लाकडाउन से जूनियर वकीलों की हालत खस्ता..सीनियर ने दायर की याचिका.. कहा..विधिक परिषद करे सहयोग

BHASKAR MISHRA
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फाईल फोटो
 
बिलासपुर—- हाईकोर्ट अधिवक्ता राजेश केशरवानी की तरफ से उच्चना्यायालय के वकील संदीप दुबे ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर जूनियर अधिवक्ताओं की मदद की गुहार लगायी है। याचिका में बताया गया है कि लाकडाउन के बाद जूनियर अधिधवक्ताओं की स्थिति दयनीय स्तर तक पहुंच चुकी है। उच्चन्यायालय राज्य अधिवक्ता परिषद को निर्देश दे कि गाइडलाइन तैयार कर खासकर सात साल से कम अनुभवी अधिवक्ताओं को आर्थिक मदद करे।
 
              हाईकोर्ट के वकील संदीप दुबे ने उच्चन्यायालय में याचिका दाखिल कर कम अनुभवी यानि सात साल से कम  प्रैक्टिशनर अधिवक्ताओं के लिए मदद की मांग की है। कोर्ट को बताया कि कोविड महामारी के चलते देश में लाकडाउन है। जिसके कारण आम जनजीवन के साथ ही अधिवक्ताओं और खासकर जूनियर वकीलों के सामने आर्थिक समस्या खड़ी हो गयी है।
 
                       उन्होने बताया कि देश के अन्य भू-भाग की तरह छत्तीसगढ़ में भी 25 मार्च से लाक डाउन है। लाकडाउन की स्थिति को देखते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 25 मार्च को नोटिफिकेशन जारी कर प्रदेश के सभी स्तर के न्यायालयों को अत्यावश्यक सुनवाई के अलावा बंद करने का आदेश दिए है। कोर्ट बन्द होने से जूनियर अधिवक्ता जिनकी प्रैक्टिस 7 वर्ष से कम है..उनके सामने रोजी रोटी की संकट उत्पन्न हो गयी है।
 
               याचिकाकर्ता ने याचिका में बताया कि संभावना जाहिर की जा रही है लाक डाउन 30 अप्रैल तक बढ़या जा सकता है। इसके बाद मई जून मे न्यायालय की ग्रीष्म कालीन छुट्टियां शुरू हो जाएंगी। ऐसे हालात में छत्तीसगढ़ विधिक परिषद और अधिवक्ता कल्याण अधिनियम के तहत गठित समिति, जिसमें राज्य सरकार भी शामिल है..को कहा जाए कि जूनियर वकीलों की मदद करें।
 
                संदीप दुबे ने बताया कि अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 6 के तहत प्रावधान है कि राज्य विधिक परिषद जरूरतमंद वकीलों और दिव्यांग वकीलों को सभी तरह की सहायता करेगा। इसलिए जरूरी है कि वैश्विक करोना महामारी को देखते हुए उपबंधो के तहत अधिवक्ताओं की सहायता के लिए आकस्मिक निधि बनायी जाए। छत्तीसगढ़ विधिक परिषद जल्द से जल्द योजना तैयार कर कमजोर अधिवक्ताओं की मदद करे।  बिना व्याज के कमजोर अधिवक्ताओं, उनसे जुड़े क्लर्क और अन्य लोगों को लोन प्रदान करे।
 
               राजेश केसरवानी की तरफ याचिका दायर करते हुए अधिवक्ता संदीप दुबे ने कहा कि उम्मीद है कि उच्च न्यायालय आर्थिक रूप से कमजोर वकीलों की परेशआनियों को गंभीरता लेगा राज्य अधिवक्ता परिषद को निर्देश देते हुए खासकर जूनियर अधिवक्ताओं के लिए सार्थक फैसला भी करेगा।

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