बिलासपुर।(प्राण चड्ढा) छत्तीसगढ़ का प्रस्तवित पक्षी विहार -गिधवा की गर्भ मृत्यु.
बीते साल जहाँ हजारों प्रवासी परिंदों का डेरा था और छत्तीसगढ़ में शिवनाथ नदी से कुछ हटके ‘गिधवा’ में ‘पक्षी विहार’ की योजना थी वो सरकारी निकम्मेपन का शिकार हो गई है,, एक रुपया में इसके लिए खर्च नहीं किया गया, ना यहाँ ऐसा माहौल है कि प्रवासी पंछी शीतकाल व्यतीत करने यहाँ उतरें.!
आज शाम गिधवा के तालाब के आकाश पर कुछ बत्तखें उड़ते दिखी पर नीचे भैसें दलदल में चर रही थी और बैलगाड़ी भी पानी के भीतर सूखी भूमि को पार करते निकल रही थी लिहाज़ा वो उतरी नहीं. गिधवा बेमेतरा जिले में है, यहाँ गीधा नाले पर बने जलाशय से इस तालाब में पानी आता था पर उसमें पानी मुहाने के गेट से नीचे है. इसलिए दूसरा रास्ता था तालाब टयूबवेल से भरे जाये, बीते बरस दी ट्यूबवेल थे पर अब बंद है, मौके पर महिला सरपंच अपने पति के साथ मिली वो उम्मीद लगाये थी. जल्दी गाँव का सरकारी काम शुरू हों..!
ये वो तालाब है जिसमें बीते साल ‘काई’ और पानी के कारण कई प्रजाति के परिंदों का शीतकाल बीता पर इस बार आधे तालाब में मछली मारने के कारण पानी में जलीय वनस्पति नहीं.. और बाकी में पानी रोज कम हो रहा’,,!
पक्षी विहार में मछली पालन ये मजाक है,’, सरकारी काम में तालमेल का नितांत अभाव,अभी परिंदों का आगमन शुरू हो रहा है,, मुख्यमंत्री डा रमन सिंह यदि पहल करें तो ये उजाड़ने बच जायेगा , वक्त है निस्तारी काम रोक कर ट्यूबवेल से पानी भरना शुरू करवाएं, प्रदेश में बरसात कम होने से सूखे की दशा गम्भीर हो रही है..यदि गिधवा के इस तालाब पर और लापरवाही बरती गई तो इधर से प्रवासी परिंदे सदा के लिए विमुख हो जायेगे,,!