Lockdown के दौर में छत्तीसगढ़ की राइस मिलों का चलना मुश्किल, मिलर्स मांग रहे ये रियायतें, सरकार की त्वरित पहल जरूरी

Shri Mi
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बिल्हा(सुरेश केडिया)कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते पूरे प्रदेश में लॉक डाउन चल रहा है ,लोगों को घर में रहने की सख्त हिदायत दी जा रही है ऐसी स्थिति में प्रदेश शासन छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स को अपने बंद पड़ी मिलो को प्रारंभ करने का आदेश दिया है । इसके पीछे शासन की यही मंशा हो सकती कि बाजार में चावल की कमी ना हो और समितियों एवं संग्रहण केंद्र में रखे धान की कस्टम मिलिंग कराई जा सके। अधिकांश राइस मिलर्स ने जोखिम उठाकर राइस मिल का संचालन प्रारंभ कर दिया है ।हालांकि लॉक डाउन के चलते जरूरत अनुसार अनुसार मजदूर मिस्त्री सुलभ नहीं हो पा रहे हैं । वहीं लॉक डाउन के चलते धान बेचने के लिए किसान बाजार में नहीं आ रहे हैं , वही इसके चलते राइस मिलर्स के पास मात्र कस्टम मिलिंग का कार्य ही रह गया है,कोरोनावायरस का प्रकोप कब तक रहेगा कहां नहीं जा सकता रबी की फसल भी पक कर खेतों में तैयार है किंतु लॉक डाउन के चलते यह फसल भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है इसके चलते सामने खाद्यान संकट भविष्य में हो सकता है ।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्एप ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

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प्रदेश में लगभग अट्ठारह सौ राइस मिलर्स है किंतु सभी राइस मिलर्स की कार्य करने की क्षमता जहां अलग-अलग है वहीं आर्थिक रूप से भी विषमता है। जिसके चलते लगभग 50% राइस मिले आर्थिक अक्षमता के अभाव में अपनी कार्य क्षमता का भी उपयोग नहीं कर पाते हैं । वर्तमान में उपार्जन एवं संग्रहण केंद्रों में लगभग 25 लाख मैट्रिक टन रखे हुए धान का बचाव एवं उचित निराकरण भी आवश्यक है सामने वर्षा ऋतु आने वाली है लॉक डाउन भी चल रहा है ऐसी स्थिति में धान की कस्टम मिलिंग त्वरित गति से कराए जाने के लिए आवस्यकता है कि मिलर्स की उचित मांगों पर शासन को गंभीरता दिखानी चाहिए ।

प्रदेश सरकार ने इस वर्ष धान की समर्थन मूल्य खरीदी का लक्ष्य 85 लाख मैट्रिक टन तय किया था । जिसमें 8,36,71,880 मेट्रिक टन धान की खरीदी की गई । मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने धान की खरीदी मूल्य प्रदेश में 2500 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है । जिसके चलते प्रदेश में इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में सर्वाधिक खरीदी हुई है । वहीं इस वर्ष प्रारंभ से ही असमय वर्षा होती रही जो आज भी प्रदेश में कहीं -कही जारी है। समर्थन मूल्य में खरीदे गए धान की कस्टम मिलिंग प्रदेश के राइस मिलों द्वारा की ज़ाती है । किंतु जानकारी के अनुसार इस वर्ष 9 अप्रैल तक लगभग 35 लाख मैट्रिक टन धान की मिलिंग होना शेष है । उनमें से 25लाख 62 हजार 8600 मैट्रिक धान संग्रहण केंद्रों मे शेष 10427880 मैट्रिक धान प्रदेश के सोसायटी में रखा हुआ है। इसमें कहीं संदेह नही है कि समितियों में उचित देखरेख के अभाव मे असमय वर्षा के कारण धान खराब हुआ है । अनेक सोसाइटी में पानी लगने के कारण धान के बोरे उपयोगी नहीं रह गए हैं। वहीं बोरे में रखा धान भी नान एफ एफ ए क्यू हुआ है। यह मात्रा किन्ही किन्ही सोसाइटी में ज्यादा भी है और कहीं-कहीं कम मात्रा में खराबी आई है ।

एक अनुमान के अनुसार प्रदेश की समितियों में धान के बारदाने एवं बोरे में भरे धान के अमानक होने का औसत अनुमान 20%-40% है । हालांकि अनेक समितियों मे उचित रख रखाव के कारण धान कम खराब हुआ था । जिसके कारण धमतरी ,दुर्ग , राजनांदगांव एवं कुछ अन्य जिलो के राइस मिलर्स ने समितियों से अधिकांश धान का उठाव कर लिया गया है। परन्तु आज भी लगभग 10 लाख मैट्रिक टन धान समितियों मे रखा हुआ है । जिनमे बिलासपुर ,कांकेर ,कोंडागांव,मुंगेली रायगढ़ ,बालोद, बेमेतरा ,कवर्धा, बलौदाबाजार एवं महासमुंद आदि जिले प्रमुख है । हालांकि मार्कफेड अधिकारियों ने अपनी गलती छुपाने के लिए समितियों मे रखे धान को संग्रहण केंद्र भेजने का आदेश जारी कर दिया है । अनेक समितियो से उठाव भी ट्रांसपोर्टर द्वारा किया जा रहा है । वही जिले के डी एम ओ एवं खादय अधिकारी मिलर्स पर धान उठाने हेतु दबाव बना रहे है। जबकि मिलर्स द्वारा समिति मे रखे हुए धान की स्थिति से अधिकारियों को अवगत कराते हुए मांग की है कि हमे धान वजन करके प्रदान किया जाए साथ ही खराब बोरे बदल करके एवं अमानक धान को प्रदान नही किया जाए ।किन्तु जिले इस्तर के अधिकारी भी इन मांगों की अनसुनी करने के लिए विवश दिखाई दे रहे है ।

