भगोड़ा बिल्डर पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार..20 महीने से फरार हरदीप को नहीं मिली जमानत..याचिका खारिज

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—- करीब 20 महीने से फरार हरदीप खनूजा की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। हरदीप खनूजा ने तात्कालीन एसपी के उसके खिलाफ भगोड़ा फरमान और पुलिस की झूठी एफआईआर को लेकर दो अलग अलग याचिका दायर किया था। मंगलवार को न्यायाधीश संजय के.अग्रवाल ने याचिका खारिज करने के साथ पुलिस प्रक्रिया को सही ठहराते हुए हरदीप खनूजा की याचिका को अमान्य कर दिया है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
 
                 करीब 20 महीने से करोड़ों की जमीन में धोखाधड़ी का आरोपी हरदीप खनूजा की याचिका को न्यायाधीश संजय के.अग्रवाल के कोर्ट ने खारिज कर दिया है। हरदीप खनूजा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के नाचीन वकील ने तर्क को पेश किया। हरदीप खनूजा ने अपनी याचिका में बताया कि उसके खिलाफ रिपोर्ट झूठी है। तात्कालीन एसपी आरिफ शेख ने साजिश के तहत उसे भगोड़ा करार देते हुए ईनाम दस हजार का एलान किया है। जो पूरी तरह से गलत और साजिश को जाहिर करता है।  इसलिए उस पर दर्ज एफआईआर और भगोड़ा आदेश को शून्य किया जाए। पुलिस को गिरफ्तारी की कार्रवाई से रोका जाए। संजय के अग्रवाल के कोर्ट ने शासन का तर्क सुनने के बाद ठग बिल्डर को अन्तरिम राहत देने से इंकार कर दिया। याचिका को खारिज कर दिया। 
  
               बताते चले कि हरदीप खनूजा पर तखतपुर क्षेत्र में दूसरी की करोड़ों रूपए की जमीन को कूट दस्तावेज के सहारे बेचने का आरोप है। शिकायत के बाद तखतपुर थाना में उसके खिलाफ अपराध दर्ज है। एफआईआर दर्ज होने के बाद बिलासपुर पुलिस ने हरदीप खनूजा को बहुत दिनों तक तलाशती रही। अन्त में तात्कालीन पुलिस कप्तान आरिफ शेख ने अधिकारों का प्रयोग करते हुए हरदीप खनूजा को भगोड़ा घोषित कर दिया। साथ ही ठग को बिल्डर को पकड़ने या पकड़वाने वाले को ईनाम दस हजार रूपए देने का एलान किया।
 
                 पुलिस गिरफ्तारी से बचने इस समय हरदीप खनूजा पिछले बीस महीने से फरारी पर है। इस दौरान उसने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के प्रयास से हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई। लेकिन मंगलवार को हाईकोर्ट ने जमानत देने से ना केवल इंकार किया। बल्कि पुलिस प्रक्रिया को भी सही बताया। 
   
                    बताते चलें कि एक दौर में हरदीप खनूजा की गिनती जिले के लोकप्रिय बिल्डरों में
होती थी। अच्छे लोगों और बड़े अधिकारियों के बीच में उसका अच्छा रसूख था। लेकिन याचिका खारिज होने के बाद उस पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गयी है। 
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