बिलासपुर—- छत्तीसगढ़ पुलिस सेवा परिवार संघ के बैनर तले..रोहिणी लोनिया ऊर्फ मनीष ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पुलिस और प्रशासन से अनशन स्थल की अनुमति नहीं मिलने के बाद मनीष ने अब कोन्हेर गार्डन में ही धरना प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। खबर लिखे जाने तक मनीष कोन्हेर गार्डन में आमरण अनशन पर बैठा है। सूत्रों की माने तो पुलिस कभी भी मनीष लोनिया को मौके से उठाकर अपने साथ ले जा सकती है। सीजीवालडॉटकॉम NEWS के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए।
जानकारी हो कि रोहिणी लोनिया ऊर्फ मनीष बर्खास्तगी से पहले लाइन में आरक्षक के पद पर नियुक्त था। पुलिस आंदोलन में सक्रियता दिखाने के आरोप में उसे चकरभाठा थाना क्षेत्र से पकड़ा गया था। बाद में मनीष को बर्खास्त कर दिया गया। मार्च के पहले सप्ताह में रोहिणी ने जिला और पुलिस प्रशासन को पांच सूत्रीय मांग पत्र देते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस सेवा परिवार के बैनर तले 11 मार्च से आमरण अनशन का एलान किया। मांग पूरी नही होने पर 11 मार्च को रोहिणी लोनिया अपने परिवार के साथ नेहरू चौक में धरना प्रदर्शन पर बैठा । देर शाम पुलिस ने उसके टैन्ट को जब्त कर परिवार समेत गाड़ी में बैठाकर घर भेज दिया।
दूसरे दिन यानि 12 मार्च को रोहिणी लोनिया आमरण अनशन स्थल के लिए कभी कलेक्टर कार्यालय तो कभी पुलिस अधीक्षक कार्यालय का चक्कर काटता रहा। अनुमति नहीं मिलने पर शनिवार को रोहिणी लोनिया कोन्हैेर गार्डन में आमरण अनशन पर बैठ गया है। रोहिणी के अनुसार एसडीएम ने नेहरू चौक पर धरना प्रदर्शन के लिए स्थान देने से इंकार किया है। एसडीएम ने कहा कि इसके लिए पुलिस से अनुमति लिया जाना जरूरी है। लेकिन एडिश्नल एसपी ने नेहरू चौक पर स्थान देने से इंकार कर दिया। उन्होने मुंगेली नाका चौक स्थित मैदान में भी धरना प्रदर्शन की अनुमति नही दी है।
मनीष ने जानकारी दी कि पहले तो बेवजह बर्खास्त किया गया। अब पुलिस परिवार के बैनर तले प्रदर्शन से रोका जा रहा है। जबकि शांति पूर्ण प्रदर्शन उसका मौलिक अधिकार है। अभी तक शासन ने पुलिस परिवार के हित में कारगर कदम नहीं उठाया है।
रोहिणी के अनुसार अब कोन्हेर गार्डन में आमरण अनशन पर बैठने का फैसला किया है। जब तक मांग पूरी नहीं होती है वह आमरण अनशन पर रहेगा।
लोनिया को समझाइश
मामले में एडिश्नल एसपी ओमप्रकाश शर्मा ने कहा कि रोहिणी ने सम्पर्क किया। उसे समझाया गया कि एसडीएम या कलेक्टर को अपनी मांग पत्र दे। एक दिवसीय में प्रदर्श के बाद अपने घर जाए। चूंकि कलेक्टर कार्यालय के आस पास क्षेत्र काफी व्यस्त और संवेदनशील है। इसलिए अनिश्चितकाली और आमरण अनशन की अनुमति का दिया जाना संभव नहीं है।