कोरोना से लड़ने केन्द्र सरकार ने क्या दिया ?..सांसदों की चुप्पी पर शैलेश नितिन का तंज..वोट यहां नोट वहां.

BHASKAR MISHRA
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रायपुर—मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सलाहकार रुचिर गर्ग के पत्र के जवाब में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से आए पत्र का जवाब कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने दिया है। शैलेश नितीन त्रिवेदी ने कहा कि दोनों नेताओं ने इधर उधर की बातों से ध्यान भटकाने की कोशिश की है। लेकिन यह नहीं बताया कि केंद्र सरकार की ओर से राज्य को कोरोना संकट से लड़ने के लिए आख़िर क्या मिला?
 
               शैलेश नितीन त्रिवेदी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने कठिन सवालों से कन्नी काटने की कोशिश की है। कांग्रेस चाहती है कि रुचिर गर्ग के पत्र का जवाब दे। जिससे जनता के सामने भाजपा और उनके नेताओं की भूमिका स्पष्ट हो सके। 
 
    त्रिवेदी ने कहा कि केंद्रीय नरेंद्र मोदी सरकार ने कोरोना संकट से जूझने के लिए एक लाख 70 हज़ार करोड़ का जो पैकेज घोषित किया है बताए कि उसमें से कितना पैसा छत्तीसगढ़ राज्य को मिलने जा रहा है।  पैकेज में एक बड़ी घोषणा है कि मनरेगा की मज़दूरी पहली अप्रैल से 20 रुपए बढ़ जाएगी।  इसका मतलब यह है कि एक मज़दूर को 100 दिन का काम मिल जाता है तो साल में उसे मात्र 2000 रुपए अतिरिक्त मिलेंगे। . और मिलेंगे तब जब भुगतान होगा। शैलेश नितीन ने बताया कि राज्यों को वर्ष 2019-20 का 1555 करोड़ रुपए केंद्र से मिलना बचा है।. इसमें से कुछ राशि अभी आई है लेकिन वह भी ऊंट के मुंह में जीरा है. भाजपा बताए कि केंद्र सरकार मनरेगा का पूरा पैसा क्यों नहीं दे रही है?
 
                 केन्द्र सरकार से संचार विभाग प्रमुख ने पूछा है कि केंद्र के पैकेज में जो राशि श्रमिकों को देने की बात हुई है, उसमें उन 83 प्रतिशत मज़दूरों को क्या मिलेगा जो अनौपचारिक क्षेत्र में जुड़े हुए हैं। कामगारों को ईपीएफ़ से 75 प्रतिशत या तीन महीने की तनख़्वाह के बराबर पैसे निकालने की छूट दी है।  लेकिन  बताना भूल गए कि ईपीएफ़ का पैसा उनका अपना पैसा है।  अगर वह निकाल लिया तो भविष्य अनिश्चित हो जाएगा।
        
                       इसके अलावा छत्तीसगढ़ को केंद्र की ओर से मिलने वाला जीएसटी भुगतान का बड़ी राशि बकाया है। राज्य को मिलने वाले केंद्रीय टैक्स में पिछले साल 14 प्रतिशत की कमी आई है। उसकी भरपाई या भुगतान के बारे में केंद्र सरकार चुप क्यों है? केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान योजना के एक किस्त के भुगतान की बात की है लेकिन छत्तीसगढ़ में तो अभी पुराना भुगतान ही पूरा नहीं हुआ है। उज्जवला गैस मुफ़्त देने का फ़ैसला किया है लेकिन उससे हासिल क्या होगा जब ग़रीबों का रोज़गार छिन जाएगा? और छत्तीसगढ़ में तो उज्जवला का रिफ़िल रेट ही 1.8 प्रतिशत है.
 
                                 शैलेश नितिन त्रिवेदी ने पूछा है कि समय पर केंद्र सरकार ने किट्स क्यों उपलब्ध नहीं करवाए? समय पर और टेस्टिंग लैब की अनुमति क्यों नहीं दी? केंद्र की ओर से राज्यों को संकट से लड़ने के लिए पर्याप्त संसाधन क्यों उपलब्ध नहीं करवाए? जबकि राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शुरु से कह रहे हैं कि केंद्र सरकार ने सिर्फ़ लॉक डाउन की घोषणा की और संकट से जूझने का काम राज्यों पर, उनके अपने संसाधनों पर छोड़ दिया है त्रिवेदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने राजनीति छोड़कर यदि समय पर क़दम उठाए होते तो राज्यों में जो कोरोना मरीज़ पहुंचे हैं, उन्हें भी रोका जा सकता था, लेकिन भाजपा एकतरफ़ा गुणगान करने में लगी है।
 
                       संचार विभाग प्रमुख ने कहा है कि भाजपा को अपने केंद्रीय नेतृत्व से कहना चाहिए कि वे राज्यों को संसाधन उपलब्ध करवाएं जिससे कि लॉक-डाउन ख़त्म होने के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का इंतज़ाम किया जा सके। लेकिन भाजपा इस बात पर चुप्पी साध लेती है क्योंकि छत्तीसगढ़ में तो भाजपा सांसदों तक ने उन लोगों के लिए धन नहीं दिया जिनसे वे वोट मांगकर जीते हैं।
 
               शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि दरअसल भाजपा अपनी नाकामियों से घबराई और झुंझलाई हुई है । अहम सवाल तक का जवाब देने से कतरा रही है। आखिर कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी में मुख्य मंत्री सहायता कोष या राज्यों के राहत कोष को शामिल क्यों नहीं किया गया ? ओपी चौधरी और पंकज झा को समझना चाहिए कि सवाल बड़े हैं और जनता को जवाब चाहिए। बताएं कि क्या डॉ. रमन सिंह प्रधानमंत्री से मांग करेंगे कि छत्तीसगढ़ को उसका हक मिलना चाहिए ?लेकिन जिस पार्टी की दिलचस्पी 20 हज़ार करोड़ के नए संसद भवन के निर्माण में हो वो आम जनता के सवालों के जवाब से तो मुंह ही छुपायेगी!
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