद पुलिस टीम मुख्य सरगना पवन श्रीवास्तव को पकड़ने 12 वीं एवेन्यू गौर सिटी नोयडा के लिए रवाना हुई। पवन श्रीवास्तव की जानकारी के लिए पुलिस को कालोनी के अन्दर घुसना जरूरी था। लेकिन पहले गार्ड को जानकारी भी देना जरूरी था। इसलिए मामले की जानकारी किसी को ना हो पुलिस टीम के एक सदस्य को कुरियर बाय बनकर अन्दर जाने का मौका मिला। 500 प्लैट के बीच पवन श्रीवास्तव के ठिकाने को ट्रेस किया गया। जानकारी के बाद पुलिस टीम ने कालोनी के अन्दर पहुंचकर पवन श्रीवास्तव को उसके घर में ही धर दबोचा। पवन श्रीवास्तव से पूछताछ के बाद आरोपी नवीन शर्मा को भी पकड़ा गया। पवन श्रीवास्तव ने बताया कि उसका एक साथ विजेन्द्र शर्मा दोस्त की बहन की शादी का कार्ड बांटने गया। तत्काल विजेन्द्र शर्मा को भी हिरासत में लिया गया। जबकि एक अन्य आरोपी देवी महापात्रा के ठिकाने पर भी धावा बोला गया। लेकिन वह फरार होने में कामयबा रहा।

फर्जी वेवसाइट बनाकर हजारों युवाओं से ठगी

        वरिष्ठ पुलिस कप्तान अजय यादव ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों में विजेन्द्र और देवी प्रसाद महापात्रा काल सेन्टर में काम कर चुके हैं। काल सेन्टर से बेरोजगारों से लगातार ठगने की शिकायत के बाद पुलिस ने लगभग डेढ़ साल पहले काल सेन्टर के डाय़रेक्टर्स को गिरफ्तार किया था। इसके बाद दोनों ने बेवसाइट बनाकर बेरोजगरों को ठगना शुरू कर दिया। दोनों ने पवन और विजेन्द्र को भी अपनी योजना में शामिल किया। इसके पहले देवी प्रसाद ने अपनी वेवसाइट को अवैध तरीके से पंजीयन कराया। फिर सभी ने मिलकर बेरोजगारों का डाटा खरीदकर ठगना के काम शुरू कर दिया।

मुख्य सरगना पवन ने किया लवकुश से सम्पर्क

                      इसी क्रम में मुख्य सरगना पवन श्रीवास्तव ने आन लाइन जामुल स्थित लवकुश राम से सम्पर्क किया। आवेदन भरने के बाद 50 रूपए का आनलाइन शुल्क जमा करने को कहा। इसी दौरान उसने लवकुश राम का यूजरआईडी और पासवर्ड हैक कर लिया। नेट बैंकिग के जरिए लवकुश के खाते से 5 लाख से अधिक रूपए अवैध तरीके से पेटीएम से आहरण किया। पुलिस कप्तान अजय यादव ने जानकारी दी कि आरोपियों ने अनुसार उनके पास 12 हजार से अधिक बेरोजगारों का डाटा है। अब तक फर्जी वेवसाइट के जरिए कई राज्यों के हजारों बेरोजगारी से ठगी कर चुके हैं। 

हैकर्स का भांडा फोड़ने वाले पुलिस कर्मचारी

                          पुलिस कप्तान अजय यादव ने बताया कि बैंक खाता हैकर्स गिरोह का भांडा फोड़ने और गिरफ्तारी में प्रमुख रूप से पुलिस टीम में शामिल निरीक्षक गौराव तिवारी, प्रधान आरक्षक चन्द्रशेखर, आरक्षक जावेद खान, महिला आरक्षक आरती सिंह, आरक्षक निखिल साहू, सुरेश चौबे, विजय शुक्ला, विक्रांत यदु, दिनेश विश्वकर्मा, और नोएडा उत्तरप्रदेश की पुलिस का विशेष योगदान रहा। 

गिरफ्तार आरोपियों के नाम और पता ठिकाना

                वरिष्ठ पुलिस कप्तान ने गिरफ्तार किए गए आरोपियों की जानकारी दी। उन्होने बताया कि विजेन्द्र शर्मा पिता सुरेन्द्र शर्मा मैनपुरी का रहने वाला है। पवन श्रीवास्तव पिता मुन्ना लाल नेहरू नगर बक्सर बिहार का निवासी है। इस समय वह गौतम बुद्ध नगर नोएडा में रहता है। संदीप राय पिता संजय राय बलिया का रहने वाला है। इस समय वह गाजियाबाद में रहता है। जबकि नवीन शर्मा पिता महेश शर्मा गौतम बुद्ध नगर नोए़़डा का रहने  वाला है। फरार आरोपी का नाम देवीव्रता महापात्रा पिता ईश्वर चन्द्र जिला बालेश्वर उ़ड़ीसा का रहने वाला है। इस समय वह अशोक नगर दिल्ली में रहता है। 

आरोपियों से बरामद सामाग्री

  अजय यादव ने बताया कि आरोपियों के पास वाई फाई डिवाइस,मोबाइल फोन, मोबाइल सिम,एटीएण कार्ड, सिल्वर रंग की हुण्डई कार, सेवरलेट कम्पनी की क्रूज कार और लेपटाप बरामद किया गया है।

                आजय यादव ने जानकारी दी कि इस पूरे गिरोह को बेनकाब करने में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रोहित कुमार झा, उप पुलिस अधीक्षक प्रवीर चन्द्र तिवारी,टीम निरीक्षक शिवानन्द तिवारी, उप निरीक्षक सतीष पुरिया समेत साइबर सेल टीम ने जमकर मेहनत की है।

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