छात्र संघर्ष समिति ने किया जोन आंदोलन को याद..कहा..उद्देश्य नहीं हुआ पूरा..फिर जन्म ले रहा नया आंदोलन

BHASKAR MISHRA

बिलासपुर— छात्र युवा जोन संघर्ष समिति के बैनर तले रेल जोन महाप्रबंधक कार्यालय के सामने 15 जनवरी 1996 के ऐतिहासिक आंदोलन की याद में आंदोलनकारियेां और जेल यात्रियों के सम्मान में दो घण्टे का कार्यक्रम आयोजित किया गया। धरना प्रदर्शन कार्यक्रम की अध्यक्षता जोन आंदोलनकारी रहे महेष दुबे ने की। कार्यक्रम के संयोजक और संचालक अभय नारायण राय ने किया। कार्यक्रम को विषेष रूप से बेनी गुप्ता सुधीरा खण्डेलवाल राकेश शर्मा सुदीप श्रीवास्तव अजय श्रीवास्तव विवक वाजपेयी नसीम खान  राघवेन्द्र सिंह धर्मेश शर्मा बंटी खान सैय्यद निहाल मनोज तिवारी केशव गोरख ने संबोधित किया।

                   बेनी गुप्ता ने कहा कि जोन जनता के अपेक्षाओं पर खरा नही उतरा  है। जिन उद्देश्यों को जोन की लडाई लडी गयी। वह आज भी अधूरी है। बेनी गुप्ता ने भाषण के दौरान अपने संस्मरण को भी साझा किया। राकेश शर्मा ने कहा कि जमीन कोयला सब कुछ हमारा है और सुविधा अधिकारियों को मिल रही है..प्रदूषण का दंश बिलासपुर की जनता को भुगतना पड़ रहा है। रेलवे  अस्पताल आज भी जोन स्तर का नही है। खेल के क्षेत्र में भी कोई योगदान नही है। खिलाडी कोटे की भर्ती भी नगण्य हैं। स्थानीय लोगों को रोजगार भी नही मिल रहा हैं। 

                विवेक बाजपेयी ने 13 , 14 और 15 जनवरी 1996 की घटनाओं को याद किया। उन्होने बताया कि पुलिस से मुटभेढ कैसे हुआ? किन परिस्थितयों में आंदोलन हिंसक हुआ? उसका विस्तृत वर्णन किया। नसीम खान बंटी खान केशव गोरख ने भी अपने संस्मरण सुनाए।

                    सुदीप श्रीवास्तव ने जोन आंदोलन की जानकारी सिलसिलेवार दी।  9 वें जोन से  16 वे जोन तक के सफर को याद करते हुये कहा कि बिलासपुर 9वां जोन होना था। लेकिन 16 वां जोन बना। सुदीप ने उन सांसदों को भी याद किया जिन लोगों ने आंदोलन के दौरान लोकसभा राज्यसभा में मांग का समर्थन किया। सुदीप श्रीवास्तव ने तात्कालीन समय के विधायकों और मंत्रियों को भी याद किया।  जिन्होने आंदोलन को समर्थन दिया था।

                     अपने अध्यक्षीय भाषण में महेंशदुबे ने आंदोलन की घटनाओं को याद किया। बताया जनता इस लडाई  को लडते लडते उदास हो चुकी थी। उदासीनता कब आक्रोश में बदल गयी शासन प्रशासन को तब पता चला जब आंदोलनकारियेां ने कई हजार करोड की संपत्ति फूुंक डाली। उन्होने बताया कि आंदोलन के बाद 300 मुकदमें दर्ज किये।  2000 लोग हफ्तों तक जेल में बंद कर गिरफ्तार किये गये। लगभग 15 साल तक मुकदमें चलते रहे। अभी कुछ साल पहले  ही रेलवे जोन से सारे मुकदमें खत्म हुए। महेश दुबे ने कहा शहर में एक और आंदोलन 82 दिन से हवाई  सेवा कोे लेेकर चल रहा है।  वैसी ही रेलवे जोन की तरह परिस्थितियों उत्पन्न हो रही हैं। लोगों में आक्रोश धीरे धीरे भरने लगा है। यदि शासन प्रशासन ने ध्यान नही दिया तो कोई बडी बात नही कि जोन आंदोनल का इतिहास दुहरा जाए। आंदोलन में महापौर रामषरण यादव भी उपस्थित हुए।

           
कार्यक्रम के संयोजक एवं संचालन कर्ता सदस्य अभय नारायण राय ने बताया कि उक्त आंदोलन रेल्वे के अधिकारियों और षासन प्रषासन को याद दिलाने के लिए किया गया कि जोन का निर्माण कैसे हुआ? और जोन को लेकर लोगों की अपेक्षाएं क्या थी? वक्ताओं ने अपने संबोधन के दौरान रेलवे का निजीकरण निजी ट्रेन परिचालन, संसद से रेल बजट हटाने आदि की चर्चा करते हुये निंदा की । अभय नारायण राय ने  बताया कि बहुत जल्द महाप्रबंधक से समय लेकर रेल बजट से पूर्व समिति माहप्रबंधक से मुलाकात कर आगामी बजट में जोन क्षेत्र की मांगो को रखते हुये ज्ञापन सौपेगी। सुदीप श्रीवास्तव के नेतृत्व में प्रतिनिधिमण्डल जल्द ही जोन महाप्रबंधक से मुलाकात करेगा।

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