पंचायत चुनावः कांग्रेसियों में नाराजगी ..अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ खोला मोर्चा…सेलर में बीजेपी को वाक ओव्हर

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—- कांग्रेस की अधिकृत प्रत्याशियों की सूची जारी क्या हुई। कार्यकर्ताओं की नाराजगी सिर चढ़कर बोलने लगी। यद्यपि पंचायत चुनाव में पार्टी चुनाव चिन्ह का चलन नहीं है। यही कारण है कि नाराजगी का जमकर फायदा उठाने वाले कांग्रेसी अब अपनों के सामने ही सीना तानकर खड़े हो गये है। नाराज कांग्रेसियों की माने तो जिला कांग्रेस कमेटी ने घर बैठे सूची तैयार किया है। जबकि समन्वय कमेटी बनाना चाहिए था।  सर्वेक्षण के बाद प्रत्याशियों को अधिकृत किया जाना था। जैसा की भाजपा में इस बार हुआ और कांग्रेस में भी होता रहा है। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ।

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                जिला पंचायत सदस्य चुनाव के लिए अधिकृत सूची जारी होने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओ और नेताओं में जबरदस्त नाराजगी है। मजेदार बात है कि इस बार कई क्षेत्र में कांग्रेस नेताओं ने ऐसे प्रत्याशी का समर्थन किया है जिसकी प्राथमिक सदस्यता भी नहीं है। और ना ही क्षेत्र के लोगों में पहचान ही है। जिसके चलते मैदान में कांग्रेस के समर्थन से चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले स्थानीय कांग्रेसियों ने मोर्चा खोल दिया है। मैदान में उतरकर दम लगाने का एलान किया है। 

                 इधर चर्चा में है कि जिला कांग्रेस नेता निकाय चुनाव की जश्न में इस तरह डूब गए कि  सेलर में भाजपा प्रत्याशी को वाक ओव्हर मिल गया। कांग्रेस की तरफ से किसी ने नामांकन दाखिल नहीं किया। नतीजन जनपद पंचायत बिल्हा उपाध्यक्ष विक्रम सिंह की पत्नी को निर्विरोध जीत हासिल हो गयी। कांग्रेस नेताओं में इस बात को लेकर जिला कांग्रेस कमेटी के खिलाफ भयंकर आक्रोश है।

             कांग्रेस संगठन के नेताओं ने बताया कि जिला कांग्रेस कमेटी के नियमित अध्यक्ष पार्षद चुनाव में व्यस्त रहे। प्रभारी अध्यक्ष ने अधिकृत प्रत्याशी की घोषणा की तरफ ध्यान ही नहीं दिया। बाद में आनन फानन कर जिला पंचायत सदस्य के अधिकृत प्रत्याशियों के नाम का एलान किया गया। इस बात का भी ध्यान नहीं रखा गया कि जिन्हें समर्थन दिया जा रहा है दरअसल वह प्राथमिक सदस्य हैं भी या नहीं। क्षेत्र में उनका जनाधार क्या है।

                जानकारी के अनुसार जिला पंचायत सदस्य प्रत्याशी को अधिकृत करने में गुण दोष का ध्यान नहीं दिया गया। क्षेत्र क्रमांक 11 में अशोक सूर्यवंशी को समर्थन दिया गया है। जबकि विधानसभा और लोकसभा में उन्होने भाजपा के लिए काम किया। इतना ही नहीं पिछले जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी को हराया भी। क्षेत्र क्रमांक 13 में जोगी कांग्रेस से कांग्रेस मेें शामिल हुए राजेश्वर भार्गव पर विश्वास किया गया। क्षेत्र क्रमांक 14 से सरिता राजकुमार को अधिकृत प्रत्याशी बनाकर उतारा गया। जबकि सरिता और राजकुमार को ना तो स्थानीय कांग्रेसी जानते है। और दोनों स्थानीय कांग्रेसियों को भी नहीं जानते। जबकि यहां से प्रदेश कांग्रेस सचिव रवि श्रीवास ने अपनी पत्नी सीमा श्रीवास के लिए समर्थन मांगा था।  लेकिन नही मिला। अब रवि श्रीवास ने अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ मैदान में उतरकर समस्या खड़ा कर दिया है।

                 इसी तरह क्षेत्र क्रमांक में सूर्यवंशी को मैदान में उतरा गया। जबकि सूर्यवंशी कांग्रेस का प्राथमिक सदस्य भी नहीं है। कोटा क्षेत्र क्रमांक 17 में अरूण चौहान को कांग्रेस ने समर्थन किया है। स्थानीय कांग्रेसियों में चौहान को लेकर नाराजगी है। स्थानीय लोगों की माने तो यदि यहां से किसी स्थानीय को अधिकृत किया जाता तो बेहतर होता। क्योंकि चौहान कोटा में रहते नहीं है।वहीं बिल्हा क्षेत्र क्रमांक तीन में कांग्रेसियों के बीच जमकर घमासान देखने को मिलेगा। यहां से यद्यपि अमितेष राय ने नाम वापस ले लिया है। लेकिन अंकित गौरहा को अन्य बागी कांग्रेसियों का सामना करना पड़ेगा। बताते चलें कि क्षेत्र क्रमांक 3 और आठ को कांग्रेस ने मुक्त रखा है।

            क्षेत्र क्रमांक 5 से गीतांजलि कौशिख चुनाव लड़ना चाहती थी। लेकिन समर्थन नहीं मिलते देख उन्होने नामांकन ही नहीं दाखिल किया।

क्या है नाराजगी की वजह

                      कांग्रेस संगठन के एक बड़े नेता ने बताया कि कांग्रेस की जिला पंचायत चुनाव में हार मिलना तय है। चार जनवरी तक लोग निकाय चुनाव का जश्न मनाते रहे। जिला पंचायत चुनाव की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया। आनन फानन में अंतिम समय में बिना बैठक परामर्श और सोच विचार किए घर बैठे सूची बनाकर ऊपर भेज दिया गया। जबकि सूची में ऐसे लोगों का नाम भेजा गया जिनकी क्षेत्र में ना तो पहचान है और ना ही कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ही है। सूची प्रकाशित होने के बाद स्थानीय लोगों मेैं आक्रोश है। यदि सूची समुचित तरीके से यानि परामर्श और जांच पड़ताल के बाद तैयार कर भेजी जाती तो निकाय चुनाव की तरह पंचायत चुनाव में सफलता निश्चित थी। 

                          

 

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