मेडिकल दुकानों में टोंटा..भटक रहे लोग..बड़ा सवाल..आखिर कौन पी गया लाखों लीटर से अधिक सेनेटाइजर..

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— कोरोना वायरस प्रकोप के बाद देखते ही देखते मेडिकल दुकानों से बहुत ही कम  बिकने वाला सेंनेटाइजर को जनता ने हाथों हाथ लिया। इस दौरान मेडिकल दुकानों ने भी कीमत बढ़ा कर बहती गंगा में  हाथ  धोया। जनता पांच रूपए का मा्स्क पचास रूपए से पांच सौ रूपए में खरीदने को मजबूर हुई। इसके बाद सरकार को कालाबाजारी के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

             
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             सेनेटाइजर की कमी को पूरा करने प्रदेश में मदिरा बनाने वाली दो बड़ी कम्पनियों को सेनेटाइजर बनाने का लायसेंस दिया गया। मजेदार बात है कि एक लाख लीटर की खेप आने के बाद भी अभी तक दुकानों तक सेनेटाइजर नहीं पहुंचा है। दुकान दारों ने बताया कि प्रशासन से  अभी तक सेनेटाइजर का एक भी खेप नहीं आया है।

             कोरोना वायरस प्रकोप की खबर के बाद मेडिकल दुकानों से सेनेटाइजर की बिक्री हाथों हाथ हुई। इस दौरान मेडिकल दुकानदारों ने कीमत के नाम पर बहती गांगा में अच्छी तरह से हाथ धोया। जानकारी के बाद सेनेटाइजर की कमी को पूरा करने वाइन बनाने वाली प्रदेश की दो बडी कम्पनियों को सेनेटाइजर बनाने का आदेश दिया गया।

              बताते चलें कि दोनों कम्पनिया को प्रदेश में शराब उत्पादन को लेकर अग्रिम स्थान हासिल है। चूंकि लाकडाउन के चलते तीनों कम्पनियों में शराब उत्पादन नहीं किया जा रहा था। सरकार ने तात्काली जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लायसेंस देकर सेनेटाइजर तैयार करने को कहा।

                  राज्य सरकार ने 22 मार्च को अल्कोहल आधारित हैण्ड सैनिटाइजर उत्पादन के लिए मुंगेली जिला स्थित भाटिया वाइन मर्चेन्ट्स  धूमा , वेलकम डिस्लेरी कोटा और  दुर्ग कुम्हारी स्थित छत्तीसगढ़ डिस्टलरी को एक साल के लिए लाइसेंस दिया।

                               जानकारी के अनुसार धूमा स्थित भाटिया वाहन ने लायसेंस मिलने के मात्र डेढ़ सप्ताह के अन्दर 60 हजार लीटर सेनेटाइजर का उत्पादन कर दिया। लोगों को उम्मीद थी कि जल्द ही सेनेटाइजर की कमी पूरी हो जाएगी। लेकिन ऐसा हुआ कुछ नहीं। सेनेटाइजर आया कब और गया कहां अभी तक किसी को जानकारी नहीं है।

           बहरहाल दो सप्ताह बाद भी दुकानों तक सेनेटाइजर नहीं पहुंचा है। जानकारी जरूर मिल रही है कि अधिकारी और शहर के रसूखदारों तक सैकड़ों और हजारो लीटर सेनेटाइजर की खेंप पहुंच चुकी है।

                    बताते चलें कि अब तक भाटिया वाइज मर्चेन्ट से लाखों लीटर सेनेटाइजर बनाया जा चुका है। फैक्ट्री से वितरण भी हो चुका है। लेकिन गया कहां…जानकारी ना तो स्वास्थ्य विभाग देने को तैयार है और ना ही ड्रग महकमा ही मुंह खोल रहा है। हां इतनी जानकारी जरूर मिल रही है कि बड़े अधिकारी, नेता  और रसूखदार एक दूुसरे को लीटरों में सेनेटाइजर गिफ्ट में दे ररे हैं। जिस आम जनता को लाकडाउन कर बचाने का प्रयास किया जा रहा है फिलहाल उसे अभी तक सेनेटाइजर के लिए भटकना पड़ा रहा है।और  मेडिकल वाले को  दो टूक कहना पड़ रहा है कि सेनेटाइजर नहीं आया है। 

                    नाम नहीं लिखने की शर्त पर एक व्यापारी ने बताया कि अधिकारी से लेकर नेताओं तक लीटरों सेनेटाइजर बांटा गया है। कई भाजपा नेता तो अपने विधानसभा में अपनों को सेनेटाइजर से नहला रहे हैं। कांग्रेस भी पीछे नहीं है। कई अधिकारियों ने तो कई लीटर सेनेटाइजर अपने रिश्तेदारों में बांटा है।  पार्षद भी सेनेटाइजर  की मुफ्तखोरी से बाज नहीं आ रहे है। और फैक्ट्री मालिक भी लोगों को खुश कर अपना धन्धा पानी चमका रहा है। कहने के मतलब कल तक जो मेडिकल दुकान वाले गंगा में हाथ धो रहे थे..अब लायसेंसधारी उसी गंगा में डुबकी लगा रहे हैं। 

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