जानकारी के अनुसार धान का अमानक होने एवं बोरे का खराब होने का कारण लगातार असमय वर्षा एवं उचित रखरखाव तो है ही किंतु एक प्रमुख कारण यह भी बताया जा रहा है कि मार्कफेड द्वारा विगत 4 फरवरी से 20 फरवरी तक धान के डीओ ही काटना बंद कर दिया गया । जबकि इस अवधि में मिलर द्वारा पूरी क्षमता से धान का उठाव कर चावल जमा कराया जा रहा था । इसके बावजूद अधिकारी द्वारा धान के डी ओ काटने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया था । असमय वर्षा के कारण समितियों में पहुंच मार्ग खराब हो जाने के कारण बीच-बीच में बाधित रहा ।

शासन एवं मिलर के समक्ष गंभीर संकट

धान की कस्टम मिलिंग को लेकर दृष्टिगत से धान की कुल खरीदी का लगभग 42-43 प्रतिशत लगभग धान 35 लाख मैट्रिक टन धान है। इस धान को बारिश के पूर्व कस्टम मिलिंग कार्य करना दुष्कर सा है । 15 जून तक प्रदेश में मानसून आ जाता है । हालांकि शासन ने चावल उधोग को राइस मिल चलाने की आदेश देते हुए कस्टम कार्य को पूर्ण करने को कहा है । किंतु लॉक डाउन के चलते मिलो मे आवस्यकता अनुसार मजदूर मिस्त्री हमाल उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं । वही कई मिले आज भी बंद है। जैसे की चर्चा है कि 14 अप्रैल तक का लॉक डाउन आगे बढ़ना निश्चित है । ऐसी स्थिति में मई माह में ही राइस मिलो का संचालन सही रूप से प्रारंभ हो सकेगा। प्रदेश एसोसिएशन एवं जिला राइस मिल एसोसिएशन ने खाद्य सचिव एवं अन्य संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखकर निवेदन किया है कि समितियों में रखे धान को पूर्ण रूप से कांटा कराकर या धर्म कांटा में तोल कर प्रदान किया जावे एवं अनुपयोगी बोरे को बदलकर इसमें दूसरे बोरे में (चावल देने योग्य) धान प्रदान किया जावे। अमानक धान नही प्रदान किया जाए । किन्तु शासन प्रशासन अभी तक इस संबंध में कोई निर्णय नहीं ले पा रहा है। वहीं जिला प्रशासन मिलर्स पे धान उठाने के लिए दबाव बना रहा है । समितियों से जो धान संग्रहण केंद्र भेजा जा रहा है उनमें अमानक बोरे अमानक धान भी शामिल है । वहीं संग्रहण केंद्र में रखा धान भी तेज बारिश से निश्चित रूप से प्रभावित होगा ऐसी स्थिति में उचित मांगों को अनदेखा कर सिर्फ दबाव बनाकर पूरे धान की कस्टम मिलिंग करा पाना संभव नहीं लगता। ऐसी स्थिति में धान को पूर्व वर्षों की तरह खराब खराब हो जाने की पूरी पूरी संभावना है । इसके चलते शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान हो सकता है।

राइस मिल एसोसिएशन ने SOR दर के तहत मिलर्स को परिवाहन एवं हमाली दिए जाने की मांग लगातार की जा रही है क्योंकि मार्कफेड द्वारा परिवहन कर्ताओं को sor दर के साथ हमाली का भुगतान किया जा रहा है जबकि वही कार्य मिलर्स कर रहा है तो से संग्रहण केंद्र से केवल परिवहन दिया जा रहा है हमाली नहीं दी जा रही है जो कि न्याय संगत नहीं है एक कार्य के दो प्रकार की दरें उचित नहीं है मिलर्स को भी वर्ष 18- 19 से परिवहन करता के मानिंद भुगतान होना चाहिए ।

छत्तीसगढ़ में अधिकांश राइस मिलों की हालत आछे नही है ।कोरोना वायरस के विश्वव्यापी संक्रमण के बाद लॉकडाउन से बने हालात में खाद्यान्न लोगों की पहली ज़रूरत है। धान की मीलिंग नहीं होने से आने वाले समय में इसे लेकर भी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसको देखते हुए समय की माँग है कि सरकार इसे लेकर गंभीरता दिखाए और राइस मिलर्स को मानक धान उपलब्ध कराने के लिए आवस्यक निर्देश दे यदि शासन ने समय रहते इस और सही कदम नही उठाया तो धान की मिलिंग प्रभावित हो सकती है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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