सिप्रोसिन दवा निर्माताओं पर कार्रवाई की मांग..व्यवहार न्यायालय में पेश हुआ मामला…नसबन्दी के बाद दवाई खाने से हुई थी 13 महिलाओं की मौत

BHASKAR MISHRA
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तखतपुर—(टेकचंद कारड़ा)-  औषधि प्रयोग शाला से सिप्रोसिन टेबलेट को अमानक प्रमाणित होने पर औषधि प्रशाधन विभाग बिलासपुर की तरफ से  रिपोर्ट को व्यवहार न्यायालय तखतपुर में अभियोजन पेश किया गया। ड्रग एवं कास्मेटिक एक्ट 1940 की धारा 17 बी डी और  18 ए 1 धारा 27सी के तहत मामले में सुनवाई प्रांरभ हुई। 
 
                   तखतपुर विकासखण्ड के पेण्डारी स्थित नेमीचंद जैन अस्पताल में और पेंड्रा में 8 नवंबर 2014 को सरकारी नसबंदी शिविर का आयोजन किया गया । इस दौरान 137 महिलाओं का ऑपरेशन हुआ। इसके बाद 18 महिलाओं की मौत हो गयी। मौत का सिलसिला नसबंदी के दूसरे दिन शाम से शुरू हुआ। सभी को बिलासपुर स्थित कई अस्पतालों में भर्ती किया गया था।
 
                   घटना के बाद मामले में तात्कालीन स्वास्थ्य सचिव ने ‘जांच रिपोर्ट’ के आधार पर दावा किया कि महिलाओं को दी गई सिप्रोसीन दवा में चूहा मारने वाले ज़हर का अंश पाया गया है। .
                             बाद में सरकार ने कथित रुप से अलग-अलग लैब में सिप्रोसिन और आईबूप्रोफेन दवा की जांच करायी। दावा किया गया कि जांच रिपोर्ट में दवाओं में ज़हर की पुष्टि हुई है। नसबंदी के बाद 13 महिलाओं को सिप्रोसिन टेबलेट दी गई थी। दवा खाने के बाद तबीयत बिगडी और 13 महिलाओं की मौत हो गयी।
 
         दवा खाने से तखतपुर स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत सिप्रोसिन दवा की सेवन से अनेक लोग भी प्रभावित हुए। मामला गंभीर होने पर 11 नवम्बर 2014 को तखतपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के औषधि वितरण स्टोर से ड्रग इंस्पेक्टर ने सिप्रोसिन समेत आठ प्रकार की दवाएं जप्त की। लगभग 1 लाख 52 हजार टेबलेट को जप्त किया गया।
 
                केंद्रीय औषधी विभाग कोलकाता स्थित प्रयोग शाला में जांच के लिए भेजा गया जांच में सिप्रोसिन टेबलेट को अमानक पाया गया। अमानक प्रमाणित होने के बाद 24 फरवरी 2020 को व्यवहार न्यायालय तखतपुर में ड्रग इंस्पेक्टर धर्मवीर सिंह ध्रुव ने अभियोजन पेश किया। बताया गया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तखतपुर में दुकानों से जब्त आठ प्रकार की दवाों का परीक्षण केंद्रीय औषधि प्रयोग शाला कोलकाता में  कराया गया।  परीक्षण में सिप्रोसिन टेबलेट को अमानक पाया गया।
   
           परीक्षण रिपोर्ट बाद 24 फरवरी 2020 को तखतपुर व्यवहार न्यायालय ने प्रस्तुत अभियोजन पत्र में ड्रग एवं कास्मेटिक एक्ट 1940 की धारा 17 बी डी एवं 18 ए1 धारा 27सी के तहत आरोपियों पर कार्रवाई करने को कहा गया। दवा फर्म संचालक रमेश महावर पिता रामचिल पाल महावर महावीर फार्मा खम्हारडीह रायपुर राजेश खरे पिता एसपी खरे मेसर्स कविता फार्मेसी तिफरा राकेश खरे पिता एसपी खरे कविता फार्मेसी तिफरा के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही गयी। मामले में न्यायालय ने 3 मार्च की सुनवाई का फैसला किया है।

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