VIDEO-15 जनवरी रेल्वे ज़ोन आंदोलन की याद..बिलासपुर के जनसंघर्ष की ताक़त और नुमाइंदों को सब़क याद कराने का दिन

Chief Editor
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(रुद्र अवस्थी) 15 जनवरी 1996 को बिलासपुर में रेलवे जोन की मांग को लेकर ऐतिहासिक जन आंदोलन हुआ था । बिलासपुर शहर और इस इलाके की जनता की ताकत को यादगार बनाने वाले इस अहम दिन की याद इस वजह से भी अहम है , क्योंकि यह शहर एक बार फिर हवाई सुविधा की मांग को लेकर सड़क पर उतर आया है । 15 जनवरी के आंदोलन के ठीक पहले 13 जनवरी 1996 को  राघवेंद्र राव सभा भवन में हुई ,उस ऐतिहासिक बैठक की याद भी आ रही है।  जो बैठक स्वस्फूर्त थी और उसकी अगुवाई कोई नेता नहीं कर रहा था…..। इस शहर के लोग ही इसकी अगुवाई कर रहे थे। जिसमें रेलवे जोन को लेकर सरकार के उपेक्षा पूर्ण रवैया के खिलाफ जन आक्रोश फूट पड़ा था और यह गुस्सा इतना गर्म था कि जाड़े की सर्द हवाओं के बीच भी ऐतिहासिक राघवेंद्र हाल गरमा उठा था ।  इस बैठक में गुस्साए लोगों ने तब के बिलासपुर सांसद का न सिर्फ घेराव किया ,बल्कि उनका इस्तीफा भी लिखवा लिया । सीजीवालडॉटकॉम न्यूज़ के व्हाट्सएप् से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

             
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आज के राजनेताओं और नुमाइंदों के लिए यह चेतावनी भरा सबक हो सकता है कि बिलासपुर के लोग अगर अपना हक और अधिकार लेने के लिए मैदान में उतर जाएं तो जनप्रतिनिधियों को भी अपना पद छोड़ कर भीड़ के साथ सड़क पर खड़े होना पड़ सकता है। रेल ज़ोन आँदोलन इतिहास के घटनाक्रम पर नज़र डालेंगे तो सिर्फ़ सांसद ही नहीं, उस समय  बिलासपुर इलाके के भी तमाम मंत्रियों को इस्तीफ़ा देना पड़ा था। कहने का मतलब़ यह है कि जनसंघर्ष की ताक़त ने हमारे नुमाइंदों को भी  साफ़ संदेश दिया था कि जहां बैठे हो वहां बिलासपुर की बेहतरी के लिए कुछ करो या फ़िर इस्तीफ़ा देकर हमारे साथ सड़क पर आओ…..। और आख़िर नेताओँ को साथ आना पड़ा

 यह वही दिन था जब सांसद का इस्तीफा लेने के बाद शहर के लोगों, नौजवानों और छात्रों की भीड़ जुलूस की शक्ल में निकली । यह पहला ऐतिहासिक मौका था जब कोई जुलूस शहर के बीच से गांधी पुतला की ओर बढ़ा और रेलवे तक गया । भीड़ ने रेलवे इलाके में जाकर जोरदार प्रदर्शन किया । अब तक ऐसा होता रहा है कि शहर में कोई भी जुलूस गांधी पुतला से नेहरू पुतला की ओर आता और कलेक्ट्रेट में ज्ञापन सौंपकर जुलूस खत्म हो जाता ।  लेकिन 13 जनवरी 1996 के जुलूस ने मांग प्रदर्शन की दिशा ही बदल दी और रेलवे इलाके में जाकर दफ्तरों के सामने जोरदार प्रदर्शन किया । दूसरे दिन भी बिलासपुर में इसकी जमकर चर्चा रही।

इसके बाद नागरिक संघर्ष समिति ने 15 जनवरी 1996 को बिलासपुर बंद और रेल रोको आंदोलन का ऐलान कर दिया।  स्थिति नाजुक थी और लोगों में काफी जोश था । इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि समिति ने आंदोलन शुरू करने का समय सुबह 10 बजे तय किया था । लेकिन बिलासपुर से दूर गांव के स्टेशन में लोगों ने सुबह 7:30 बजे ही रेल रोक दिया था।  

इधर बिलासपुर शहर में लोग स्वस्फूर्त  सैकड़ों- हजारों की तादाद में सड़कों पर उतर आए और सभी का रुख रेलवे स्टेशन की ओर था । उस दौरान के हालात की रिपोर्टिंग करने वालों को आज भी याद है कि शहर के हर गली मोहल्ले से लोग निकले और रेलवे स्टेशन से जुड़े सभी रास्तों में भीड़ ही भीड़ थी । नारेबाजी और अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते हुए लोग रेलवे स्टेशन पहुंचे । बरसों की उपेक्षा का दंश झेलते हुए लोगों का गुस्सा आत्मदाह की तर्ज पर फूट पड़ा और रेलवे को करोड़ों का नुकसान हुआ । शहर ने पहली बार कर्फ्यू देखा और बड़ी तादाद में लोगों की गिरफ्तारियां हुई । 15 जनवरी 1996 के दिन जो आग लोगों के दिलों में दहकी और जो धुआं उठा …… उसे याद करना आज भी त्रासदायक है। अपने ही आत्मदाह की लपटों को याद कर कोई इतना ही कह सकता है कि फिर कभी ऐसी सूरत न बने…… व्यवस्था में बैठे लोग समय रहते फैसला करें और बिलासपुर को उसका हक़ मिल जाए …. ।

