आवासीय विद्यालय में भर्राशाही… आनलाइन होता है छात्रावास का संचालन..बच्चियों ने बताई परेशानी

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—- पेन्ड्रा स्थित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय का संचालन या तो राम भरोसे होता है। अथवा वार्डन प्रमुख अपने घर से आनलाइन छात्रावास का संचालन करते हैं। चार पांच दिन में कभी कभी छात्रावास पहुंचते भी है. तो बच्चों की समस्या सुनने का सवाल ही नहीं उठता है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करे
 
                    पेन्ड्रा स्थित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय का संचालन सत्र 2019-20 से फिजिकल कॉलेज पेण्ड्रा से संचालित किया जा रहा है। यहां  बिलासपुर जिले से चयनित छात्र छात्राएं अध्ययन करती हैं।  आवासीय विद्यालय में वनांचल क्षेत्र टेंगनमाडा , बिल्हा , बस्ति बगरा , सिवनी मरवाही के छात्र रहते है। विद्यालय में पढ़ने वाले सभी छात्र छात्राएं आदिवासी वर्ग से हैं। 
 
                         चूंकि यह आवासीय विद्यालय है। बालक और बालिकाओं  के लिए अलग अलग छात्रावास की व्यवस्था है।नियमानुसार सभी बच्चे छात्रावास अधीक्षक और अधीक्षिका की निगरानी में रहते हैं। लेकिन इसमें थोड़ी भी सच्चाई नहीं है। अधीक्षक और अधीक्षिका के लगातार अनुपस्थिति के चलते छात्र और छात्राएं असुरक्षित हैं। छात्रावास की कई छात्र और छात्राओं ने बताया कि अधीक्षक और अधीक्षका के नहीं रहने से उन्हें कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। असामाजिक तत्वों के चलते जीना मुश्किल हो गया है।
 
             छात्र और छात्राओं ने बताया कि बालक और बालिका छात्रावास अलग-अलग है। दोनों के वार्डन भी अलग है। लेकिन दोनो सप्ताह में तीन चार दिन गायब रहते हैं। रविवार को रहने का सवाल ही नहीं उठता है।
 
          दोनों छात्रावास के बच्चों ने बताया कि अधीक्षक और अधीक्षिका का तीन चार दिन के अंतराल में छात्रावस आना होता है। जरूरी खाना पूर्ति के बाद वार्डन घर चले जाते हैं। किसी भी बच्चे से बातचीत होने का सवाल ही नही होता है। उन्हें बच्चों की परेशानियों से कोई लेना देना भी नहीं रहता है। बालिका छत्रावस की अधिक्षिका फोन से ही छत्रावस का संचालन बिलासपुर स्थित अपने घर करती है। बहुत कम देखने को मिला है कि बालिका छात्रावास अधीक्षिका एक रात भी छात्रावास में रही हों।
 
                                     छात्राओं ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि छात्रावास अधीक्षिक के नही रहने से कभी कभी स्थिति बहुत खतरनाक हो जाती है। किसी बच्चे की जब तबीयत खराब हो जाती है तो राम राम कहकर रात गुजरती है। शुक्र है कि अभी तक कोई  बड़़ा हादसा नहीं हुआ। यदि कभी ऐसा हो गया तो इसके जिम्मेदार कौन होगा। 
 
                    बच्चों ने बताया कि जब बच्चो की तबीयत खराब होती है रात बड़ी मुश्किल से गुजरती है। बच्चे दर्द में तड़पते रहते है। बच्चों ने बताया कि ऐसे समय अभिवावकों की बहुत याद आती है। सुबह होने पर खुद अस्पताल जाकर इलाज कराते हैं। चूंकि अधीक्षक और अधीक्षिका छत्रावास में रहते नही है..इसलिए उनसे सहयोग की उम्मीद करना ठीक नहीं।
 
               जानकारी हो कि एकलव्य विद्यालय संचालन की पूरी जवाबदेही जिलाधीश की होती है। पेन्ड्रा से जिला मुख्यालय की दूरी अधिक होने की वजह से कलेक्टर को वस्तुस्थिति की जानकारी  मातहत ठीक से नहीं मिलती है। स्थानीय प्रशासन का भी ध्यान छात्रावास की तरफ नहीं जाता है। यही कारण है कि आवासीय विद्यालय के नाम से आने वाला मोटा बजट विद्यालय प्रशासन के हितों की भेंट चढ़ जाता है।
   
              ताजा मामला कुछ इस तरह से है कि एक बच्ची की बीती रात तबीयत बहुत खराब हो गयी। लेकिन अधीक्षिका के नहीं होने से बच्ची को रात भर बुखार में तड़पना पड़ा।बच्ची ने बताया कि वह गिरारी की रहने वाली है। रात को पेट में दर्द के साथ बुखार आया। लेकिन मैडम के नहीं रहने से अस्पताल नहीं जा पायी  है। बच्ची ने यह भी बताया कि जब भी हम लोगों में से किसी की तबीयत खराब होती है तो घर वालों को बुलाना पड़ता है।तबीयत ज्यादा खराब होने पर घर चले जाते हैं। मैडम को जब घर जाने की जानकारी मिलती है तो बहुत डांटती है। बच्चों ने बताया कि वार्डन के नहीं रहने से परेशानी का सामना करना पड़ा है। 
 
               इधर छात्रवास अधीक्षक और अधीक्षिका के सवाल पर ट्राईवल विभाग अधिकारी ने बताया कि हमने मंडल संयोजक को जांच के लिए भेजा है। जानकारी मिली है कि अधीक्षक और अधिक्षिका मौके पर नही मिले है। मामले में सख्त कार्रवाई करेंगे।

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