हाईकोर्ट का आदेशः आईजी नहीं जारी कर सकता आरोप पत्र–शासन को देना होगा जवाब

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—- हाईकोर्ट जस्टिस गौतम भादुड़ी कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला दिया है कि आईजी को निरीक्षक और एसआई को आरोप पत्र देने का अधिकार नही है। इसलिए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ जारी आदेश पर रोक लगाया जाता है।
 
               हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आईजी के आरोप पत्र देने के अधिकार को गैरवाजिब बताया है। जस्टिस गौतम भादुडी की कोर्ट ने कहा कि पुलिस रेगुलेशन में आईजी को निरीक्षक और एसआई को आरोप पत्र देने का अधिकार नही होना बताया। जस्टिस गौतम भादुड़ी ने याचिकर्ताओ के खिलाफ पारित आदेश पर रोक लगाते हुए शासन को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
 
               मालूम हो कि याचिकाकर्ता आनन्द राम और श्रवण कुमार टंडन कोरिया जिला में उप निरीक्षक के पद मे पदस्थ है। दोनों के खिलाफ किसी मामले में आईजी सरगुजा ने शिकायत के बाद  दोनों को आरोप पत्र जारी किया। आईजी ने आरोप पत्र में दोनो को पदावनत कर संचय प्रभाव से एक वेतन वृद्धि रोकने का आदेश पारित दिया था।
     
               आरोप पत्र के मिलने के बाद आनन्दराम और श्रवण कुमार ने वकील धीरज वानखेडे के माध्यम से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखाटाया। दोनों ने वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में बताया कि पुलिस रेगुलेशन एक्ट 228 में निरीक्षक और उप निरीक्षक को आरोप पत्र देने का अधिकार केवल पुलिस कप्तान को है। आईजी को आरोप पत्र जारी करने का अधिकार नहीं है। इसलिए आईजी कार्यालय से जारी आदेश को निरस्त किया जाए।
 
                              मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस गौतम भादुडी ने पुलिस रेगुलेशन में आईजी को आरोप पत्र जारी करने का अधिकार नही होने के कारण याचिकाकर्ताओं के खिलाफ जारी आदेश पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने शासन को याचिकाकर्ताओं के खिलाफ किसी भी प्रकार का दंडात्मक कार्रवाई नही करने और चार सप्ताह में शासन को जवाब पेश करने को कहा है।
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