बिलासपुर—गवर्मेन्ट एम्पालइज वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले कर्मचारियों ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर प्रदर्शन किया। संगठन के लोगों ने नारेबाजी के बाद जिला प्रशासन को राज्यपाल,मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के नाम 11 सूत्रीय मांग पत्र दिया। संगठन के नेताओं ने प्रमुख रूप से पदोन्नत में आरक्षण की मांग पर जोर देते हुए महाधिवक्ता के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है।
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गवर्मेन्ट एम्पालइज वेलफेयर एसोसिएशन छत्तीसगढ़ के बैनर संगठन के नेताओं ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर पदोन्नत में आरक्षण की मांग की है। नेताओं ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के नाम दिए पत्र में कहा है कि पदोन्नत में आरक्षण नहीं दिया जाना गैर संवैधानिक है। छत्तीसगढ़ लोकसेवा पदोन्नति नियम 2003 का उल्लंघन भी है।
संगठन के नेताओं ने 11 सूत्रीय मांग पेश करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय ने पदोन्नति में आरक्षण को निरस्त कर नियमित पदोन्नत देने का निर्देश दिया है। जिसके कारण अनुसूचित जाति और जनजाति के अधिकारियों को पदोन्नति से वंचित होना पड़ रहा है। महाधिवक्ता उच्च न्यायालय की तरफ से शासन का पक्ष ठीक से नहीं रखा गया। एसटी,एससी वर्ग के कर्मचारियों में गहरा आक्रोश है। इसलिए जिम्मेदार विधि अधिकारियों और महाधिवक्ता के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
गवर्मेन्ट एम्पालइज वेलफेयर एसोसिएशन छत्तीसगढ़ ने 11 सूत्रीय मांग पत्र में बताया कि छत्तीसगढ़ शासन के खर्च पर सुप्रीम कोर्ट के वकील को बुलाकर आरक्षण के मामले को रखा गया। उच्च न्यायालय ने पदोन्नत में आरक्षण को स्थगन आदेश दिया। जरूरी है कि सरकार उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करे। इसके अलावा महाधिवक्ता और विधि विभाग के अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई भी करे। साथ ही प्रदेश की नौकरी आउटसोर्सिग और संविदा से नहीं भरते हुए नियमित किया जाए।
नेताओं ने आक्रोश जाहिर करते हुए कहा कि पुरानी पेशन योजना को बहाल किया जाए। शिक्षक पंचायत वर्ग का संविलियन किया जाए। दैनिक वेतन भोगियों को नियमित किया जाए। एलबी संवर्ग को नियुक्ति तारीख से वरिष्ठता दी जाए। तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण व्याख्याता पंचायत को बीएड के नियमों में संशोधन किया जाए। कर्मचारियों ने कहा कि एसटी,एससी वर्ग के हितों को ध्यान में रखते हुए विधानसभा से पारित कर आरक्षण को संविधान की 9 वी अनुसूची में शामिल किया जाए।