VIDEO-कोरोना वायरस की मेडिसिन “स्टे होम” घर पर ही रहें-बाहर न निकलें…क्योंकि…

Shri Mi
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बिलासपुर(सीजीवालडॉटकॉम)।कोरोना वायरस ने मानव जीवन के सामने एक बड़ी चुनौती पेश की है।  पूरी दुनिया – देश – प्रदेश और शहर के लोग – समाज – सरकार सभी इसे रोकने के लिए जूझ रहे हैं । इसमें हर एक की  अपनी – अपनी हिस्सेदारी है।  जिसे निभाना वक्त का तकाजा भी है और सभी की जिम्मेदारी भी है।  दौर कैसा भी हो खबरें नहीं रुकती…..।  बल्कि संकट के दौर में खबरों का सिलसिला और तेज हो जाता है।  इन दिनों पूरी दुनिया से लेकर देश ,प्रदेश -शहर और अपने आसपास तक सभी जगह से तरह तरह की खबरें आ रही हैं।  अभी तक जिस तरह से भारत में संक्रमित लोगों की संख्या कम होने की खबर आ रही है।  वह राहत देने वाली है । इसके साथ ही देशभर से  लॉकडाउन की खबरें भी सुर्खियों में है । बाजार बंद है । रेलगाड़ियों -बसों के पहिए थम गए हैं । रिक्शा ,ऑटो रिक्शा, टैक्सी सभी तरह  के पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर रोक लगा दी गई है.सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए

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रविवार को जनता कर्फ्यू का प्रयोग सफल रहा । इसके बाद तमाम शहरों में  लॉकडाउन कर दिया गया है और लोगों से उम्मीद की जा रही है कि वे अपने घरों पर रहे…. बाहर ना निकले …। इस बीच मीडिया में इस तरह की खबरों को देखकर तकलीफ होती है कि लॉकडाउन के दौरान लोगों को बाहर निकलने से रोकने के लिए पुलिस को मशक्कत करनी पड़ रही है ।  यह हैरत की बात की है और चिंता की भी बात है ….। आखिर ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या हम अपने घरों में खुद से होकर नहीं रुक सकते और क्या हमें अपने घर में रहने के लिए शासन- प्रशासन- पुलिस को हाथ पैर और डंडे चलाने की जरूरत पड़नी चाहिए ….?  सोशल मीडिया में चल रहे तरह तरह के पोस्ट के बीच एक तस्वीर बहुत प्रभावित करती है..।

इस तस्वीर में एक दवाईनुमा  बॉटल में लिखा है, वायरस मेडिसिन और दवाई के नाम की जगह बड़े अक्षरों में लिखा है स्टेहोम ….। और इस मेडिसिन को सबसे इफेक्टिव बताया गया है । सचमुच स्टेहोम यानी घर पर रहने का यह नुस्खा कारगर हो सकता है । जब इस घातक बीमारी की कोई दवाई अब तक नहीं मिल सकी है तो घर पर ही रहकर इससे बचाव का नुस्खा अपनाना ही बुद्धिमत्ता है।

दुनिया के सामने आई इतनी भयानक त्रासदी का मुकाबला करने के लिए यदि किसी को घर पर ही रहने कहा जाए तो शायद इससे छोटी अपेक्षा और कुछ नहीं हो सकती । घर से बाहर निकलने की अपनी मजबूरी और विशेष परिस्थितियों हो सकती हैं । जिन्हें टाला नहीं जा सकता ।  ऐसे हालात को छोड़ दें तो सामान्य स्थिति में  घर पर ही रहने की सलाह  कोई बहुत बड़ी अपेक्षा नहीं है । पूरी दुनिया में जहां भी कोरोना वायरस का प्रकोप हुआ है लोग इससे प्रभावित हुए हैं और जान गवां चुके हैं । वहां के हालात पर नजर डालें तो एकमात्र यही सबसे बड़ी चूक दिखाई देती है कि लोगों ने खुद को सोशल डिस्टेंसिंग में देरी  की …..।  

लोगों ने इसे हल्के में लिया ……। सहज़ता  से आते जाते रहे…..।  भीड़ से परहेज नहीं किया और मिलने – जुलने  का सिलसिला जारी रखा।  जिससे वायरस को फैलने में मदद मिली ।  फिर प्रभावित लोगों की तादाद इतनी अधिक हो गई कि अस्पतालों में भी जगह नहीं रही । इस भयावह तस्वीर को देखने के बाद कोई भी समझदार व्यक्ति एक बिंदु पर आकर ठहर सकता है कि सभी से दूरी बनाएं रखना सबसे जरूरी है । सोशल डिस्टेंसिंग  का यह  फार्मूला सबसे कारगर है और घर में रहने की मजबूरी या परेशानी को छोड़कर यह आसान  भी है । इस पर बहस हो सकती है कि सब कुछ बंद हो जाने के बाद आने वाले समय में अर्थव्यवस्था से लेकर जनजीवन तक सब जगह इसका बुरा असर पड़ेगा । इस बात पर कोई शक नहीं है।  लेकिन शक इस बात पर भी नहीं होना चाहिए कि आज की तारीख में हमारे सामने सबसे अहम् और सबसे बड़ा काम यही है कि हम अपने आप को सबसे अलग करके अपने घर में ही रहे । व्यवस्था की जिम्मेदारी जिनके कंधों पर है वह अमला दिन- रात एक कर काम में जुटा है और मानव समाज की सेवा कर रहा है।  ऐसे लोगों को सलाम करना चाहिए और हम सब की कोशिश होनी चाहिए कि जिन लोगों के कंधों पर वैसे भी बड़ी जिम्मेदारी है , उन पर और बोझ ना डालें । इसके लिए हम सिर्फ इतना कर सकते हैं कि अपने घर पर ही रहे …सुरक्षित रहें।

 आज अगर हमें घर से निकलने से रोकने के लिए पुलिस प्रशासन को जूझना पड़े तो यह हमारी सोच समझ और बुद्धिमत्ता पर सबसे बड़ा सवाल है ।  सोचना चाहिए कि आखिर घर से बाहर सड़कों पर निकलने से रोका क्यों जा रहा है….?  क्या पुलिस प्रशासन अपने लिए यह कर रही है …?  निश्चित ही यह सब मानव जीवन को……. हम सबको बचाए रखने के लिए किया जा रहा है । इसके पहले अब तक भले ही किसी घटना या कानून – व्यवस्था की वज़ह से कर्फ्यू लगाने की ज़रूरत पड़ती रही है। लेकिन यह पहला मौक़ा है जब किसी वायरस से बचाव के लिए इस तरह घर पर रहने कहा ज़ा रहा है। जिसमें सभी के सहयोग की ज़रूरत है। ऐसे समय में सोचना यह भी चाहिए कि इस संकट के समय में हम ऐसा रवैय्या क्यों अपनाएँ ज़िससे शासन – प्रशासन को सख्ती करने की ज़रूरत पड़े। फिर सोचने का एक पहलू यह भी है कि कई आपदाएँ ऐसी  आती हैं, जब कई तरह के नुकसान उठाने पड़ते हैं। लेकिन यह ऐसी आपदा है , जिसे हम केवल अपने घर पर रहकर ही मात दे सकते हैं।  ऐसे में केवल और केवल यह जिम्मेदारी सभी की है कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए जारी किए जा रहे एडवाइजरी का पालन करते हुए अपने अपने घरों पर ही रहे और मानव जीवन पर आई इस त्रासदी का मुकाबला करें।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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