बिलासपुर— वकील योगेश्वर शर्मा ने जनहित याचिका पेश कर सरकारी जमीन को पट्टे में दिए जाने वाले कानून को चुनौती दी है। हाईकोर्ट की डबल बैंच ने जनहित याचिका स्वीकार करते हुए अंतिम सुनवाई के लिए सुरक्षित रखा है।
जानकारी हो कि नई सरकार बनने के बाद शासन ने नजूल और गैर नजूल जमीन पर काबिज लोगों को पट्टा दिए जाने का एलान किया है। सरकार ने कानून बनाकर कब्जाधारियों को निश्चित शुल्क के एवज में भू-स्वामी अधिकार दिए जाने का फरमान जारी किया है।
सरकार के निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट अधिवक्ता योगेश्वर शर्मा ने जनहित याचिका पेश करते हुए कोर्ट से कानून को अमान्य किए जाने का निवेदन किया है। योगेश्वर शर्मा ने बताया कि शासन ने नया कानून बनाकर अतिक्रमण करने वालों को बढ़ावा दिया है। जनहित याचिका के माध्यम से योगेश्वर ने जानकारी दी कि यह कानून भू-राजस्व संहिता के खिलाफ है।
योगेश्वर ने बताया कि शासन ने भू-राजस्व संहिता के प्रतिकूल कानून बनाया है। नए कानून में बताया गया है कि सरकारी जमीन पर काबिज व्यक्ति सरकारी दर के अनुसार 150 प्रतिशत शुल्क भुगतान भू-स्वामी हक हासिल कर सकता है। जबकि भू-राजस्व संहिता में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। इस प्रकार के कानून से प्रदेश में सरकारी जमीन निजी हाथों में चली जाएगी। ऐसा होने से जनहित को बहुत नुकसान होगा।
जानकारी हो कि योगेश्वर की याचिका पर मुख्यन्यायाधीश मेनन और जस्टिस पीपी साहू की युगल बेंच में सुनवाई हुई।