कोरोना की दहशतः एक दर्जन से अधिक लोगों को जमानत..17 मामलों की आज सुनवाई..हाईकोर्ट वकील संदीप दुबे ने फैसले को बताया ऐतिहासिक

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— प्रदेश की न्यायिक व्यवस्था में ऐसा पहली बार देखने को मिला कि महामारी को केन्द्र में रखकर एक साथ एक ही दिन एक दर्जन से अधिक मामलों में जमानत दी गयी है। जमानत के बाद खुद जस्टिस प्रशांत मिश्रा को कहना पड़ा कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि मामले मेे सुनवाई के दौरान जमानत देने में बिलंब भी हो सकता है। ऐसी सूरत में कोरोना के विश्वव्यापी प्रभाव को देखते हुए जमानत लगाने वाले को जमानत दी जाती है। इस दौरान यह भी देखने को मिला कि समय पर डायरी पेश नहीं हो पाने के कारण तीन लोगों को जमानत नहीं मिली है।

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                                    प्रदेश के न्यायिक इतिहास मैें पहली बार वायरस के बढ़ते प्रभाव को केन्द्र में रखकर एक दर्जन से अधिक लोगों को बिना सुनवाई जमानत दी गयी है। जमानत देते समय जस्टिस प्रशांत मिश्रा को कहना पड़ा कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि सुनवाई में समय लग सकता है। ऐसी सूरत में कोरोना प्रकोप को देखते हुए जमानत दिया जाना जरूरी है।

               बताते चलें कि केन्द्र सरकार ने एडवायजरी जारी किया है कि अर्जेन्ट मामलों के अलावा अधीनस्थ कोर्ट जमानत मामलों को ही इस दौरान सुना जाए। ऐसी ही एडवाजयरी हाईकोर्ट ने अधीनस्थ कोर्ट को भी जारी किया है। इसी क्रम में हाईकोर्ट ने एक साथ एक दर्जन से अधिक लोगों को जमानत दिया है। जस्टिस प्रशांत मिश्रा के कोर्ट में जमानत की कुल 24 मामलों में सुनवाई हुई। फैसला करते समय जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने एडवायजरी और कोरोना को केन्द्र में रखा। फैसले के दौरान उन्होने कहा कि कोरोना वायरस विश्व समुदाय के लिए त्रासदी है। संभावना से इंकार नही किया जा सकता कि सुनवाई में देरी हो सकती है। इसलिए जोखिम नहीं लेते हुए याचिकाकर्ता को जमानत दी जाती है।

किसको मिली जमानत

कोरोना वायरस के प्रकोप को ध्यान में रखते हुए जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने एक दर्जन से अधिक लोगों को राहत दी है। जमानत पाने वालों में प्रमुख रूप से मुंगवती यादव दंतेवाड़ा, रामचन्द्र घुटा मलकानगिरी, सोरभ बंजारे रायपुर, मोहम्मद अनवर भाटापारा, विनय कुमार सिंह बिहार, भुवनेश्वर कांकेर हैं।

आज 17 मामलों में जमानत पेश

हाईकोर्ट में आज 17 मामलों में जमानत याचिका लगी है। इस पर भी आज सुनवाई होगी। याचिकाकर्ताओं को उम्मीद है कि जमानत मिल सकती है। एक दिन पहले कोरोना को केन्द्र में दिए गए फैसले से जमानत मिलने के कयास को फिलहाल खारिज नहीं किया जा सकता है।

हाईकोर्ट का फैसला दूरगामी और ऐतिहासिक

हाईकोर्ट के वकील संदीप दुबे ने बताया कि निश्चित रूप से फैसला ऐतिहासिक और अभिलेखीय है। जस्टिस मिश्रा ने जमानत याचिका की सुनवाई करते समय ना केवल न्यायिक बल्कि सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार किया है। यह सच है कि सुनवाई के दौरान फैसले में देरी हो सकती है। ऐसी सूरत में सभी याचिकाकर्ताओं को एक साथ जमानत देना न्यायोचित है।

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