15 जनवरी 1996 के उस आंदोलन के बाद भी बिलासपुर को लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी । बिलासपुर से लेकर दिल्ली तक धरना प्रदर्शन करना पड़ा । संसद में बैठे प्रतिनिधियों और सरकार में बैठे मंत्रियों – नेताओं से बार-बार मिलकर उन्हे समझाना पड़ा कि बिलासपुर में रेलवे का जोनल मुख्यालय  बनाना क्यों जरूरी है….? यह जनता की ताक़त का ही असर था कि बिलासपुर के ही नहीं कई राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने भी इस मुहिम में आगे बढ़कर साथ दिया । लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष रहते हुए अटल बिहारी बाज़पेयी ने बिलासपुर के रेल्वे ज़ोन की माँग को अपनी मांग के रूप में स्थापित कर दिया था । फ़िर प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होने ही बिलासपुर में रेल्वे जोन बनवाया और उसकी नीँव का पत्थर रखने भी आए । बिलासपुर के प्रतिष्ठा की इस लंबी लड़ाई में आखिर बिलासपुर की जीत हुई ।

इस ऐतिहासिक दिन को आज के दौर में याद करने की एक बड़ी वज़ह यह भी है कि बिलासपुर शहर एक बार फिर हवाई सुविधा की मांग को लेकर सड़क पर है । रेल्वे ज़ोन आंदोलन की पुरानी टीम फ़िर से बिलासपुर के हक़ के लिए खड़ी हो गई है , ज़िसे लम्बी लड़ाई का तज़ुर्ब़ा है   और नई पीढ़ी भी उसके साथ है। हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति का धरना शुरू हो चुका है । 2 महीने से अधिक का वक्त गुजर जाने के बाद भी अब तक बिलासपुर को हवाई नक्शे से जोड़ने के लिए कोई ठोस पहल नहीं हुई है।  अब तक चले आंदोलन में धरना के दौरान एक बार फिर बिलासपुर की यह ख़ासियत नजर आ रही है कि रेलवे जोन आंदोलन सहित तमाम आंदोलनों की तरह इस बार भी जनता का यह आंदोलन दलगत राजनीति से दूर है और इसकी अगुवाई करने वालों में किसी नेता का नाम नहीं है।  

करीब सभी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता और खासकर नौजवान इसमें शामिल हो रहे हैं।  दूसरी बड़ी बात यह है कि शहर के तमाम सामाजिक, व्यवसायिक और स्वयंसेवी संगठन इसमें हिस्सा ले रहे हैं ।  यह इस बात का संकेत है कि बिलासपुर ने अब तक जो कुछ भी हासिल किया है ,वह जनता की सीधी लड़ाई से ही मिला है और ऐसी हर लड़ाई में शहर का हर एक तबका एकजुट होकर अपनी सक्रिय हिस्सेदारी निभाता रहा है ।इतिहास दोहराने की तैयारी है और यह शहर अपनी पुरानी ताक़त को समेटकर व्यवस्था के ज़िम्मेदार लोगों को फ़िर से इसकी याद दिला रहा है।

करीब 2 महीने से अधिक समय से चल रहे इस धरना आंदोलन के दौरान समाज के तमाम तबके के लोगों की तरफ से जो बातें कही गई हैं ,उनमें यह बात तो अहम है ही कि बिलासपुर की तरक्की के लिए हवाई सेवा क्यों जरूरी है….?   इसके साथ ही यह बात फिर से उभर कर सामने आ रही है कि छत्तीसगढ़ में बिलासपुर शहर लगातार उपेक्षित हो रहा है । नया राज्य बनने के बाद सरकार में बैठे लोगों ने एक शहर ( राजधानी )  को ही छत्तीसगढ़ मानकर पूरी तरक्की वहीं पर झोंक दी है । नतीजतन अविभाजित मध्यप्रदेश के ज़माने में अपनी अलग पहचान रखने वाला बिलासपुर शहर दोयम होकर पिछड़ता जा रहा है । लोग यह सवाल भी उठा रहे हैं कि क्या बिलासपुर के साथ यह जानबूझकर किया जा रहा है ….?  इस तरह की जन भावना आंदोलन के साथ जुड़ रही है । जो एक बार फिर आक्रोश का कारण बन रही है ।

15 जनवरी 1996 के ऐतिहासिक जन आंदोलन को याद करते हुए लोग मुहिम को तेज करने के पक्षधर नजर आ रहे हैं । जिससे व्यवस्था के जिम्मेदार लोगों को जगाया जा सके । एक बार फिर याद दिलाने का मन करता है कि इस इलाके की नुमाइंदगी करने वालों को भी बिलासपुर के मिज़ाज़ को समझ कर अपनी जिम्मेदारी पूरी करनी होगी और जनसंघर्ष में साथ खड़े होना पड़ेगा । बिलासपुर और इस इलाके के लोगों ने रेलवे जोन की मांग को लेकर लंबी लड़ाई लड़ी….. हर तरह की लड़ाई लड़ी और जीत भी हासिल की।  इस ऐतिहासिक आंदोलन को याद करते हुए एक बार फिर यह सोचने का समय है कि क्या जन संघर्ष की अपनी उस ताकत के सहारे सोए हुए लोगों को फिर से जगाने के लिए बिलासपुर को एक बार फिर उठकर खड़ा होना होगा…..?

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